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00:00इर्शा तो मुझे होती है पर इर्शा मुझे आपसे ही होती है तो मैं खुद को देखता हूँ तो मैं किसी भी बात में उत्कृष्ट नहीं हूँ
00:05मुझे क्या देख रहो मेरा पूरा दिन अपने आपको चनोती देने में बीचता है और बहतर होने में बीचता है
00:10मैं अतीत की और देखता हूँ मुझे 100-500-1000 बातें दिखाई देती हैं जिनमें नजाने अभी कितना दोश है उनको और खीक करके शुद्ध करके बहतर बनाया जा सकता है
00:19ये तो अपना दिली प्यार होता है श्रिष्टता के प्रते अगर जो आप हो उससे बहतर कुछ संभव है तो क्यों ना हुआ जाए
00:28मैंने 40 की उमर में टेनिस खेलना शुरू करा जिस कोच के साथ मैं आमतोर पर खेलता हूँ मुझे अभी बीच में लगा कि उसके साथ ठहरावा गया एक स्तर से उपर बात नहीं बढ़ रही है
00:37अभी आपके पास आने से पहले एक दूसरे कोच के साथ बैक हेंड कर रहा था यह तो खुद को चनौती देने की बात है
00:43यह एक जीने का तरीका है कि जहां कहीं भी मैं जो कुछ भी कर रहा हूँ या तो करूंगा नहीं या करूंगा तो उसमें लगातार और बहतर और बहतर होता रहूँगा