मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के दो साल बाद भी 50,000 से ज़्यादा लोग विस्थापित हैं, जो तंग और अक्सर अस्वच्छ राहत शिविरों में रह रहे हैं। उनमें से एक थलजासी बैते भी हैं, जो अब चूड़ाचांदपुर में एक युवा छात्रावास में रहते हैं, उनके साथ 500 से ज़्यादा विस्थापित कुकी लोग भी हैं। स्वच्छ पानी, उचित आश्रय और चिकित्सा सुविधाओं की कमी से जूझ रहे विस्थापितों का दैनिक संघर्ष बाहरी दुनिया के सामने नहीं आ पाता है। जातीय हिंसा को करीब से देख चुके बच्चों और परिवारों चुपचाप दयनीय जीवन जीने को मजबूर हैं। सरकार और गैर सरकारी संगठनों के प्रयासों के बावजूद, शांति और सामान्य स्थिति दूर का सपना ही बना हुआ है। यह वीडियो आपको उन लोगों की अनकही मानवीय कहानियाँ दिखाता है जो अभी भी सम्मान, उपचार और उम्मीद के साथ घर लौटने का इंतज़ार कर रहे हैं। #Manipur #IndiaNews #HindiNews #HindiSamachar #ManipurViolence #asianetnewshindi #Nationalnews #Hindinews #LatestNews #HindinewsLive #asianetnews #Todaynews #HindiSamachar #HindiNewsUpdate #ViralVideo #HindiLiveNews #BigNews #SamacharInHindi #National
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00:00मडिपूर में जातिय हिंसा भड़कने के दो साल बाद भी 50,000 से ज्यादा लोग दिस्थापित हैं
00:20जो तंग और अक्सर आस्वच राहत शिविरों में रह रहे हैं उनमें से एक थलजासी बैते भी हैं जो अब चूड़ा चांदपूर में एक युवा चात्रावास में रहते हैं
00:41उनके साथ 500 से ज्यादा विस्थापित कुकी लोग भी हैं
00:46कि अगार देनी कते हैं तो इसे दिल में से सुचित देता मजाद सी देता साथ लेकर इधर ते बहुत मुश्किर हो गया
00:55क्योंकि कि खाना पीना वे शिलिप जसन है अवुला और तो आप अपना लोकल लोकल जसन है खाना मिलता स्रू मिलता है ना
01:06अजिश्य है ना कि खाना अपना अपना से बना के चला के उसको खाताए पीता है अभी तो यह पाईशा भीना नहीं पिरीप आप हो जहताई तो बहुत मेंगा मेंगा से किसी चीह भी हो
01:23स्वाच्छ पानी उचित आश्रे और चिकित्सा सुविधाओं की कमी से जूज रहे विस्थापितों का
01:51दैनिक संघर्ष बहरी दुनिया के सामनी नहीं आ पाता है। जातिय हिंसा को करीब से देख चुके बच्चों और परिवारों चुप चाप दैने जीवन जीने को मजबूर हैं।
02:07परियासों के बावजूद शांती और सामानी इस्थिती दूर का सपना ही बना हुआ है। यह वीडियो आपको लोगों की अनकही मानविय कहानियां दिखाता है जो अभी भी संबान उपचार और उमीद के साथ घर लोटने का इंतजार कर रहे हैं।
02:27जून साल तारीक पुरा गाव जला दिया है। उसका बाद यहां रहता है। पहले शुरू शुरू में एक वनहंद्रेट जैसे गाव एक घर का गर कना गाव का जैसे हैं।
02:45हमारा गाव का है चोटीस। दोसरा भी उदरबाला इद्रटवाला पुरा बहुत वनहंद्रेट जैसे यहां मेरा ता है।
02:56उसी इतीह मं हम लो को कुछ नहीं मिलागड़ा है, थोरा थोरा कपराब बख्रा नहीं ले हम लोग Quem
03:05यह सरकार ने थो ला थोरा दिया इसको पिहन्हित के हम लोग घाया था है, żyrend कबारे में दाल जबाल मिला यहां पे तीन साल
03:16होने वाला भी और मेरा माँ कैंसर रास्टेस्ट में है और उसके मेडिकल एक्सप्रेंसेस के लिए पैसा भी बहुत प्रॉब्लम है और खाने पीजे के प्रॉब्लम में बहुत साधे हैं