स्टेट लेवल की टेनिस प्लेयर राधिका यादव को उनके पिता ने ही गोली मारकर मौत के घात उतार दिया. इस खबर ने सभी को स्तब्ध कर दिया. पुलिस के अनुसार शुरूआती पूछताछ में 49 वर्षीय दीपक यादव (राधिका के पिता) ने हत्या की बात कबूल कर ली है. अधिकारियों को उसने बताया कि उसके गांव के लोग उसे बेटी की कमाई पर निर्भर रहने के लिए ताना मारते थे. इस विषय पर Oneindia Hindi ने पद्मश्री और द्रोणाचार्य अवार्डी, राष्ट्रीय खिलाड़ी रह चुकीं सुनील डबास से खास बातचीत की. उन्होंने समाज की सोच पर सवाल खड़े किये। उन्होंने इसपर क्या क्या कहा, देखें इस ख़ास बातचीत में. State level tennis player Radhika Yadav was shot dead by her own father. This news shocked everyone. According to the police, in the initial interrogation, 49-year-old Deepak Yadav (Radhika's father) has confessed to the Murder. He told the officials that the people of his village used to taunt him for being dependent on his daughter's earnings. On this subject, Oneindia Hindi had a special conversation with Padmashree and Dronacharya Awardee, Sunil Dabas, who has been a national player. He raised questions on the thinking of the society. What did he say on this, see in this special conversation.
00:00अगर बेटा कमाता है तो कोई प्रोब्लम नहीं है अगर बेटी कमाती है तो क्या प्रोब्लम है
00:04और हमारा समाज किस और जा रहा है और अगर उस समाज का इतना ये दबाव है तो बेटी को स्पोर्ट्स में ही ना डालते
00:16और ये बेटा-बेटी का फर्क है ने ये कब तक ढोटते रहोगे इसको छोड़ना पड़ेगा
00:20मुझे तो कहीं दिल में कहीं ने कहीं एक दर्द फील हो रहा है कि एक पिता किसी भी हालत में अपनी बेटी की हत्या नहीं कर सकते
00:29जो लड़िकियां अगर घर में काम करती हैं बाहर काम करती हैं कमाती हैं और वो अगर माबाप का साहरा बनती हैं ये बहुत बड़ा इश्यू नहीं होना चाहिए ये mindset बदलना चाहिए
00:39पिता सकते होंगे कि एक पिता अपनी पुत्री की हत्या कैसे कर सकता है
01:05इसके पीछे बहुत सारी बाते कही जा रही है जिनमें कुछ बाते ये निकल के आ रही है कि
01:10सोसाइटी का प्रेशर यानि कि सोसाइटी का कहना था कि पिता अपनी पुत्री की कमाई खा रहा है
01:16एक स्टेरियो टिपिकल फीलिंग
01:19फिलाल इस खिलाडी के उपर हुई इस घटना के बारे में खिलाडी से बहतर कोई नहीं बता सकता है
01:26तो इस विशे पर बात करने के लिए हमारे साथ मौजूद है
01:30सुनील मैम जो की इंटरनेशनल कबड़ी प्लेयर रही है
01:34उन्होंने देश को राष्ट्री और अंतराष्ट्री रस्तर पर कबड़ी में रिप्रेजेंट किया है
01:39बारत सरकार द्वारा उन्हें पदम श्री और द्रोनाचार एक हेल पुरश्कार से भी नवाजा गया है
01:44मैं आपका स्वागत है
01:45तो आप जानी रही होंगी कि हम कितने संवेदन शील्ड हटना और विशय पर बात करने वाले हैं आज
01:57आप जहां से हैं आप हर्याना से हैं जजजर से आप बिलॉंग करती हैं और गुडगाओं में ही रहती हैं
