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  • 6/20/2025

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00:58सुनील वो पैसे चीन कर घर से बाहर चला जाता है
01:05संचु मेरे बच्चे चुपो जा, कल मैं और पैसे कमा कर लाओंगी, फिर मैं तुझे मेला दिखाने जरूर ले जाओंगी
01:11संचु रोता हुआ घर से बाहर चला जाता है
01:14संचु ने जब उस बैल से रोने का कारण पूछा, तो बैल इंसानों की भाषा में बात करने लगा
01:28अरे, तुम क्यों रो रहे हो? रोना तो मुझे चाहिए, तुम्हें किस बात की तकलीफ है?
01:33मेरे पास तो मेला देखने के लिए पैसे नहीं है, इसलिए रो रहा हूँ, पर तुम्हारी रोने की क्या वज़ा है?
01:38क्योंकि मेरा मालिक मुझे किसी और को बेच रहा है, अगर मुझे कोई खरीद कर ले गया तो वो मुझे मार देंगे, क्योंकि मैं बहुत बीमार हूँ
01:47कुछ देर बाद बैल का मालिक वहां आता है, और जैसे ही वो उसकी रसी खोलने लगता है, संजू उससे विंती करता है
02:00आप इस बैल को किसी को मत दो, आपको पता है ये बीमार है, अगर आप किसी अंजान को ये बैल दोगे, तो वो इसे मार देंगे, इसका इलाज नहीं करवाएंगे, आप इसे मुझे दे दो
02:11तेरा दिमार खराब है, मैं मुफ्ट में क्यों दूँ, तुझे मैं बेच रहा हूँ इसे
02:15ठीक है, तो आप बस एक दिन रुख जाओ, मुझे पैसे एक खटे करने दो, मैं इस बैल को खरीद लूँगा
02:22अरे बागल समझाए क्या, तू छोटा सा बच्चा इतने रुपे कांसल आएगा, तुझे पता भी है ये बैल कितना महंगा विकेगा
02:28बस मुझे थोड़ी दिर का समय दो, मैं आधे घंटे में ले आऊँगा
02:31अब ठीक है, तो इसके पास बैठ जा, मैं थोड़ी दिर में आता हूँ
02:35बैल का मालिक कुछ देर के लिए अपने घर चला जाता है, संजू परिशान हो जाता है, कि वो इतनी जल्दी इतने सारे पैसे कहां से लाए, तभी बैल उससे बोलता है
02:45संजू, तुम बहुत अच्छे हो, तुम बहुत दयालू हो, इसलिए मैं तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ
02:53मैं तुम्हें वो इस्थान बताता हूँ, जहां धन से भरा हुआ एक कलश दबा हुआ है, तुम उसमें से थोड़ा धन मेरे मालिक को दे कर मुझे खरीद लेना, और बाकी का धन तुम्हारे काम आ जाएगा, जिससे तुम मेला भी देख सकते हो, और तुम्हारी सारी गरी�
03:23इनसान के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं, मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूँ, इसलिए तुम जल्दी से वो धन ले आओ, ठीक है दोस्त, तुम मुझे बता दो कि वो धन से भरा कलश कहा है, वो धन से भरा कलश कहीं और नहीं, इसी पीपल के पेड में है, पीपल के प
03:53बैल की कही अनुसार, संजु उसमें से थोड़ा धन लग करके कलश को वापस उसी खोकले में रख देता है, इतनी देर में मालिक आ जाता है, बैल का मालिक लालची था, उसे इस बात से कोई मतलब नहीं था कि वो धन कहां से आया, वो तो बस संजु को अपना बैल दे कर वो
04:23मैं बहुत खुश हूँ, अब तुम बाकी का बचा हुआ धन भी, वहां से निकाल लो, बैल के कही अनुसार, संजु ने उस कलश को उठा लिया, और वो बैल को लेकर घर आ गया, घर आकर उसने मा को सारी बात बताई, मा ये देखो, मेरे दोस्त ने हमारे लिए कितना सारा �
04:53ये साथ इंसानों की भाषा बोलता हूँ, जो मुझे समझते हैं, मुझे प्यार करते हैं, बाकी सब के लिए तो मैं एक आम जानवर हूँ, जो चुपचाप रहता है, किसी से कोई शिकायत नहीं करता, इतनी देर में संजु का पिता भी आ जाता है, सुनु जी, आज संजु
05:23संजु खुश था कि उसके परिवार में सब कुछ ठीक हो गया था, उसके पिता ने शराब पी नहीं छोड़ दी और गाउं में अपनी जबीन खरीद कर खेतीबाडी का काम शुरू कर दिया, बैल भी बहुत खुश था, क्योंकि उसे भी संजु के परिवार में बहुत प्य
05:53संजु खुशी खुशी अपने माता पिता और अपने दोस्त बैल के साथ मिला देखने जाता है, अपने बेटे के चेहरे पर मुस्कान देखकर शारदा और सुनील बहुत खुश थे, बैल भी अपने दोस्त का साथ पाकर खुब मज़े में जूम जूम कर मेले का आनंद उ�

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