PM Narendra Modi को Dharma Chakravarti की उपाधि! PM मोदी ने कहा - आचार्य विद्यानंद जी के आदर्श सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास की भावना है। सरकार के 9 संकल्प जैन मूल्यों से प्रेरित हैं!
00:00आचारे श्री विद्याननजी महराज की सौवी जवर्थी पर पियम मोधी को मिली धर्म चक्रवर्थी की उपाधी
00:05इस मौके पर पियम मोधी ने अपने संबोधन में कहा
00:08श्री विद्याननजी महराज का शताब्दी समारो एक यूग की याद दिलाता है
00:11एक महान तपस्वी के जीवन की याद दिलाता है
00:14सरकार आचारे श्री विद्यानन जी महराज के आदर्शों से प्रेरित है
00:18और सभी योजनाओं में पूंटा प्राप्त करने के लिए प्रतिबध है
00:21ताकि इस सुनिश्चित हो सके कि कोई भी पीछे न छूटे
00:24आचारे विद्यानन जी के आदर्श, सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास की भावना को प्रतिद्वनित करते हैं
00:31सरकार के नौव संकल्प जैन मूलियों से प्रेरित है
00:34आज हम सब भारत की आध्यात्म परंपरा के एक महत्वकुन अउसर के साक्षी बन रहे है
00:45पुज्याचारिय स्री विद्यारंज मुनिराज, उनकी जन्मशताब्दी का ये पुन्य पर्व, उनकी अमर प्रेरिणाओं से ओत्परोते कायरकरम
01:01एक अभुत्पुर्व, प्रेरक वातावरण का निर्मान, हम सबको प्रेरित कर रहा है
01:13इस आयोजन में, यहां उपस्ति लोगों के साथ ही, लाखों लोग, ऑनलाइन, व्यवस्ता के जरिये भी हमारे साथ जुड़े हैं
01:29मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूँ
01:34मुझे आने का आउसर देने के लिए आप सबका अभार व्यक्त करता हूँ
01:43साथिवा आज का ये दिन, एक और वज़े से बहुत विशेश हैं
01:5128 जूम, यानि 1987 में, आज की तारीक पर ही, आचार्य स्री विद्यानंजी महाराज बुलिराज को
02:09आचार्य पद की उपाधी प्राप्त हुई थी
02:13और वो सिर्फ एक संबान नहीं था
02:21बलकि जैन परंपरा को विचार, सैयम और करुणा से जोडने वाली
02:29एक पवित्र धारा प्रवाहित हुई
02:33आज जब हम उनकी जन्मशतादी मना रहे हैं
02:39तब ये तारीक हमें उस एतिहासिक छण की याद दिलाती है
02:4522 अवसर पर आचार्य स्री विद्यानंजी मुनिराज के चरणों में नमन करता हूँ
02:54उनका आशिरवाद हम सभी पर हमेशा बना रहे हैं
02:59ये प्रार्षना करता हूँ
03:02सात्यों स्री विद्यानंजी मुनिराज की जन्मशतादी का यायोजन
03:07ये कोई साधान का रिकम नहीं है
03:10इसमें एक यूग की स्मृति है
03:14एक तपस्वी जीवन की गुंज है
03:19आज इस अईत्याचिक्स अवसर को अमर बनाने के लिए
03:27विशेश स्मृति सिक्के डाग तिकट जारी किये गए है
03:35मैं इसके लिए भी सभी देश वाच्छों को अभिनन्दन करता हूँ
03:41मैं विशेश स्मृति से आज तेरे सी प्रग्य सागर जी का अविनन्दन करता हूँ
03:49उन्हें प्रणाम करता हूँ
03:52आपके मारदर्शन में
03:55आज करोडो अन्युयाई
03:58पुझ्य गुरु देव के बताए रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं
04:03आज इस अवसर पर आपने मुझे धर्म चक्रवर्ति की उपाधी देने का जो निलने लिया है
04:14मैं खुझ को इसके योग्य नहीं समझता
04:25लेकिन हमारा समस्कार है कि हमें संतों से जो कुछ मिलता है
04:33उसे प्रसाद समाज कर स्विकार किया जाता है
04:37और इसलिए
04:42मैं आपके इस प्रसाद को दिनम्रता पुरवक स्विकार करता हूँ
04:50और मा भारती के चरणों में समर्पित करता हूँ