02:03वहीं पर एक पीजी कॉलेज में आप एचोडी स्पोर्ट्स डिपार्ट्मेंट में ही हैं तो स्पोर्ट्स आपका बैग्राउंड रहा है और इस लड़की की जिसकी बात हो रही है ये भी एक टेनिस पेर रही है नेशनल इंटरनेशनल लेवल पर जिनके पिता ने इनकी हत
02:33बेटी अनिंग थी, वो कमा रही थी, वो स्पोर्ट्स अकाडमी चला रही थी, वो यूट्यूब इंस्टाक्राम वीडियो भी कर रही थी, उसके माध्यम से जो पैसे आ रहे थे, पिता घर में यूज कर रहे थे और सोसाइटी उनको दवाब बनाने लगा कि ये सही नहीं ह
03:03ही शायद सामने आई है और मुझे सबसे पहले तो अफसोस हो रहा है उस बेटी के लिए और उनकी उसकी आत्मा की शान्ती के लिए मैं प्रेयर करती हूँ और दूसरी बात जो समवेदन सीलता की बात है तो ये मुझे तो कहीं दिल में कहीं ने कहीं एक दर्द फील हो रहा ह
03:33होता है पताने अपना जूर्म कुबूल किया है पता हाँ जी हत्या के बाद उनने खुद जाके कुबूल कर लिया है कि मैंने अपनी बेटी को मार दिया
03:42यह मुझे मालूम है यह अभी मैं क्योंकि मैं रहती है गुडगाओं में हो गुडगाओं में दो दिन से मतलब जब से यह सामने आया मामला यह इसी के उपर चारो तरफ चर्चा का विशय है यह और मैं खुद यहां गुडगाओं की सारी लड़किया मेरे पास खेलने के लि�
04:12है और इसलिए वो जो है प्रेशर में था दबाओं में था तो सामाज की जो प्रिस्थितियां है वो आज भी मैं यह समझ रहे हूं कि पिछले बैक्ग्राउंड में मैं 40 साल पहले पिछे गाओं में चले जाओं मैं जहां एक गाओं से बिलोग करती हूं वहां तो एक सामा�
04:42लेकिन जो ये एक बात बोली जारी है उनके पिता के द्वारा इस से मैं कंसर्ट जरूर हूं कि बेटी की कमाई खाता है ये बहुत सुनने को मिलता है जब भी क्योंकि मैं भी खुद एक अर्निंग बेटी रही हूं और माबाप को जो है मेरे तो माबाप अनपड थे किशान
05:12कि इसने ज्हेले है ऐसा नहीं है और मेरे सामने भी आए हैं कि मतलब पिता जी को भी मां को भी और बहन भायों को भी लोग ऐसा कमेंट मार देते हैं ये कॉमन है और लेकिन मेरा ये है सवाल remote society कब बदलेगी कितने लोगों कि जाने जाने के बाद बदलेगी मान सकता क्या हम
05:42तो कोई प्रोब्लम नहीं है अगर बेटी कमाती है तो क्या प्रोब्लम है जब कोड तक ये ओडर दे चुके हैं कि माबाप की सेवा बेटी भी कर सकती है बेटा भी कर सकता है तो जब माबाप है उनके लिए माबाप के लिए बच्चों का जो है एक responsibility बनती है कि वो जब parents कु�
06:12और कब तक डोते रहोगे ये समाज को इतना stereotype कब तक बना के रखोगे इतना orthodox society क्यों रहेगी कब तक ये बेटिया जेलती रहेगी और कब तक parents के ओपर भी ये pressure रहेगा कि वो बेटी की कमाई खा रहा है मैं इस वाक्या से सही जुड़ी हुई हूँ क्योंकि मैंने भी ये स
06:42उसी परवरिश निकल कर आई हूँ जहां एक गाउं की परवरिश में होता है कि बेटी का मेरे parents को मैंने अपने पास भी रखा और एक और stereotype जो एक माँ पर मीट्स बने हुए हैं बेटी के घर में ना पानी पीना है माबाप को ना उनका खाना खाना है बेटी के घर में जाके
