00:00मडिपूर में जातिय हिंसा भड़कने के दो साल बाद भी पचास हजार से ज्यादा लोग दिस्थापित हैं
00:20जो तंग और अक्सर आस्वच राहत शिविरों में रह रहे हैं उनमें से एक थलजासी बैते भी हैं जो अब चूड़ा चांदपूर में एक युवा छात्रावास में रहते हैं
00:41उनके साथ पांसो से ज्यादा विस्थापित कुकी लोग भी हैं
00:46गारड़ देने काते हैं तो इसे दिल में से सुचेज देता मजाची देता था लिकिने इधर ते बहुर मुश्गर हो गया
00:54किन्कि खाना पीना भी घरसन नहीं अब लुकल लुकल जदशन नहीं आपना लोकल है घर अपना सब्जी बगराज़ सब्सक्वाप अपना इस बना करें उसको खाता है पीता है अभी तो आप पैसा भी ने पैसा या तो है न भूर मिहांगा किसी चीश корабि
01:23स्वाच्छ पानी, उचित आश्रे और चिकित्सा सुविधाओं की कमी से जूज रहे विस थापितों का दैनिक संघर्ष
01:52बाहरी दुनिया के सामनी नहीं आपाता है, जातिय हिंसा को करीब से देख चुके बच्चों और परिवारों चुप चाप दैने जीवन जीने को मजबूर हैं
02:03सरकार और गैर सरकारी संघर्ष नों के परियासों के बावजूद शांती और समानी इस्थिती दूर का सपना ही बना हुआ है
02:15यह वीडियो आपको लोगों की अनकही मानविय कहानियां दिखाता है जो अभी भी सम्मान, उपचार और उमीद के साथ घर लोटने का इंतजार कर रहे हैं
02:27जून चाहरी को पुरा गाव जला दए उसका बाद यहहा रहता है पहले शरूसरू में
02:38वनांधर जैसे गाव गाव कघ्र कई गाव के यस हैं हमारा गौ का है
02:46चोटीष दोस रभी उदोर बहुंरने पुरा ग На अजरे अमन भी है उस अभा OWनृ जैसे हाँ मेरा था है
02:56उसी तेह में हम लोग को कुछ नहीं मिला खा है थोड़ा थोड़ा कपरा बकरा कुछ नहीं लेया हम लोग यहां सरकार ने थोड़ा थोड़ा जिया है उसको पेहन के आम लोग आराता है खाने के बारे में दाल चावाल मिला है यहां पे तीन साल होने वाला भी और मेरा मा कैंस