04:56साथियों जिस दिप्य आत्मा की वानी को
05:03उनके बचनों को
05:06हम जीवन भर
05:09गुरु वाक्य मान कर
05:12उनसे सीखते हैं
05:16जिन से हमारे रदय भावात्मा गुरुप से जूड रहे हैं
05:24उनके बारे में कुछ भी बोलना
05:29हमें भावक कर देता है
05:33मैं अभी भी सोच रहा हूँ
05:36कि स्रीव विद्यान जी मुनराज की बारे में बोलने की जगर
05:41काश हमें आज भी
05:46उन्हें सुनने का सोभाग मिलता
05:49आईसी महान विभूती की जीवन यात्रा को
05:57सब्दों में समेटना आसान नहीं है
06:0222 अप्रेल 1925 को
06:06करना टका की पुन्य भूमी पर उनका अवतरन हुआ
06:11अध्यात्मिक नाम मिला विद्यानन
06:16और उनका जीवन विद्या और आनन्द का अद्वितिय संगम रहा
06:22उनकी वाणी में गंबीर ज्यान था
06:26लेकिन सब्द इतने सरल कि हर कोई समझ सके
06:33150 से अधिक ग्रदों का लेखन
06:38हजारों किलोमेटर की पद्यात्रा
06:42लाखों युवाओं को संयम और संस्कृति से जोडने
06:48का महायग्य आचारिय स्री विद्यानंजी बुनराच युग पुरुष्ट थे
06:56युग द्रश्टा थे
07:00ये मेरा सोभाग है कि मुझे उनकी आध्यात्मिक आभा को प्रत्यक्ष अनुभो करने का आउसर मिलता रहा
07:13समय समय पर वो मुझे अपना मारदर्शन भी देते थे
07:19और उनका आशिरवाद हमेशा मुझे पर बना रहा
07:24आज उनकी ज़व सताब्दी का ये मंच
07:28बे यहां भी उनके उसी प्रेम और अपने पन को मैसूस कर रहा हूँ
07:34साथिों हमारा भारत विश्व की सबसे प्राचिन जीवन तसव्यता है
07:44हम हजारों वर्सों से अमर है क्योंकि हमारे विचार अमर है
07:49हमारा चिंतन अमर है अमारा दर्शन अमर है
07:55और इस दर्षन के स्रोथ है
07:59हमारे रूशी, मुनी, महर्ची, संत और आचारिय
08:04आचारिय सरी विद्यानंजी मुनिराज
08:08भारत की इसी पुरातन प्रंप्रा के
08:12आधुनिक प्रकाश संब है
08:15कितने ही विशों पर उनकी विश्रिस अग्यता थी
08:21कितने ही छेत्रों में उनकी दक्स्ता हासिल थी
08:25उनकी अध्यात्मिक प्रकारता
08:28उनका ज्ञान
08:30कन्रा, मराथी, संक्रित और प्राकुदेशी
08:35भाशाओ पर उनकी पकड
08:37और अभी जैसे पुझे महराज्य ने कहा
08:40अठारा भाशाओ का ज्ञान
08:42उनकी द्वारा की गई साहित्य और धर्म की सेवा
08:48उनकी संगीत साधना
08:51राष्ट सेवा के लिए उनका समर्पन
08:55जीवन का ऐसा कौन सा आयाम है
09:00जिसमें उन्होंने आदर्शों के शिकर न चुए हो
09:07वो एक महान संगीत अग्य भी थे
09:13वो एक प्रखर राष्ट भग्त और स्वतमत्रता सैना भी भी रहे
09:17और वो एक अखंड वित्राग जिगंबर मुनी भी थे
09:22वो विद्या और ज्यान के बंदार भी थे
09:25और वो आध्यात विद्यानन के सोथ भी थे
09:28मैं मानता हूँ
09:32कि मान्ये सुरेंद्र अपाध्याय से
09:34आचायरे स्री विद्यानन मुनिराज बनने की उनकी यात्रा
09:39ये सामान्य मानों से
09:43महा मानों बनने की यात्रा है
09:46ये इस बात की प्रेणा है
09:51कि हमारा भविश्य
09:54हमारे वर्तमान जीवन की सिमाओं में
09:58बंदा नहीं होता
10:01हमारा भविश्य
10:04इस बात से तै होता है
10:07कि हमारी दिशा क्या है
10:09हमारा लक्ष क्या है
10:12और हमारे संकल्प क्या है
10:15साथ को
10:17आचायरे स्री विद्यानन जी मुर्याज ने
10:21अपने जीवन को सिरफ साधना तक सिमित नहीं रखा
10:29उन्होंने जीवन को समाज और संस्कृति के पुर्णन दिर्माण का माद्यम बना दिया
10:36प्राकृत भवन और अनेख शोद समस्तावनों की स्थापना करके