07:12पादर मेरे फादर को paralysis का टैक हो गया था तो मैंने सामाजी के सारी बंदनों को तोड़ के मेरे फादर को मेरे पास रखा नहीं मैं फादर की सेवा मेरे भाई भी साथ में रहते थे लेकिन वो मेरे साथ ज्यादा emotionally attached थे और attached थे तो उनकी सेवा मुझे करने में कोई दिक्कत
07:42लेकिन जिनकी बेटियों के साथ साथ भाई है तो यह हमारी society का एक और नया नियम है कि भाई है तो भाईयों की duty है सेवा करना भाईयों की duty है कमाई करना भाईयों का ही एक मात्र जिम्यदारी है कि वो ही घर चलाए वो ही सारी जो है कमाई करे और वो ही घर के लिए सारे संस
08:12पिताजी खुद कहते थे हम 3 बहने, 3 भाई, हम खेतों में इकटा काम करते थे,
08:17तो मेरे पिताजी कई बार लड़कों को कह देते थे, मेरे भाईयों क्यों, कि तुम मैनत कर लो नहीं, तो यह तुम से आगे निकल जाएंगी,
08:23तो ये एक बराबरी का दर्जा हम कब देंगे कि बेटा भी कर सकता है, बेटी भी �bildung कर सकते है, हमारी society को sensitive करने की जरूरत है, society के अंदर इस परकार के orthodox माइंड सेट जो जमाँ हुआ है, उसको कही निकालने की जरूरत अर्यूरता यह कौन निकाल सकता है, हमारी society ही निकाल स
08:53काम करते हैं और even सरकार के भी sensitization के ऐसे दोर चलने चाहिए कि वहाँ
08:59पर गाओं के लोगों के mind बे इस परकार का mindset बने ताकि लड़कीयों के परती जो लड़कियां अगर घर में काम करती हैं बाहर
09:07काम करती हैं कमाती है और हो कर माबाप का साहरा बनती है बहुत बढ़ा इस्व होना चाहिए
09:13कि बदलना चाहिए समाज का सॉसाइटी के बात तो बाद में आएग़ी नशाइटी कि शुरुआत तो पहले घर से
09:21होती है घर में क्या सोच रखा जाता है बेटियों को लेकर अब सोसाइटी कह रहा है उससे हमें फर्क पड़ जाएगा कि हम अपनी बेटी को गोली मार देंगे तो यह इस अंदर में कितना गलत है कितना सही है यह तो सोचने का विशा है यह जब हम घर में खुद बदलेंगे �
09:51से घटना आना यह पूरे देश के लिए एक बहुत सम्विदन शील और बहुत सोचने का विशय हो चुका है ना तो सोसाइटी से पहले घर पर बात करनी चाहिए आपके घर का महौल क्या था क्या आपके पेरेंट सपोर्ट करते थे आपको खेलने के संदर में या सोसाइटी
10:21हैं तो एक एक्स्ट्रीम गाओं में भी आज मैंड सेट और मैंटिलिटी बदल चुकी है और गुड़गाओं जैसे शहर में शहर के आसपास में इस परकार का मैंड सेट हो ना वो कहीं किसी तरीके से भी सेंसिल के काबिल नहीं है यह जो आई है बात मैं इसको कंडेम ही करत
10:51काम कर रही है तो उसको छोटे बच्की नहीं है उसको इस परकार से नहीं ट्रीट किया जाना चाहिए था दूसरा अगर इस परकार उसको ट्रीट किया भी गया तो मैं सबसे बड़ी जो है यह घर में परिवार में मा बाप बाई बैन उनका तो मैंने अभी यह भी सुना है क
11:21करते हूं विल्पूल है लेकिन आप स्पोर्ट में ही थी और आपने देखा है कि आप जोड़ी जादा फ्रीडम हो किसी को थोड़ी कम फ्रीडम हो लेकिन यहां पर बात तो यह भी है कि उस पिता नहीं करोड़ों रुपए खर्च करके जो रादिका यादव है इंका टेरिस �
