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Uttarakhand Flood News: अषाढ़ का महीना (the month of ashadh) शुरू हो चुका है और मॉनसून देश के अधिकांश हिस्सों को अपनी चपेट में ले चुका है. इस बीच पहाड़ों में जबरदस्त बारिश हो रही है. खास तौर से उत्तराखंड, (Uttarakhand) हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) और जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में बारिश तबाही मचा रही है. उत्तराखंड में हर साल बारिश (Uttarakhand Rain) के चलते भूस्खलन की घटनाएं सामने आती हैं. साथ ही साथ नदियों नालों (Flood in Rivers) में उफान की वजह से बाढ़ भी भीषण तबाही मचाती है. उत्तराखंड में होने वाली बारिश, उफनती नदियां और भूस्खलन (Land Slide in Uttarakhand) बरसात के मौसम की पहचान बन गई है. हर साल ये मौसम अपने पीछे तबाही का एक दर्दनाक मंजर छोड़ जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है. इसका जवाब आप ये कहकर दे सकते हैं कि ये प्राकृतिक आपदा (Natural Disaster) है. इसमें इंसानों का क्या बस चलने वाला है. लेकिन क्या वाकई में ये मामला यहीं तक सीमित है. क्या मानव का इस तबाही के पीछे कोई हाथ नहीं है. इस वीडियो में हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर बारिश के मौसम में उत्तराखंड में ही क्यों भारी तबाही मचती है, क्यों लैंडस्लाइड की घटनाएं ज्यादा होती हैं?

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Transcript
00:00उत्तरा घंड में क्यों मच्ती है भारी तबाही?
00:04हर बारिश में उत्तरा घंड का क्यों होता है घंड घंड?
00:08क्यों होते हैं इतने ज्यादा लेंड स्लाइड?
00:12ये तस्वीरें हैं उत्तरा घंड की
00:14ये तस्वीरें इस बात की कवा है कि कैसे उत्तराखंड में बारिश में मौसम में हर साल तबाही आती है
00:21इन तस्वीरों को समय के हिसाब से बाटना बिल्कुल सही नहीं होगा
00:26क्योंकि साल तो बदल जाते हैं पर उत्तरा खंड के कई इलाकों की ये तस्वीर जसकी तस रहती है
00:32कई घर बाड के पानी में समाती हैं कईयों की जान जाती है
00:36इंसानों के साथ हर साल सैंकडो जानवर भी अपनी जान खोती है
00:41बाढ़ के बाद हालात सुधरते सुधरते दो तीन महीने लगते हैं फिर जिंदगी एक बार पटरी पर लोटती है उसके बाद मौनसून में फिर वही हाल होता है
00:51लेकिन इनसान तो यही है कहते फिरते हैं कि कुदरत के कहर के आगे किसी की नहीं चलती इसी एक वाक्य के साथ वो हर साल इस तबाही को झेलते नजर आते हैं लेकिन क्या वाकई इस मामले में केवल कुदरत को दोश देना सही होगा इसका जवाब है कुछ हद तक लेकिन पूर
01:21बीढ़ी की क्या गलतियां हुई जिसका खामयासा उनको हर साल भुगतना पड़ता है।
01:51लेकिन यहां के इंसानों ने जो विनाशकारी गतिवीध्यां की उन पर नजल डालनेना ज्यादा जरूरी है।
02:21अथिती ऐसी ही नजर आती है। फिर भी इन सारी परिशानियों की तरफ ना तो उत्तरागंड की सरकारों ने पहले ध्यान दिया और नहीं अब ध्यान देने को तैयार है।
02:31उल्टे नित नई यूजनाओं का एलान हो रहा है और उनकी वजह से ऐसी परिशानियों को लगातार न्योता मिलता है।
02:39ऐसी आफ़त सर पर मंडराने लगे तो बचाव राहत कारे के अलावा कोई चारा नहीं बचता।
02:452013 में केदारनाथ में जब बादल फटा और उसमें हुई तबाही से सीख नहीं ली गई।
02:51जून के महिने में ही 2013 में 6000 से ज्यादा लोगों की चाने चली गई।
02:56हालकि ये सरकारी आंकड़ा है। कई रिपोर्ट्स की माने तो मरने वालों की संख्या इसते कई ज्यादा थी।
03:02जिस पर विश्वास करना मुम्के नहीं लगता।
03:062013 में बाढ़ की वजह से 14 बाढ़ी ग्लेशर के टूपने से मंदाकनी नदी में भयंकर बाढ़ाई।
03:13इसको भले ही लोग कुदरत के कहर का नाम दे। लेकिन दश्कों से वनों की कटाई।
03:18और उपर मानविय विनाशकारी कार्यों का हमने जिकर किया।
03:22नहीं किया जाता तो शायद इतनी दबाही नहीं मचती।
03:26लेकिन इंसान की फितरत है कि जब वो संकट से मुक्ति पा जाता है तो संकट की असल वजह के प्रती लापरवाही बरतता है।
03:34उत्तरखंड हो या फिर देश के सभी पहाड़ी रच्या हाल कुछ ऐसे ही नजर आते हैं जिसकी वजह से वहां की लोग हर साल ऐसी स्थिती से जूचते नजर आते हैं।
03:46वहराल इस खबर में इतना ही तमाम बड़ी खबरों और जानकारी के लिए आप बने रहिए One India हिंदी के साथ।

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