10:42उन्होंने गिन्यान की दिफ्षका को नई पीडियों तक पहुँचाई
10:51उन्होंने जैन इतिहास को भी उसकी सही पहचान दिखाई
10:58जैन दर्शन और अनेकांत बाद जैसे मौली ग्रंथों की रचना कर उन्होंने
11:07विचारों को गहराई, व्यापक्ता और समरस्ता जी
11:15मंदिरों के जिर्णोधार से लेकर गरीब बच्चों की शिख्षा और सामाजिक कल्यान तक
11:23उनका हर प्रयास आत्म कल्यान चे लेकर लोक मंगल तक जुड़ा रहा
11:32साथ क्यों? आचार ये विद्यानंजी महरात कहते थे
11:39जीवन तबी धर्म मैं हो सकता है, जब जीवन स्वयम सेवा बन जाए
11:52उनका ये विचार जैंद दर्शन की मूल भावना से जुड़ा हुआ है
12:02ये विचार भारत की चेतना से जुड़ा हुआ है
12:08भारत सेवा प्रधान देश है, भारत मानवता प्रधान देश है
12:15दुनिया में जब हजारों वर्षों तक हिंसा को हिंसा शेसांत करने के प्रयास हो रहे थे
12:26तब भारत ने दुनिया को अहिंसा की शक्ति का बोध कराया
12:32हमने मानवता की सेवा भाव की भावना को सर्वपरे रखा
12:40साथियों हमारा सेवा भाव अनकंडिशनल है
12:47स्वार्थ से परे है और परमार्थ से प्रेडित है
12:53इसी सिध्धान को लेकर आज हम देश में भी उन्हीं आदर्सों से प्रेड़ा लेकर के
13:06उन्हीं जीवनों से प्रेड़ा लेकर के काम कर रहे है
13:11पीएम आवास योजना हो जल जीवन मिशन हो
13:18आईश्मान भारत योजना जरुरत मंद लोगों को मुप्त अनाच
13:26ऐसी हर योजना में समाज के अंतिम पाइदान पर खड़े व्यक्ति के प्रती सेवा भाव है
13:35हमें योजना हुमें सेचुरेशन तक पहुंचने की भावना से काम कर रहे है
13:44यानि कोई भी पीछे न छूटे
13:48सब साथ चलें
13:51सब मिलकर आगे बढ़ें
13:55यही आचारे सी विद्यानन मुनिराटी पेरना है
14:00और यही हमारा संकल्प है
14:04साथ्यों हमारे तिर्सं करोगी
14:11हमारे मुनियों और आचारियों की वानी
14:15उनकी शिक्षाएं हर काल में उतनी ही प्रासंगी घुती है
14:23और खासकर आज जैन धर्म के सिध्धांत
14:29पांच महावरत
14:31अनुवरत
14:34तिरीरतना
14:35शटावशक
14:37यह आज पहले से भी कहीं ज़्यादा महत्वपुन हो गए है
14:43और हम जानते हैं
14:46हर यूग में
14:48साथ्वत सिक्षाओं को भी
14:51समय के साथ
14:53सामान्य मानवी के लिए
14:54सुलब बनाने की जरुवत होती है
14:57आचारे सिव विद्यानन मुनिराज का जीवन
15:01उनका काय
15:03इस दिशा में भी समर्पित रहे हैं
15:07उन्होंने
15:07वतनामृत अंदोलन चलाया है
15:10जिसमें
15:12जैन ग्रंतों को
15:14आम बोल्चाल की भाषा में
15:16प्रत्तित किया गया
15:17उन्होंने
15:19भजन संगीत के जरिये धर्म के
15:22गैरे विशयों को भी
15:24सरल से सरल भाषा में
15:26लोगों के लिए सुलब मना दिया
15:28अब हम
15:31अमर भये न मरेंगे
15:34अब
15:35हम अमर भये न मरेंगे
15:40तन कारण मिच्छात दियोतज
15:43क्यों करी देह धरेंगे
15:46आचार्यत्री के ऐसे कितने ही भजन
15:54जिन में उन्हें अध्यात्म के मोतियों को मिला कर
15:59हम सब के लिए पुन्य के माला बना दी है
16:03अब हम अमार भये
16:07न मरेंगे
16:09अमरता में ये सहज विश्वास
16:12अनंती और देखने का ये होसला
16:16यही भारती अध्यात्म और संस्कूत्य को इतना खात बनाती है
16:20साथियों
16:24आचारे स्री विद्यानन मुनिराज की जन्वस्तादी का इवर्ष
16:27हमें निरंतर
16:30प्रेणा देने वाला है
16:32हमें आचारे स्री के अध्यात्मिक बचनों को