11:51सब्सक्राइब की यह अगर दावा है लोग कह रहे हैं कि बेटी की कमाई खाने से पिता को प्रॉल्ब्लम होती बेटी से क्या उन्हें नहीं पता था कि बेटी का स्पोर्ट्स अकैडविक खुलेगा तो बेटी कमाएगी पैसे आएंगे तो घर में ही आएंगे ना बिट श
12:21कि दावे सच है कि पिता ने इसलिए बेटी को मार दिया कि वो पैसे ला रही थी घर में देखो यहां डाउट यह पूरा शैर डाउट कर रहा है इस बात पे और दूसरी बात यह है कि डाउट हर इंसान के मन में उठता है कि जिस फादर ने करोड़ रुपए अगर बेटी के �
12:51क्योंकि सारे अभी तक उसके पीछे कारण है वो शायद कुछ और भी कारण हो सकते हैं मैं तो सिरफ उस बात पर बात करी थी जो आपने मेरे सामने लाके रखा है
13:01सबसे बड़ा मुद्दा यही है कि आज 2025 में आकर महिलाओं की कमाई पर सवाल उठाए जा रहे हैं जहां पिता एक बेटी की कमाई नहीं ले सकता है बेटी पिता के सेवा नहीं कर सकती है तो हम तो समाज कोसी सोच पर बात करने आये हैं ना वो भी गुर्दाओं जैसे जहे
13:31किया था मैंने इस केस को बहुत ज़्यादे डिटेल में नहीं किया है लेकिन हां मुझे जो यह पॉइंट एक दम से बड़ा अख्रा कि केवल एक यह कारण की उसमें बेटी को इसलिए जो है उन्होंने गोली मार दी मर्डर कर दिया कि वह बेटी की कमाई खार रहे हैं यह �
14:01गुराम में बहुत बार कॉलेज से जैसे टीम लेकर जाती हूँ कई बार लड़कियों को मुझे लेके जाना होता है तो मेरे पास ज़्यादा दर लड़कियों आजपास की गाहों से ही होती है और पेरेंट्स को उन बेटियों को मुझे आगे लेके जाने के लिए पार पेर
14:31प्वाजूद भी उनको घर से बार नहीं जाने दिया जाता है तो यह गुडगाओं के आसपास के area की मैं बता रही हूँ जहां पे मैं रहती हूँ और मैं यहीं की टीम बना कर लेके जाती हूँ तो parents के सवाल यही होते हैं कि पहली बात तो उनको मैं satisfy करती हूँ क्यों कि उनक
15:01तो उनको फिर हम satisfy करते हैं कि हम female हूँ, मैं ही female हूँ, मैं टीम के साथ जा रही हूँ, मैं ही लेके जा रही हूँ, तो वो 1% chance हो जाते हैं, फिर दूसरी उनकी यह होती है कि नहीं, रात में टीम के साथ हम बच्ची को नहीं रुकने देगें, आप दिन दिन में उसको खिला ल
15:31लेकिन उनका एक डर भी है कि वो रात में नहीं रुकने देंगे बेटी को तो यह जो इस परकर की मानसिकता
15:36है अभी वी हैं लेकिन वह हरियना जहां पे आज बेटिया नया परचम लहरा
15:44है देश कारी है पिल्कुल हरें कि बेटियों का तो माँसिकता बदली है
15:55मेरे गाओं में जहां मैं ट्रेक्शूट भी नहीं पहन सकती थी आज मेरे गाओं में लड़कियां अभी एक बीबीसी ने डोकुमेंटरी बनाई तो उसमें उन्होंने खुद ही कहा कि उनकी सारी माई स्टेडियम में गुंगट में हैं वो गुंगट नहीं खोल रही हैं लेक
16:25में बदलाव आया है मेरे गाओं में मुझसे पूछते हैं मेरी बेटी को मैं कहां डालू मेरी बेटी इतनी बड़ी हो गई है यह गेम में अच्छी है उसको किस होस्टल में बेजना है तो यह मान सकता अब बदली है लोगों की ऐसा नहीं है लेकिन यह गुड़गाओं के �
16:55कि तो किया जाए कि society का ही तो डर है कही ना कहीं उन parents को भी अगर parents बच्चे को खेलने को allow कर रहे हैं तो मुझे नहीं लगता कि उन्हें भेजने में दिक्कत होगी लेकिन यह चार लोग पैठ है society में जो हमें हमारे अधिकार से जीने नहीं देते हैं उन parents को मजबूर कर रह
