चित्तूर ज़िले के पालमनेर कस्बे में रहने वाले कारीगर एल्लायप्पा ने पारंपरिक मिट्टी के बर्तनों को एक अनोखा रूप दिया है. उन्होंने ऐसा बर्तन तैयार किया है जिसमें नीचे से पानी डालने पर वह ऊपर से बाहर निकलता है, लेकिन बर्तन कहीं से रिसता नहीं. इसकी खासियत इसकी आंतरिक बनावट में है, जो पूरी तरह हस्तशिल्प से तैयार की जाती है. 2016 में इसे राज्य स्तरीय हस्तशिल्प प्रतियोगिता में पहला पुरस्कार मिला. यह बर्तन बच्चों को जादुई लगता है और कई लोग इसे शोपीस या उपयोगी वस्तु के रूप में रखते हैं. यह नवाचार भारतीय कारीगरी की पहचान बन गया है.
00:00आपने मिट्टी का ऐसा बर्तन देखा है जिसमें नीचे से पानी डाला जाए और पानी उपर से निकले बर्तन में कोई रिसाओ नहीं होता ये किसी तरह की चाल भी नहीं है ये है कारिगरी का कमाल
00:16ये आधनिक इंजिनेरिंग का भी चमतकार नहीं बलकि आंध्र प्रदेश में चित्तुर जिले के पालमनेर में एक पारंपरिक कारिगर का कौशल है
00:31वे मिट्टी के बर्तन की अंध्रुनी डिजाइन बेहत चतुराई से तयार करते हैं इसी वज़ा से नीचे डाला गया पानी उपर से बाहर निकलता है ये मिट्टी के बर्तन बनाने का खास हुनर है