16:36अपने जीवन में आत्म साथ तो करना ही है
16:41समाज और राश के लिए
16:43उनके कारियों को हम आगे बढ़ाएं
16:47ये भी तो हमारा दाईत्म है
16:50आप सब जानते हैं
16:54आचारे सी विद्यानन मुनिराज ने
16:57अपने साहित्य के जरिये
16:59अपने भजनों के माद्यम से
17:02प्राचीन प्राकृत भाषा का कितना पुनरुद्धार किया
17:07प्राकृत भारत के सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है
17:14ये भगवान महाविल के उपदेशों की भाषा है
17:19इसी भाषा में पुरा मूल जैन आगम रचा गया
17:28लेकिन अपनी संस्कृती की उपेख्षा करने वालों के कारण
17:35ये भाषा सामान्य प्रयोग से बहार होने लगी थी
17:41हमने आचायरे स्री जैसे संतों के प्रयासों को देश का प्रयास बनाया
17:48पिछले साल अक्तूबर में हमारी सरकार ने प्राकृत को शास्त्रिय भाषा का दर्जा दिया
17:59और अभी पुझ आचायरे जी ने उसका जिक्र भी किया हम भारत की प्राचिन पंडूलीपियों को डिजिटाइज करने का अभ्यान भी चला रहे हैं इसमें बहुत बड़ी मात्रा में जैन धर्मग्रदों और आचारियों से जुड़ी पंडूलीपियां शामील हैं और अ�
18:29पचास हजार से ज्यादा पंडूलीपियों के विशे में हमारे सची महोदर यहां बैटे हैं वो आपके पीशे पढ़ जाएंगे
18:38हम इस दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं अब हम हार एजुकेशन में भी मात्रु भाषा को बढ़ावा देते हैं
18:56और इसलिए मैंने लाल किले से कहा है हमें देश को गुलामी की मानसिक्ता से मुक्ति दिलानी है
19:09हमें विकांस और विरासत को एक साथ लेकर आगे बढ़ना है
19:16इसी संकल्प को केंद्र में रख कर हम भारत के सांस्कृतिक स्थलों का तीर्थ स्थानों का भी विकांस कर रहे हैं
19:30दो हजार चौबिस में हमारी सरकार ने भगवान माहविर के दो हजार पांच सो पचांच में निर्वान महोत्व का व्यागपक स्थर पर आयोजन किया था
19:46इस आयोजन में आचारे स्रिफ विद्यानन मुनी जी की प्रेणा शामिल थी इसमें आचारिया स्रिफ पग्य सागर जी जैसे संतों का आशिदवाद शामिल था
20:00आने वाले समय में हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर और उसे और समृद्ध बनाने के लिए
20:10ऐसे ही बड़े कारकमों को निरंतर करते रेना के इसी कारकम की तरही हमारी ये सारे प्रयास जन्भागिदारी की भावना से होंगे
20:27सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास इस मंतर से होंगे
20:36साथियों आज मैं आपके बीच आया हूँ
20:40तो नवकार महामंतर दिवस की स्मृति आना भी स्वाभावी कहा है
20:45उद दिन हमने नव संकल्पों की ये भी बात की थी
20:53मुझे खुशी है कि बड़ी संक्या में देशवासी
20:58उन संकल्पों को पुरा करने में लगे है
21:02आचारे सी विद्यानन मुनिराज से हमें
21:07जो मारदर्शन मिलता है
21:09वो इन नव संकल्पों को और मजबूती देते हैं
21:15इसलिए आज इस आउसर पर
21:18मैं उन नव संकल्पों को फिर से
21:22आपके साथ साज़ा करना चाहता हूँ
21:26पहला संकल्प पानी बचाने का है
21:31एक-एक मुंद पानी की कीमत समझनी है
21:36यह हमारी जिम्मेदारी भी है
21:39और धर्ती मा के पती फर्ज भी
21:43दूसरा संकल्प
21:46एक पैड मा के नाम
21:50हर कोई
21:52अपनी मा के नाम एक पैड लगाएं
21:56उसे बैसे ही सीचे
21:59जैसे मा हमें सीचती रही है
22:03हर पैड मा का आशिरवाद बने
22:08तीसरा संकल्प
22:10स्वच्छता का
22:13साप सपाई शिरफ
22:15दिखावे के लिए नहीं
