जब एक स्त्री चली जाती है... रिश्तेदारों के आँसू तो बहते ही हैं, पर घर की हर चीज़ भी रोती है । आँगन उसकी चप्पलों की आहट को तरस जाता। बरतन उसके हाथों का स्पर्श याद करते हैं। नदी उसके कपड़े धोने की लय भूल नहीं पाती। चिड़ियाँ उसके दाने-डालने का इंतज़ार करती रह जाती हैं। फिर भी जीवन का पहिया घूमता रहता है, उसकी यादों को सीने से लगाकर हमें संभलकर आगे बढ़ना है।