17:25कि society में अभी उन parents के अंदर जो एक protective तो है अपने बच्चे के परती लेकिन उनके अंदर यह रहता है कि नहीं बेटी को रात में बाहर रुकने के लिए जैसे वो मना करते हैं नहीं बेटी को बाहर नहीं रहता है उनको घर का तो रहता ही है घर में क्योंकि हर एक माप वो त
17:55यह यह करना है तो यह तो एक normal way है लेकिन जाबे कोई बेटी को 2-4 दिन के लिए कोई events में भाग लेने के लिए जाना पड़ता है और उनको जब उनकी parents को convince करना पड़ता है तो यह कहीं ने कहीं एक दबाव है समाज का और उस दबाव की वज़े से वो कई बार बाहर नहीं
18:25को एड़ स्कूलों में नहीं पड़ने दिया जाता था आप तो को एड़ स्कूल हैं को एड़ कॉलेज हैं अब तो बेटियों के लिए काफी रास्ता साफ हो चुका है और एक बेटा बेटी का जो यह एक difference है वो भी काफी हद तक कवरप हुआ है और बेटी पढ़ाओ और ब
18:55ही इतिना यह दबाव है तो बेटी को स्पोर्ट में में डालते हैं अगर समाज का दबाओ यह इतना जेल रहे होतो सबस्पोर्ट मे ना भेजते हैं बेटी अगर स्पोर्ट में गई घा और
19:18तक पहुंची है और वैसी बेटियां है धर्ती पे जो नाम रोशन जो देश राज्य गाहों से निकल के देश का नाम रोशन कर रही है तो बेटियों के लिए तो यह आप पेरेंट समाज को सोचके बेटी को घर पे रोग दें तो यहां समाज का दाइरह वैसे तो काफी बदल
19:48समाज का चीज़ों को मान के अगर आदमी चलेगा तो वह तो भगवान को समाज नहीं चोड़ता है समाज को कोई चोड़ी चोड़ी चीज़ों के लिए भगवान को टोक देता
20:18और बात उस घर की भी है, जो सवाज के प्रेशर में आके, अगर अपनी बेटी की हत्या कर रहा है, अगर एक परसेंट भी इसमें सच्चाई है, तो यह बहुत ग्रिनित मानसिक्ता को उजागर कर रहा है।
20:48तो निश्चित रूप से हमारे समाज को सेंसिटाइज करके बदलने की जरुत है, और इसमें हम सब लोगों का समाज के प्रति जो जिम्मेदारियां बनती हैं, हम सब लोगों के जिम्मेदारियां निभानी पड़ेंगी, क्योंकि आज बेटियां तो बहुत कुछ कर रही है, �
21:18पंचायतों में देखा है कि कोई भी बुराई समाज के अंदर है, जैसे दहेज परता के बुराई के परती, पूरे लोग समाजिक तोर पर इखटे होके उस चीजों को छुड़वा रहे हैं, ये आजकल जो शादियों में, डीजे, वीजे, और ये कुछ ऐसी बुराईयां �
21:48समाज के अंदर दोबारा से एक ऐसी लहर जरूर उठेगी कि इस परकार की चीजों को भी तोड़ो और छोड़ो।
22:18आप भी कोच भी रही है, नैशनल टीम की, पिलाल होडी है, प्रेसिडेंट है, स्पोर्ट्स डेपार्टमेंट में ही, दुरुनाचारफ पीजी कॉलेजी है, गुरुग्राम में जहां पर आप खेल के माधियम से लोगों को जाकरूप कर रही हैं, तो ऐसे में आप से बहतर
22:48पिता जो है, अपनी बेटी की कमाई नहीं खा सकता है, यह स्टेयो टिपिकल मेंटालिटी जो है, यह कब तक रहेगी, यह भी एक सोचने का विशह है, आपके इस विशह पर क्या राय है, हमें कमेंस में जरूर बताएं, और ऐसी ही और खबरों के लिए जुड़े रहे है, One