Story of a real life man Dasharat Manjhi, who paved the way through a man.
IMDB Ratings: 8.0
Images/footage Source: Viacom 18 Motion Pictures
Director: Ketan Mehta
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00:00फिल्म की कहानी शुरू होती है और हम देखते हैं एक आदमी को इस आदमी की बीवी मर गई होती है ये एक पहाड पे खड़ा होता है और ये पहाड से कहता है बहुत बड़ा है तू बहुत अकड है तेरे में बहुत जोर है अरे भरम है देख कैसे उखाडते हैं अकड तेरी �
00:30इसका बाप पूछ रहा होता है कि कहां जा रहा है लेकिन वो जवाब ही नहीं देता दशरत पहाड पे जाता है और हथोड़े से पहाड को तोड़ना शुरू करता है पहाड इतना बड़ा होता है और दशरत इसको तोड़ रहा होता है अब कहानी वक्त में पीछे आ जाती है �
01:00परज़ा वापिस देने के लिए पैसे ही नहीं होते जिस पर वो अपने बेटे को मुखिया के हवाले करने लगता है लेकिन दशरत यहां से भाग जाता है दोस्तों वीडियो को लाइक सुरूर करना और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करके बैल आइकन जुरूर दुबाना ता
01:30दशरत इस लड़की को मतासर करने के लिए नाचता है और वो उसे मतासर करने में काम्याब हो जाता है फिर इन में एक साथ बस की छट पे सफर करने का इत्तफाक होता है दशरत की किसी से बात होती है वो दशरत की बाते सुन रही होती है और उसे दशरत का नाम पता चल जात
02:00को नहीं पहचानता और जब दशरत उसे बताता है कि वो कौन है तो वो दशरत को पिटवाता है क्योंकि दशरत मीची जात का आदमी होता है और मुखिया उंची जात का दोस्तों सरकार ने ऐलान कर दिया होता है कि सब लोग बराबर हैं दशरत को ये पता चला था और वो गा�
02:30दशरत के बाप का नाम मगरूर मांजी होता है। वो अपने बेटे की बीवी लेने जाता है जो कि अपने बाप के गर पे होती है। लेकिन उस लड़की का बाप नहीं मानता क्यूंके दशरत पहले भाग गया था। और वो एक सरकारी नोकरी वाले से अपनी बेटी की शादी क
03:00कोई मजे वाली जिन्दगी नहीं होती। इन्हें कभी कभी खुशी नसीब होती है। मुख्या जैसे लोग दशरत जैसे लोगों को सकून से जीने नहीं देते। और दशरत अपनी जिन्दगी को लेकर आसमान में देखके अपने खुदा से शिकायत करता है। दशरत को को�
03:30और लोगों के जाने के बाद ये दोनों कीचड में से निकलते हैं, ये दोनों कीचड में छुप गए थें, और अब इन दोनों के पास एक दूसरे का साथ होता है, दोस्तों मुखिया के बेटे का नाम रुआब होता है, एक दिन रुआब फगुनिया से बात करते हुए उसका
04:00को अपनी बीवी पे भरुसा रखना चाहिए था
04:02दशरत अपनी बीवी को मनाता है
04:04और फिर उसे पता चलता है कि
04:05ये दोनों माबाप बनने वाले हैं
04:07ये दोनों घर से बाहिर होते हैं
04:09और पीछे से रुआप बंदूक लेके
04:11इनके घर आ जाता है
04:12वो दशरत को ढूंड रहा होता है
04:14क्योंकि दशरत ने उसे बीच बजार में पीटा था
04:17और रुआप की नाग तूटी होती है
04:19रुआप किसी जुमरु नाम के आदमी की बीवी को
04:21उठा के ले जाता है और जुमरु कुछ नहीं कर पाता
04:24और फिर उसे उसकी बीवी मरी होई मिलती है
04:27जुमरू अपनी बीवी को घर में रखके घर को आग लगाता है
04:30इस तरह वो अपनी बीवी का हंतिम संसकार करता है
04:33और दशिरत उसका परिवार ये देख रहे होती है
04:36दशिरत के घर में बेटा पैदा होता है
