सवाईमाधोपुर. हमारे शांत सुंदर जिले की आबादी अब 16 लाख के पार हो चुकी है, यानी जितनी मॉरिशियस जैसे एक पूरे देश की होती है। पहले यही सवाल था, इतनी बड़ी आबादी का क्या करेंगे लेकिन अब नजरिया बदल रहा है। सच्चाई भी यही है कि यह भीड़ नहीं, सबसे बड़ा संसाधन है। अगर इस जनशक्ति को जिले की पांच मूल ताकतों से जोड़ दिया जाए तो न कोई बेरोजगार रहेगा और न विकास सिर्फ फाइलों में कैद रहेगा। हम पाते हैं कि हमारे जिले की पंचशक्ति हैं, उपज में अमरूद, वनस्पति में नीम, उत्पादों में मार्बल, पर्यटन में रणथम्भौर और खेल में फुटबॉल। ये वो क्षेत्र हैं, जहां सवाईमाधोपुर पहले से मजबूत है। अब हमें खुद इन ताकतों को नई दिशा देने में जुटना चाहिए।
यह है जिले के पंच गौरव। इनकी यह है विशेषता
1. अमरूद: देश-विदेशों तक बनी है ‘मिठास’ सवाईमाधोपुर जिले का अमरूद अपनी की गुणवत्ता व उत्पादन के कारण राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरे भारत में विशिष्ट पहचान रखता है। वर्तमान में करीब 8 हजार कृषक 12 हजार 500 हैक्टेयर में अमरूद की खेती कर रहे हैं। यहां लगभग 3 लाख 37 हजार 500 मैट्रिक टन अमरूदों का का उत्पादन प्रतिवर्ष होता है। यहां एल-49, इलाहबादी सफेदा, गोला,बर्फखान आदि अमरूद के किस्में मुख्य रूप से उगाई जा रही है। सूरवाल निवासी जानकीलाल मीणा बताते है कि जैविक अमरूदों की पैदावार से अच्छा उत्पादन होता है और इसका मूल्य अधिक मिलता है। जैविक खेती से लागत कम लगती है और कीट-बीमारियों का प्रकोप भी कम रहता है। 2. नीम: कीटों के नियंत्रण के लिए बना रहे ‘नीमास्त्र’ सवाई माधोपुर जिले में नीम का वृक्ष बहुतायत में पाया जाता है। अपने औषधीय गुणों के कारण मधुमेह में अत्यधिक लाभकारी है। यह जीवाणु नाशक, रक्तशोधक, त्वचा विकारों में गुणकारी व प्रतिरोधक बढ़ाने वाले एवं बुखार में भी लाभकारी है। नीम का उत्पादों का वाणिज्यिक उपयोग से स्थानीय निवासियों की आमदनी बढ़ेगी। गंभीरा निवासी रामकेश मीना बताते है वे नीमास्त्र बनाते है। इससे कीड़े बीमारियां का नियंत्रण होता है। नीमास्त्र का प्रयोग रस चूसने वाले कीटों और छोटी सुंडियों के नियंत्रण के लिए कर रहे है। 3. बांसटोरडा की पहचान है मार्बल मूर्तियां जिले के बौंली खण्ड का बांस टोरडा गांव मूर्तिकलां के लिए देश-विदेश में अपनी कलां से प्रदेश का नाम रोशन कर रहा है। बांस टोरडा के करीब 90 प्रतिशत से अधिक परिवारों की आजीविका का आधार संगमरमर (मार्बल) मूर्तियां पर निर्भर है। मूर्तिकार बाबूलाल गौड अपने हाथों के हुनर से इस कलां को देश प्रदेश में नई पहचान दी है। वे रामलला, भगवान शंकर, पार्वती, सीता.राम, राधा.कृष्ण, हनुमान जी, गणेश जी, मां दुर्गा, मां सरस्वती, मां काली, भगवान महावीर, भगवान बुद्ध, बाघ, चीता, हाथी आदि की मूर्तियां बनाकर अपनी प्रतिभा साबित कर रहे है। 4. फुटबॉल: मैदान से निकल रही है नई पहचान जिले के युवाओं में फुटबॉल को लेकर जबरदस्त जुनून है। यहां के स्कूलों व कॉलेज में अब नियमित प्रशिक्षण शुरू हो चुका है। कोच रईश खान अब तक 200 से ज्यादा बच्चों को प्रशिक्षित कर चुके हैं। उनके 15 से अधिक खिलाड़ी राज्य टीम का हिस्सा बन चुके हैं। वे बताते है कि फुटबॉल अब बच्चों के खून में है। हम सिर्फ उसे दिशा दे रहे है। 5. रणथम्भौर टाईगर रिजर्व: टाइगर की अठखेलियां देखने आते है पर्यटक रणथम्भौर टाईगजर रिजर्व सम्पूर्ण विश्व में बाघों के साथ-साथ अन्य जीव-जन्तुओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां करीब 160 देशों के साथ-साथ देशी पर्यटक भी वन्यजीवों को स्वछंद विचरण करते देखने प्रतिवर्ष आते है। ............................ मैं हूं अपने जिले की शक्ति जय भार्गव, 30 वर्ष, बांस की पुलिया मैं काला, सफेद व लाल मार्बल के मैटेरियल से मूर्तिया व छतरी बनाता हूं। अब ये जयपुर, टोंक, कोटा, दौसा, भीलवाड़ा, यूवी व एमपी तक बिक रहे हैं।
मैं हूं सवाईमाधोपुर की शक्ति संयम भारद्वाज, 14 वर्ष, हाऊसिंग बोर्ड में फुटबॉल में जिला टीम का खिलाड़ी हूं। अंडर-14 में 2 बार फुटबॉल स्टेट टूर्नामेंट में जिले का प्रतिनिधित्व कर चुका हूं। बच्चों को भी ट्रेनिंग दे रहा हूं।
प्रशासन भी दे रहा साथ जिला कलक्टर डॉ. कानाराम कहते हैं कि पंचशक्ति योजना को हमने जिला स्तर की प्राथमिकता में शामिल किया है। अमरूद के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के लिए प्रस्ताव राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में शामिल करने के लिए राज्य सरकार को भेजने के निर्देश दिए है। अमरूद को क्लस्टर विकास योजना में शामिल कर प्रस्ताव एक माह में केन्द्र सरकार को भेजने, अमरूद प्रसंस्करण एग्रो यूनिट की स्थापना के लिए प्रस्ताव तैयार करने और किसानों को पैकेजिंग प्रशिक्षण देने की कार्ययोजना भी बनाई है। फुटबॉल टूर्नामेंट आयोजित करने, मार्बल मूर्तिकला को बढ़ावा देने, नीम के पौधों का वितरण करने, पर्यटकों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए है।