Muharram 2025: जब आप मुहर्रम और आशूरा के बारे में सुनते हैं, तो आम तौर पर दिमाग में आता है — इमाम हुसैन की शहादत, कर्बला और मुसलमानों का रोज़ा लेकिन क्या आप जानते हैं? यहूदी धर्म में भी एक ऐसा ही दिन होता है, जहां लोग रोज़ा रखते हैं, सारा दिन इबादत करते हैं, और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं।
00:00जब आप महर्म और आशूरा के बारे में सुनते हैं तो आम तोर पर दिमाग में आता है इमाम हुसेन की शहादत, कर्बला और मुसल्मानों का रोजा
00:08लेकिन क्या आप जानते हैं यहूदी धर्म में भी एक ऐसा ही दिन होता है जहां लोग रोजा रखते हैं, सारा दिन इबादत करते हैं और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं
00:16इस दिन को कहा जाता है यौम के पूर और ये दिन अक्सर इसलामी महरम के आसपास ही आता है
00:21यौम के पूर यहूदी धर्म का सबसे पवित्र और सीरियस दिन माना जाता है
00:25इस दिन यहूदी पूरे साल के गुनाहों की माफी मांगते हैं, पश्चा ताप करते हैं और कोशिश करते हैं कि अगला साल वो बहतर इंसान बन कर जियें
00:33ये दिन होता है यहूदी कलेंडर के महीने तिश्री की दसमी तारिख को, जो अक्सर इसलामी दस महरम के आसबास बढ़ती हैं, हदिस में आता है जब पेगंबर मुहमद साहब मदीना पहुँचे तो देखा कि यहूदी दस तारिख को रोजा रखते हैं, उन्होंने पूछा क
01:03उम्मत को भी रखने को कहा, अब आपको बताते हैं यहूदी यौम के पूर कैसे मनाते हैं, 25 घंटे का रोजा रखा जाता है सूरज डूबने से लेकर अगले दिन के सूरज डूबने तक, इस दोरान खाना पीना बंद, नहाना मना चपल तक नहीं पहनते, कोई काम नहीं कर
01:33फजर से लेकर सूरज ढ़ने, यानि मगर्ब तक होता है, इस रोजे को सुन्नत माना गया है, यानि करना अच्छा है लेकिन फर्ज नहीं है, यह रोजा एक अल्लह की महबद और सबर की निशानी है, पेगंबर महमद असलों ने सलाह दी कि यहूदियों से अलग बनो, इसलि
02:0325 घंटे सूरज से सूरज निकलने तक, वहीं मुसल्मानों में सूरज निकलने से सूरज ढूबने तक, ये रोजा आने वारे होता है, यहूदी इस रोजे को फर्ज मानते हैं, जबकि मुसलिमों में ये रोजा सुन्नत होता है, तो दस्त महरम सिर्फ एक दारिक नहीं, ये �