Rath Yatra 2025 : पुरी के श्रीजगन्नाथ मंदिर में हर साल देवस्नान पूर्णिमा के पावन अवसर पर भगवान जगन्नाथ को 108 कलशों के सुगंधित जल से स्नान कराया जाता है। इस बार 11 जून को देवस्नान पूर्णिमा के दिन जब महाप्रभु को स्नान कराया गया, तो शास्त्रों के अनुसार स्नान के पश्चात वे 'मानव रूप' में अस्वस्थ हो गए। यह परंपरा सदियों पुरानी है, जिसमें भगवान की मानवीय लीला को दर्शाया जाता है। इस अवधि में उनकी विशेष देखभाल की जाती है, जिसे 'अनवसर सेवा' कहा जाता है। यह सेवा मंदिर के भीतर 'अणवसर गृह' (बुखार घर) में की जाती है, जहां दइतापति सेवक भगवान की गुप्त चिकित्सा सेवा करते हैं।
00:00पुरीके श्री जगनात मंदिर में हर साल देव इसनान पूर्णिमा के पावन मौके पर भगवान जगनात को 108 कलशों के सुगंदित जल से इसनान कराया जाता है।
00:30सेवा कहा जाता है। ये सेवा मंदिर के भीतर अडवसर ग्रह यानि बुखार घर में की जाती है। जहां दैतापती सेवक भगवान की गुप से किस्ता सेवा करते हैं।
01:00तेल एक खास तरह का आयरुवेदिक और सुगंदित तेल है जिसे भगवान जगनात के लिए खास परंपरा और विदी से तयार किया जाता है।
01:06ये तेल हर साल सिर्फ एक बार बनाया जाता है और इसमें ओशिदी तत्मों के साथ भक्ती भाव भी समाहित होता है।
01:12तेल को पूरी के बड़े औरिया मठ द्वारा तयार किया जाता है।
01:41जाले होता है तेल का तेल, ये तेल सवचा को पोशन देता है, दर्द ओ सूजन को कम करता है।
01:46हरिद्रा यानि हल्दी, सूजन और सरक्रमण से लणने में मदद करती है।
01:50नागर मोथा ये शरीर को डिटॉक्स करता है चंदन ठंडग देता है और सुगन देता है इसके लावा तुलसी भी होती है जो रोग प्रतिरोदक शम्ता को बढ़ाती है लोधर और मंजिस्टा यानि इसकिन के लिए भी काफी पायदे मंद होता है इसके लावा कुछ फूल हो
02:20को ये सिखाती है कि बिमार होना जीवन का हिस्सा है और घहरे सेवा और इलाज के माध्यम से सब कुछ ठीक हो जबता है तब उनकी भव्वे रत व्यात्रा निकाली जाएगी रत मिर्माण कारे रत खला में जोरों से चल रहा जहां महारणा सेवक तीन रतों का निर्माण कर �