00:00मुझे समझ भी नहीं आता, मैं घड़ी भी नहीं पहन पाता हूँ, मुझे लगता है बंधन है हाथ, आप इतनी सारी चीज़े कैसे पहन लेते हो, मतलब उक्ताट नहीं होती, पाथ साथ यहां गले में डाला है, इधर छेद मारा, इधर किया, पहले कमर में भी डालते थे, औ
00:30से बांधने की आदत डालते हो, तो क्या चेतना भी बंध नहीं जाती, इसका सौंधर कंगन नहीं होता है, इसका सौंधर ताकत होती है, इसमें ताकत होनी चाहिए,