04:38और फिर दुबारा से इनके घर में बच्चा पैदा होने वाला होता है
04:42लेकिन एक तिन फगुनिया पहाड पे चल रही होती है
04:45कि उसका पाउं फिसल जाता है और वो घिर जाती है
04:48देशरत को इस बारे में पता चलता है और वो अपनी बीवी को अस्पताल लेके जाता है लेकिन उसकी बीवी मर जाती है पर उसके घर जो बच्चा होने वाला था वो बेटी होती है पगुनिया तो मर जाती है लेकिन इनकी बेटी बच जाती है दोस्तों फिल्म की कहानी के श�
05:18तोड़ रहा होता है तशरत पहाड से कहता है कि तुझे क्या लगता था कि नहीं लोटेंगे गलत जब तक तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं बहुती लंबा दंगल चले गारे तुम्हारा और हमारा पहार तोड़ते हुए तशरत को चोट भी लगती है और ज�
05:48कि कोशिश करते हैं लेकिन दशरत कहां रुकने वाला था वो बताते हैं कि दशरत कु इस हालत में देख के उन्हें दुख होता है जिसपे दिशरत कहता है मुझे देखने से दुख होता है ठीक है नहीं दिखाई देंगे और अब दशरत पहाड पे حी अपनी रहने की जगाः
06:18शांदार जबरतस्त जिन्दाबाद
06:20अलोक जह मांजी से पहार तोड़ने की वज़ा पूचता है
06:23जिस पे मांजी बताता है कि लोग कहते हैं हम पागल है जिन्दकी खराब कर रहे हैं
06:27आप अपना वक्त खराब मत करिये ये अंदर का जखम है
06:30अंदर का जखम यानि के मन का जखम
06:33अब 6 साल गुजर गए होती हैं
06:35और दशरत ने हितना पहार तोड लिया होता है
06:37और वो अभी भी पहार को तोड रहा होता है
06:40और लोग इसके बनाए हुए रस्ते से गुजर रहे होते हैं
06:43दशरत के बच्चों को दशरत के पापा पाल रहे होते हैं। दशरत के पापा दशरत से दुबारा शादी करने के लिए कहते हैं। लेकिन वो कहता है कि फगोनिया को क्या जवाब देंगे। यानि कि वो अपनी बीवी के मरने के बाद भी अपनी बीवी से बेवफाई करने व
07:13पहार निकालना इतना असान है क्या जिस पे मांजी पूचता है कि पहार तोड़ने से भी मुश्किल है क्या इस पे वो खमोश हो जाता है।
07:43पहार तोड़ने के लिए लोगों को पहार का आधा चकर लगाना पड़ता होता है।
08:13के बाद मांची को ओश आती है
08:15और उसे पहाड के अंदर पाणी मिलता है
08:17जिसे वो पी लिता है और उसे पत्ते
08:19मिलते हैं जिनें वो खा लेता है
08:20वो अपनी बीवी की याद में वक्त गुजार रहा होता है
08:23फिर एक दफ़ा पहाड तोड़ते हुए
08:25उसके सामने एक सांप आ जाता है
08:27सांप मांजी के पाउं के अंगूठे पे डस के चला जाता है
08:30दिशरित अपने अंगूठे को कपड़े से बंद करता है
08:32चैनी को अपने अंगूठे पे रखता है
08:34चैनी पे हतोडी मारता है
08:36और इस तरह वो अपना अंगूठा ही काट देता है
08:38ताके वो सांप के जहर से बच जाए
08:40और इसके बाद वो बेऊश हो जाता है
08:42ख्वाब में उसे अपने बीवी नजर आती है
08:44और वो शाने पे वो देखता है
08:46कि उसके गाउं गहलूर में बारिश हो रही है
08:48अब गहलूर में सबजा नजर आ रहा होता है
08:51और गाउं के लोग वापस आ जाते हैं
08:53और वो मांजी के पहाड में बनाए हुए रस्ते से गुजरते हैं
08:56और अब मांजी का बाप अपने बेटे की महनत पे खुश होता है
08:59पहाड तोड़ते हुए नो साल गुजर गए होते हैं
09:02और मांजी ने अब इतना सारा पहाड तोड़ दिया होता है
09:05दोस्तों जुमरू की बीवी को रुआप उठा के ले गया था
09:08जुमरू भाग गया था और अब वो वापस आता है
