लद्दाख के द्रास के लोगों को याद है कि 'वॉल ऑफ डिफेंस' ने कैसे 1999 के युद्ध के दौरान लोगों की जान बचाई थी. द्रास की पहाड़ियों में बुलंदी से खड़ी पत्थर की इस दीवार ने 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान कई गोलियों और तोपों के गोलों का सामना किया. युद्ध के बीचोंबीच सैनिकों और इलाके के लोगों द्वारा रातोंरात बनाई गई इस 'वॉल ऑफ डिफेंस' की अहमियत ईंटों और गारे से कहीं ज्यादा थी. दुश्मन के सामने ये ढाल बन गई. इसने न सिर्फ सैनिकों और यहां रह रहे लोगों की जिंदगी बचाई बल्कि महत्वपूर्ण श्रीनगर-लेह राजमार्ग को भी दुश्मनों की लगातार गोलीबारी से महफूज रखा. द्रास निवासी अब्दुल माजिद ने कहा कि जब पाकिस्तान इधर टाइगर हिल और तोलोलिंग पर कब्जा कर लिया था. उस वक्त इंडियन आर्मी ने ये वॉल बनाया था. ताकि आने-जाने वालों को महफूज रहे.
00:00द्रास की पहाडियों में बुलंदी से खड़ी पत्थर की इस दिवार ने 1999 के कारगिल युद के दौरान कई गोलियों और तोफों के गोलों का सामना किया था
00:11युद के बीचों बीच सैनिकों और इलाके के लोगों द्वारा रातों रात बनाई गई इस वाल आफ डिफेंस की एहमियत इटों और गारे से कही ज्यादा थी
00:22दुश्मन के सामने ये ढाल बन गई इसने ना सिर्फ सैनिकों और यहां रह रहे लोगों की जिंदिकी बचाई बल्कि महत्वपूंट श्रीनगर लेह राजमार्ग को भी दुश्मनों की लगातार गोली बारी से महफूज रखा
00:36जो वाल बनी थी ये 99 में बनी थी जब इदर पाकिस्तान जब यहां आया था इस चूटी में जब टेगर हिल और तो लोडिंग के चूटीू पर तो उस वकद ये हाईवे पर उनकी वो थी मलब उसको टार्गेट बना रहे थे पाकिस्तान इसलिए नियन आर्मी ने ये वाल
01:06करता था सिद्धा आर्मी के कनवई पर ही अटेक करता था तो इंडियन आर्मी ने उसी चीज के लिए ये देवार को प्रोटेक किया ता कि यहां से गारी निकल जाए उनकी नजर में नहीं निकल और एक में है यहां पर एक ब्रिज है पीछे यहां से आगे वह ब्रिज पे �
01:36दिवार आज भी मजबूती से खड़ी है हालाकि इलाके के कई लोगों के लिए 1999 के कारगिल युद से जुड़ी यादे धुंदली हो गई है लेकिन वे अपनी जिंदगी में एक और युद नहीं देखना चाहते
02:06कारगिल विजे दिवस हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है इस दोरान उन 527 शहीद सेनिकों की वीर्टा और बलिदान को सलाम किया जाता है
02:28जिन्होंने उचाई वाले इलाकों में संखर्ष के दोरान देश की रक्षा करते हुई अपने प्राणों की आहुती दी थी