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Transcript
00:00चोटे शहरों में, गाउं में होता है, वो पूरी एक बस भरी जाती है, और क्या बोलती है कि हम कहां जा रहे हैं, हम तीर्थाटन जा रहे हैं, या कि सयुद परिवार है तो उसम मिल करके दो इनोगा करेंगे, और उसम क्या बोलेंगे हम कहां जा रहे हैं, वो तीर्थ करने ज
00:30जब खृष्ण उनके बहुत समीप आजाते थे तो नाचने लगती थे
00:33और ये जो जादातर लोग हैं जो जाते हैं तीर्थ की जगों पर परेटन करने
00:37ये तो जाते ही इसी लिए हैं कि चलो भाई थोड़ा कुछ रसीला हो जाए मनोरंजक हो जाए
00:43क्योंकि हमारे जीवन में सच्चा ही नहीं है तो विकल्ब के तोर पर मनोरंजन के लावा कोई रास्ता नहीं है

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