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Trinidad and Tobago कैसे बना 'मिनी बिहार'? PM Modi के दौरे से खुला 180 साल पुराना वो राज़ जिसे जानकर आप चौंक जाएंगे। इस वीडियो में जानिए त्रिनिदाद और भारत के बिहार के बीच उस गहरे रिश्ते की कहानी, जिसने दुनिया को हैरान कर दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी विदेश यात्रा के दौरान कैरेबियाई देश त्रिनिदाद और टोबैगो पहुंचे हैं, जहाँ उनका भव्य स्वागत किया गया। लेकिन पीएम मोदी का यह दौरा ऐतिहासिक है क्योंकि यह त्रिनिदाद और भारत, खासकर बिहार के बीच 180 साल पुराने रिश्ते की कहानी को फिर से उजागर करता है। यह कहानी है 'गिरमिटिया मजदूरों' की, जिनकी वजह से आज त्रिनिदाद को 'मिनी बिहार' कहा जाता है। 'गिरमिट' शब्द अंग्रेज़ी के 'एग्रीमेंट' से बना है, जिसके तहत 1845 में भारतीय मजदूरों को पहली बार त्रिनिदाद ले जाया गया था।
यह सब 1834 में गुलामी प्रथा के अंत के बाद शुरू हुआ, जब ब्रिटिश उपनिवेशों में मजदूरों की भारी कमी हो गई। इस कमी को पूरा करने के लिए, भारत के बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से लाखों मजदूरों को 5 साल के एग्रीमेंट पर फिजी, सूरीनाम और त्रिनिदाद जैसे देशों में भेजा गया। अकेले त्रिनिदाद में 1845 से 1917 के बीच डेढ़ लाख से ज़्यादा भारतीय मजदूर पहुंचे। इन मजदूरों ने गन्ने के खेतों में गुलामों जैसी परिस्थितियों में काम किया, लेकिन अपनी मेहनत और लगन से अपनी पहचान बनाई।
आज त्रिनिदाद की 45% आबादी भारतीय मूल की है और उनके वंशज देश की राजनीति, व्यापार और समाज में शीर्ष पदों पर हैं। देश की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर और राष्ट्रपति क्रिस्टीन कंगालू, दोनों ही भारतीय मूल की हैं। कमला बिसेसर के पूर्वज बिहार के बक्सर से थे। आज भी त्रिनिदाद में भोजपुरी बोली जाती है, रामलीला होती है और होली-दीवाली जैसे त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं। पीएम मोदी का 26 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में यह दौरा, उन्हीं गिरमिटिया मजदूरों के संघर्ष और सफलता को एक श्रद्धांजलि है।
About the Story:
This news report delves into the deep historical and cultural connection between Trinidad and Tobago and India, specifically the state of Bihar. Following PM Narendra Modi's visit to the Caribbean nation, the video uncovers the 180-year-old story of 'Girmitiya' (indentured) labourers who were taken from India to work on sugarcane plantations. It highlights how these labourers and their descendants transformed Trinidad into a 'Mini Bihar', preserving their culture, language (Bhojpuri), and traditions, and rising to the highest positions in the country, including the Prime Minister, Kamala Prasad Bissessar.

