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  • 7/10/2025
Noida City History: जानिए कैसे इमरजेंसी (1975–77) के दौरान संजय गांधी ने दिल्ली के प्रदूषण को कंट्रोल करने की रणनीति के रूप में 17 अप्रैल 1976 को नोएडा की स्थापना की। UP Industrial Area Development Act के तहत बने इस औद्योगिक शहर में 20,316 हेक्टेयर में योजनाबद्ध विकास हुआ। आज नोएडा आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर और स्वच्छ जीवन का प्रतीक बन चुका है।



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~HT.318~PR.396~ED.118~

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Transcript
00:00बात 1975 की है जब भारत एक बड़ी राजुनितिक मोड पर था
00:08एमर्जेंसी के सिती में जिंदगी ने एक नया रूप लिया था
00:11अब इस बीच एमर्जेंसी के दोरान विपक्षी नेता जेलों में बंद थे
00:15और सत्ता इंद्रा गांधी की पूरी तरह से नियंतरण में थी
00:19असल में शासन के कई फैसले परदे के पीछे संजय गांधी की सोच से निकलते थे
00:24अब उस समय दिल्ली में छोटे बड़े इंडरस्टीज की संख्या बढ़ रही थी
00:28जिससे प्रदूशन पर नियंतरण करना मुश्किल हो गया था
00:32संजय गांधी को महसूस हुआ कि दिल्ली अब और बोज नहीं जेल सकती
00:36तभी उनके मन में आया एक दमदार आइडिया
00:38यानि कि क्यो न दिल्ली के बाहर यमुना के उस पार एक नया शहर बसाया जाए
00:43और यही सोच नोईडा की नीव बनी
00:45लेकिन इसके बाद क्या हुआ कैसे बना नोईडा
00:47तो चलिए आज कि इस वीडियो में हम जानेंगे
00:49लेकिन उससे पहले नमश्कार मैं सतो शुपाध्ध है
00:51और आप बोल्ट सकाई देख रहे हैं
00:5417 अप्रेल साल 1936 को नोईडा शहर के स्थापना हुई थी
00:57इसे न्यू ओकला अद्योगिक विकास प्रदीकरण
00:59यानि की न्यू ओकला इंडर्स्ट्रियल डेवलप्मेंट अथारिटी भी कहते हैं
01:03आपको बता दे की 20,316 हेक्टियर में नोईडा फैला हुआ है
01:08कई शेत्रों में पूरी तोल से विक्सित और अपने अद्योगिक विकास प्रदीकरण कहा गया
01:23और यही संशिप्त रूप में नोईडा बन गया
01:26अब इसो शहर की कलपना और स्थापना में कई प्रमुक हस्तियों की भूमिकार हो ही
01:30जैसे संजय गांधी जैसा कि हमने आपको पहले बताया
01:32अपातकाल के दोरान में संजय गांधी सब परियोजना के प्रमुक प्रेणा थे कहा जोता है
01:36कि एक हवाई सफर के दोरान लखनों से दिल्ली लोटे वक्त संजय गांधी ने विमान से यमुना पार खाली विस्तार देखा
01:43और वहीं उत्तर प्रदेश के ततकालीन मुख्य मंतरी नरायन दत्र तिवारी से इस इलाके में एक नियोजित अध्योगे को शहर बसाने की बात कही
01:51अब संजय गांधी के इस पहल कौपातकालीन सरकार में तुरंत समर्थन मिला
01:55उनकी मंशा थी कि दिल्ली की अध्योगे की काईयों को इस शहर में स्थानतुरित कर दिया जाए जिससे राजधानी के प्रदूशन और भीड़ भार कम हो सके
02:04वह संजय कांधी के सुझाओ पर ततकालीन मुखे मंतरी एंडी तिवारी ने ततकाल सहमती दी और राज्य सरकार नितीजी से कारेवाई भी की
02:12वह इसमें ध्रेंदर मोहन मिश्रा का भी एक बड़ा हात है नौईडा वसाने में बिरोक्रेसी की भी भूमिका रही है
02:17बुलंड शहर के ततकाली नजला दिकारी धिरेंद्रो मोहन मिश्रा को नौईडा का प्रारूप तो यार करने के जम्मेदारी सौपी गई, उन्होंने नौईडा की नीव रखी और दस में उनिसो चेटर को नौईडा के पहले मुखे कारेपालो का दिकारी यानि की CEO के रूप
02:47अंततह नौईडा के सेक्टर 6 में स्थाई प्रधिकर्ण कारेले स्थापित हुआ, वह आपको बता दें तीनों के अलावा अनेक स्थानी प्रशासनी कदिकारियों और केंद्र राज्य सरकार के प्रतिनीधियों ने नौईडा पर योजना को साकार करने में योगदान किया,
03:17उना नदी द्वारा दिल्ली से लगती है, वह नदी के उस पार दिल्ली के कालकाजी ओकला मयूर विहार जैसे इलाके हैं, वह आपको बता दें कि सापना के समय बुलंद शहर जुले का हस्सा था और दादरी तहसील में आता था, उनीसो चेतर के बाद इसे गाजयाबाद ज
03:47किये गए, वह आपको बता दें, नोईडा बसाने में अस्थानी किसानों की भूमी का प्रमकुरूप से इस्तमाल हुई, सरकार ने भूमी अधी ग्रहन के समय किसानों को मुआफजात प्रतान किया, लेकिन प्रारंबिक मुआफजात दर काफी कम थी, वह आपको बता दें,
04:17करें, और अपनी राय कमेंट में लिख कर ज़रूर बताएं, धन्यवार।

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