22:18यह भारत की अहिंसा है
22:21हर गली, हर महला, हर शहर स्वच्छ हो
22:27हर किसी को इस काम में जुटना है
22:30चौता संकल्प
22:32बोकल्प और लोकल
22:35जिस सीज में
22:38किसी भी भारतिय का पसीना हो
22:42जिसमें हिंदुस्तान की मिट्टी की खुश्बू हो
22:49वही खरीजनी है
22:52और आप में से ज़ाजातर लोग व्यापार कारोबार में रहते हैं
22:59आप से मेरी भीशे सपेक्षा है
23:01अगर हम व्यापार में है
23:04तो हमें अपनों के बनाए सामान को ही
23:10प्रात्फित्ता से बेचना है
23:13प्रम मुनाभा नहीं देखना है
23:18और दूसरों को भी प्रेडित करना है
23:25पाँचवा संकल्प
23:27देश का दर्शन
23:29दुनिया देखनी है जरुर देखिये
23:33लेकिन अपने भारत को जानिये
23:37समझिये महसूस कीजिये
23:40छटा संकल्प
23:43नेचरल फार्मिंग अपनाने का
23:46हमें धर्ती मा को
23:49जहर से मुक्त करना है
23:52खेती को रसायनों से दूर ले जाना है
23:57गाउं गाउं में प्राकृतिक खेती की बात पहुचानी है
24:02यह हमारे पुझे महाराज साब जूते न पहने
24:08इतने से बात नहीं चलेगी
24:10हमें भी तो धर्ती मा की रक्षा करनी हो गई
24:13सात्मा संकल्प
24:20हेल्दी लाइश्टाई का
24:23जो खाएं सोच कर खाएं
24:27भारत की पारमपारिक खाली में
24:31स्री अन्न हो
24:33हमें भोजन में
24:36कम से कम
24:37दस प्रतिशत तेल भी कम करना है
24:41इससे
24:44मोटा भाभी जाएगा
24:47और जीवन में उर्जा भी आएगी
24:50आठवा संकल्प
24:53योग और खेल का है
24:56खेल और योग
24:59दोनों को
25:00बैनिक जीवन का हिस्सा बनाना है
25:04नवा संकल्प
25:06गरीब की मदद करना
25:09किसी गरीब के हैंड होल्डिंग करना
25:13उसे गरीबी से निकलने में मदद करना
25:17यही असली सेवा है
25:19मुझे विस्वाफ है
25:21हम इन नव संकल्पों पर काम करेंगे
25:25तो आचारे स्री विद्यादन जी
25:28मुनिराज जी को
25:29और उनकी शिक्षाओं को भी
25:32ज्यादा ससक्त करेंगे
25:34सादियों
25:37भारत की चेतना को
25:39हमारे संतों के अनुभवों को लेकर
25:43हमने देश के लिए
25:46अमृत काल का वीजन सामने रखा है
25:49आज
25:51एक सो चालिस करोर देश व्यासी
25:54देश के अमृत संकल्पों को पुरा करते हुए
25:58विक्सित भारत के निर्मान में जुटे हैं
26:02विक्सित भारत के इस सपने का मतलब है
26:06हर देश वासी के सपनों को पूरा करना
26:10यही
26:12आचारे से विद्यानजी मृत जी ने
26:16हमें प्रेरणा दी है
26:18उनकी दिखाए प्रेरणा पत पर चलना
26:22उनकी सिख्षाओं को आत्मसाथ करना
26:26राष्ट निर्मान को अपने जीवन का पहला धे बना लेना
26:31यह हम सबकी जिम्मेदारी है
26:34मुझे विस्वाथ है
26:37आज इस पवित्र आउसर की उर्जा
26:40हमारे इन संकल्पों को ससर्ट बनाएगी
26:44और अभी पध्यजारा माराथ साहब ने कहा
26:50कि जो हमें छेड़ेगा
26:54कि जो हमारे इन संकल्पों को अपने संकल्पों को अपने संकल्पों को अपने संकल्पों को अपने संकल्पों को अपने संकल्पों को अपने संकल्पों को अपने संकल्पों को अपने संकल्पों को अपने संकल्पों को अपने संकल्पों को अपने संकल्पों को अपने संकल
27:24मैं जैनियों के कारकम मैं हूँ
27:35अहिंसा बादियों के बीच हूँ
27:43और अभी तो आगा वाक्या बोला हूँ
27:48और आपने पूरा कर दिया
27:52कहने का तात्पर यह है कि
27:58भले शब्दों में नहीं कहा
28:00शायद आप आप अपरेशन चिंदूर को आशिरवाद दे रहे थे