00:00मानेता है कि भोलिनाथ ने समुद्र मन्थन के बाद हला हल विश पिया था इसके जहर की वजह से उनका शरी नीला पड़ गया था तब उनके शरीर की गर्मी को शांत करने और विश के प्रभाव को खत्म करने के लिए देवताओं ने उनका जला भी शेक किया इसके लावा ये
00:30भगवान श्रिफ के प्रती श्रधा और भक्ति जताने के लिए कावड यात्रा निकाली जाती है
00:3411 जुलाई से कावड यात्रा की शुरुआत हो रही है
00:37लेकिन कि आप जानते हैं कि ये कावड यात्रा चार प्रकार्टी होती है
00:41जिसमें जादतर लोग डाग कावड या खड़ी कावड करते हैं
00:45लेकिन ये दोनों है क्या? इन दोनों की बीच अंदर क्या है?
00:48आईए आज की वीडियो में जानते हैं
00:50नमस्का मैं हूँ आप सभी की साथ कृतिका और आप देख रहे हैं बोल्ड स्काई
00:54आईए सबसे पहले बात करते हैं डाक कावड के बारे में
00:57यह यात्रा बहुत तेज गती में पूरी की जाती है जिसमें कावडियों को बिना रुके लगतार चलना होता है
01:02यात्रा के दौरान मलमूत्र त्यागने की भी मना ही होती है
01:06इस यात्रा को 24 घंटे के भीतर पूरा करना होता है जो इससे काफी जादा कठिन बनाता है
01:11कुछ फक्त वाहन का भी साहरा लेते हैं एक कावडिया दोडता है और बाकी साथ ही वाहन में होते हैं
01:17जब एक ठक जाता है तो दूसरा कावडिया कावड उठा लेता है
01:20खड़ी कावड की बात करें तो इसमें कावड को जमीन पर नहीं रखा जाता और कावडियों के साथ एक सहयोगी होता है
01:26जो कावड को अराम करते समय भी उठाए रखता है
01:29कावड को जमीन पर रखने या लटकाने के अनुमती नहीं होती
01:32साथ ही एक कठिन यात्रा माने जाती है लेकिन डाग कावड जितनी कठूर नहीं होती
01:37लेकिन डाग कावड में कावडियों को बिना रुके तीजी से दोड़ कर या चल कर नेधारित समय में गंगा जल लेकर गंताव्य तक पहुँशना होता है
01:46वही खड़ी कावड में कावड को जमीन पर नहीं रखा जाता और कावडियों के साथ एक सायोगी होता है जो कावड को अराम करते समय भी उठाया रखता है
01:54डाक कावड में लोग सफेद रंके कपडों को धारन करते हैं
01:58जबकि खड़ी कावड में लोग आपको भगवा रंके वस्त्रों में नज़र आ जाएंगे
02:02इसके साथ ही जितने भी कावड़ी होते हैं वो नंगे पैड चलते हैं
02:05ये तो हम सभी जानते हैं
02:07तो उमीद है आपको आज की वीडियो ज़रूर पसंद आई होगी और भी ऐसी वीडियो को देखने के लिए आप जुड़े रहे हमारी साथ तब तक के लिए नमस्कार