#PMModi #Trinidad #Girmitiya #OneindiaHindi

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Transcript
00:00प्रिधानमंत्री मोधी इंदीनों अपनी विदेश यात्रा के दूसरे चरण में त्रिनिदाद एंटोबैगों पहुंचे हैं
00:20लेकिन क्या आपको मालूम है कि केरिबियाई देश त्रिनिदाद का भारत के बिहार से बहुत खास संबंध है
00:28नहीं तो चलिए आपको बताते हैं त्रिनिदाद और टोबैगों की 180 साल पुरानी वो गिर्मिटिया कहानी जिससे ये देश बन गया मिनी बिहार
00:38त्रिनिदाद और टोबैगों की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर के निमंतरन पर पिये मोधी वहां पहुँचे हैं
00:58आप में शायद बहुत लोग ऐसे होंगे जिन्हें गिर्मिटिया शब्द का मतलब भी मालूम नहीं होगा
01:04गिर्मिटिया शब्द अंग्रेजी के शब्द एग्रिमेंट का बिगड़ा स्वरूप है
01:08एग्रिमेंट की गिर्मिट बनने की कहानी आज से 180 साल पुरानी है
01:28आम बोलचाल में भारतियक गिर्मिट कहने लगे
01:31ये दिन था 30 में 1845 का जब त्रिनिदाद और टबैगों के इतिहास में एक बड़ा निर्नायक मोड आया
01:38इस दिन एक जहाज जिसका नाम फातेल रज्जाक था वो 225 भारतिय मजदूरों को लेकर त्रिनिदाद उत्रा
01:46यही से शुरू हुई गिर्मिटिया मजदूरों की एक लंबी और कठिन यात्रा
01:50जो उन्हें पुर्वी उत्रप्रदेश और बिहार के गाउं से 13,000 किलोमिटर दूर एक अच्टे भी दुनिया में ले आई
01:57यह मजदूर पार्च से 7 साल के एग्रिमेंट पर लाए गए थे जिसे वहां की बोलचाल में गिर्मिट कहा जाने लगा
02:04और इसी कारण इन्हें गिर्मिटिया मजदूर कहा गया
02:07इसके बाद हर साल 10-15,000 मजदूर गिर्मिटिया बनकर
02:12पीजी, ब्रिटिश गोयाना, डच गोयाना, क्रिनीदाद, टुबैगो और दक्षिन अफरिका जैसे देशों में जाते रहे थे
02:19ये प्रथा 1834 में शुरू हुई थी और 1916, लगभग 82 सालों तक चली, जिसके बाद 1917 में इसे खत्म कर दिया गया
02:28विरिज बिलाल की एक किताब गिर्मिटियाज में लिखा गया है कि 1834 में ब्रिटेन ने गुलामी प्रथा पर रोक लगाई
02:35तो यूरोपिया उपनिवेशों में गन्य की खेतों में दूसरे कामों के लिए मजदूरों की भारी कमी होने लगी
02:42जिसके बाद भारत से खास कर बिहार और पुर्वी उत्तर प्रदेश से मजदूरों को कॉंट्रेक्ट पर बाहर भेजा जाने लगा
02:49पहले मौरेशिस, फिर सूरिनाम, फीजी, फिर त्रिनीदाद और टोबैगो जैसे देशों में
02:551834 से 1922 तक करी 15 लाख भारतिय मजदूरों को इस सिस्टम के तहत भेजा गया
03:02अकेले त्रिनीदाद और टोबैगो में 1845 से 1917 तक डेढ़ लाख से अधिक मजदूर पहुंचे
03:09इस दोरान सन 1902 तक आते आते आधा से ज्यादा गन्य की खेती भारतियों के हाथों में चली गई थी
03:16उन्होंने घुलामी जैसे हालातों से लड़ते हुए अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी
03:21धीरे धीरे यही मजदूर और उनके वंचस देश के विकास की रीड बन गए
03:252025 में त्रिनीदाद और टोबैगो की कुल जन संक्याव में 45% लोग भारतिय मूल के हैं
03:32यानि लगबग हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी रूप में भारत से जुड़ा हुआ है
03:37यही कारण है कि उस देश को अक्सर मिनी बिहार कहा जाता है
03:4113,800 किलोमेटर दूर बसा ये देश आज भी भारत की छवी का एक प्रतिविंब है
03:46गिरमिटिया मश्दूरों की युवापीडियां आज डॉक्टर, इंजीनियर, राजनेता और शिक्षक बन चुकी हैं
03:53इतना ही नहीं गिरमिटिया मश्दूरों के वंशेज अब देश की सत्ता तक पहुँच चुके हैं
03:58ट्रिनिदाद एंट टुबैको की प्रधानमंत्री कमला बिसेसर और राष्टपत्री क्रिस्टीन दोनों ही भारतिया मूल की महिलाएं हैं
04:05कमला बिसेसर के परदादा राम लखन मिश्टर बिहार के बकसर जिले से थे
04:09अब ये केवल राजनीतिक पहचान नहीं है बलकि भारतिया संस्कृती की जड से जुडाओ का एक मिसाल भी है
04:16आज बित्रिनिदाद में बसे अधिकांश भारतिया मूल के लोग बिहार और पुर्वी उत्तर प्रदेश से हैं
04:22खास कर बिहार के छप्रा, आरा, बलिया, सिवान, गुपाल गंज और यूपी के बनारस आजमगर जैसे भोजपूरी भाशित जिलो से
04:29यहां आज भी राम चरित्मानस, लोग गित, चैती, होली, दिवाली जैसी परंपराय जिवित हैं
04:37गिर्मिटिया अपने साथ न केवल मजबूरी लेकर आये थे, बलकि अपने संस्कार और संस्कृती भी लेकर आये थे
04:43यहां के स्कूलों में भी भोजपूरी बोली जाती है, रामलीला होती है, भारत की तरब पूजा पाठ और तीश तिवहार भी बनाये जाते हैं
04:52प्रधान मंत्री मोदी का ये दोरा उनी लाखो प्रवासियों की संगर्ष गाथा को एक श्रधानजली है, उनका यहां आना बेहत खास है, ऐसा इसलिए क्योंकि 26 साल के बाद पहली बार कोई भारतिय प्रधान मंत्री इस देश के दोरे पर पहुँचा है
05:06प्रधान मोदी ने हाली में मौरिशिस में एक भाषन में कहा था कि गिर्मिटिया चाहे जहां भी गए उन्होंने अपनी संस्कृती नहीं छोली, उन्होंने जो पुल बनाया है वो भारत और उस देश के बीच एक सेतू है, त्रिनिदाद और टुबैगो में आज भी वो से
05:36आपको कैसी लगी ये खबर हमें जरूर बताएं और ऐसी और खबरों के लिए बने रहें One India के साथ धन्यवाद

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