09:11और अब उसकी अपनी फोज होती है
09:12और इनके पास बंदुकें होती है
09:14वो मुखिया को पकड़ता है पर उसका बेटा रुआप छुप जाता है
09:18और जुमरू खुले में लोगों के सामने मुखिया को मारने वाला होता है
09:22मुखिया ने लोगों के साथ जुलम किये होती है
09:24लोगों के साथ इसने गलत किया होता है
09:26इसलिए लोग इसके खिलाफ होती है
09:28मांजी जुमरू को रोकने की कोशिश करता है
09:30लेकिन नहीं रोक पाता
09:32और जुमरू के कहने पे मुखिया को फांसी दे दी जाती है
09:35पर फिर रुवाप वहाँ पुछ ले आता है और यहाँ पर जुमुरू हूर उसके आदमियों का और पुलिस का आपस में मुकाबला होता है
09:41गोलियां चलती है और इस मुकाबले में जुमुरू तो मर जाता है लेकिन मांजी का बाप भी मर जाता है
09:47क्यूंके गोली नहीं पूचती के तुम कौन हो और मांजी अपने बाप का अंतिम संसकार करता है और साथ में ही और भी मरने वालों के अंतिम संसकार होते हैं
09:56वो पतरकार अलोक जा दुबारा से मांजी से मिलने आता है और इस तफ़ा मांजी इस से गुस्से से बात करता है
10:17इंदरा गांधी से सड़क के बारे में बात कर सके
10:19ताकि इसके गाउं में सड़क बन जाएं
10:21लोग चार इंदरा गांधी को बताता है
10:23कि ये 12 साल से पहाड खोद रहा है
10:25लोगों की भलाई के लिए काम कर रहा है
10:28और मांजी उनसे रोड बनवाने का कहता है
10:30और इंदरा गांधी मांजी के साथ तस्वीर केचवाती है
10:33पहाड तोड़ते हुए एक दफ़ा मांजी के पास रुआब आता है
10:36और रुआब मांजी से अच्छे से बात करता है
10:39वो दिखाता है कि अकबार में मांजी की इंदरा गांधी के साथ तस्वीर चपी है
10:43और तस्वीर के साथ लिखा होता है मांजी मांटेन मैन यानि के मांजी पहाड वाला आदमी
10:49रुआब बताता है कि वो मांजी की सरकारी मदद करवाएगा
10:52सरकारी पैसा मिले का पहाड तोड़ने के लिए
10:55वो दशरत को एक सरकारी आदमी के पास लेके जाता है
10:58और वहां दशरत का कागजी काम होता है
11:00और दशरत का अंगुठा भी लगवाया जाता है
11:03मांजी के जाने के बाद वो सरकारी आदमी रुआप को बताता है
11:06कि 25 लाक रुपे सैंक्शन कर रहे हैं
11:09यानि कि रुआप ने जो भी किया अपने फाइदे के लिए किया
11:12और मांजी को धोका दिया
11:13मांजी की बेटी को एक लड़के से प्यार होता है
11:16ये दोनों शादी करना चाहते होते हैं
11:18और ये मांजी को इस बारे में बताते हैं
11:20लेकिन उस लड़के का बाप अपने बेटे की शादी करने के लिए त्यार नहीं होता
11:24पर मांजी उसे मना लेता है और अपनी बेटी की इसके बेटे से शादी करवा देता है
11:29अब होता है सन 1975, 15 साल गुजर गए होते हैं मांजी को पहार तोड़ते हुए
11:34मांजी देखता है कि रुआब मांजी के किये हुए काम से पैसे कमा रहा है
11:39मांजी पहार तोड़ रहा होता है और पहार तोड़ने से जो पत्थर आ रहा होता है
11:43रुआब उस पत्थर को बेच के खुद पैसे कमा रहा होता है
11:46मांजी अलोक जाक के साथ वजीर गांज में वो पैसे लेने जाता है
11:50जो उस सरकारी आदमी ने इसके नाम पे जारी किये थे
11:53लेकिन यहां मानजी को पता चलता है
11:55कि इसके पैसे पहले सही कोई ले जा चुका है
11:57यह समझ जाता है कि इसके पैसे रुआब ने लिये हैं
12:01रुआप के पास अब बहुत पैसे वली चीज़ें नजर आती होती हैं। रुआप पैसे के बारे में जानने से इनकार कर दता है और मांजी वहाँ पर उसी सरकारी आदमी को देखता है जिसने उसके नाम पर पैसे जारी किये थे।
12:12मांजी समझ जाता है कि इन दोनों ने मिलके मांजी का फाइदा उठाया है
12:16मांजी बताता है कि वो दिल्ली जाके इनकी शिकायत करेगा
12:19मांजी दिल्ली जाने के लिए ट्रेन में बैठता है
12:22पर उसके पास ना तो टिकट होती है और ना ही पैसे होती है
12:25इसलिए उसे ट्रेन से निकाल दिया जाता है
12:27स्टेशन पे एक आदमी मांजी को चाय पिलाता है
12:30और फिर मांजी परधान मंतरी से मिलने के लिए पैदल ही दिल्ली निकल पड़ता है
12:34परधान मंतरी यानि के प्राइम मिनिस्टर
12:36मांजी खुले में सोता, जहां खाना मिल जाता, वहां खाना खा लेता, मांजी को एक कपड़ा मिला होता है, जिस पे दिल्ली जाने के बारे में लिखा होता है, ट्रेन की पट्री पे कुछ लोग बगावत कर रहे होती हैं, वो मांजी का वो कपड़ा देखते हैं, और वो मां�
13:06मांजी के ख्यालों में उसकी बीवी आती है और वो मांजी को होसला और हुमीद देती है
13:11अगली सुबा मांजी देखता है कि कुछ लोग पहाड तोड रहे हैं जिस पे मांजी को अच्छा लगता है
13:16पर फिर रुआब वहां पे कुछ आदमियों के साथ आता है
13:19पहाड के सारे पत्थर रुआब ने बैचे और इल्जाम मांजी पे आ जाता है
13:23और मांजी को पत्थर चौरी के इल्जाम में थाने में बंद कर दिया जाता है
13:27मांजी पहार तोड़कर सड़किस लिए बना रहा था ताकि गहलो और गाउं से वजीर गंज का असान रस्ता बन जाए
13:34पर वैसा नहीं हुआ जैसा मांजी ने सोचा था
13:36लेकिन फिर थाने के बाहर लोग आ जाते हैं और मांजी को रिहा करने की मांग करते हैं
13:41उनके मताबिक मांजी को फसाया गया है मांजी एक संत आदमी है
13:45जिस पे ऐसे चो मांजी को रिहा कर देता है और थाने से बाहर आने पे वो देखता है कि उसके नाम के नारे लग रहे हैं
13:52अब होता है सन 1982 और मांजी को पहाड तोड़ते हुए 22 साल गुजर गए होते हैं
13:57मांजी और उसका साथ देने वाले लोग एक बड़े पत्थर को हटाते हैं और अब पहाड में से पूरा रस्ता बन जाता है
14:04रात को लोग इस रस्ते के बनने की खुशी मना रहे होते हैं वो नाच रहे होते हैं
14:09और मांजी को लोगों के बीच में वो खुद और उसकी बीवी फगुनिया एक साथ नाचते हुए नजर आते हैं
14:15ये मांजी के मन की नजर होती है
14:17दोस्तों मांजी ने अकेले ही पहार तोड़ दिया होता है
14:20चाहे 22 साल लग गे लेकिन उसने वो काम कर दिया
14:23जो कोई करने का सिर्फ सोचता ही होगा करता नहीं होगा
14:26और इसको करने का सिर्फ बोलता ही होगा
14:29मांजी को लोग पगला पहार तोड़वा कहते होते हैं
14:32यानि के पागल पहार तोड़ने वाला
14:34लेकिन मांजी को इसकी कोई परवा नहीं थी
14:36दोस्तों पहार तोड़ना शुरू करने के 52 साल बाद और पहार के बीच से रस्ता बनने के 30 साल बाद और मांजी की मौत के 4 साल बाद सरकार ने गहलूर में इस रस्ते पे सड़क बना दी और इस सड़क को दशरत मांजी पात नाम दिया गया जब तक ये सड़क रहेगी तब �
15:06फिल्म के आखिर में हमें मांजी की तस्वीर नजर आती है और इस तरह इस फिल्म का एंड होता है दोस्तों वीडियो को लाइक शुरूर करना और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करके बैल आकन शुरूर दुबाना ताके जब भी हमारी नई वीडियो आए तो आपको उसके �