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  • 6/9/2025
५ महिन्यांपूर्वी नोकरी लागली, कामावर निघालेल्या केतनचा अखेरचा दिवस ठरला...

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Transcript
00:00दोगांगी सोबत नौ अट्था विस्ची लोकल पकडली
00:13रोच्चा प्रवास
00:14पास मिनिटा थाणी एनार मनुन उतर्णे चुत तयारी
00:18बक्ता बक्ता डोलां समोर जिवलग मित्र लोकल मधुन पडला
00:22केतन सरोज ये तरुणान मुम्रा इतले अपगातात जीव गमावला
00:27यावली तच मित्र हतेच सोबत होता
00:30नेमक तेवा काई घडल पहा
00:52पहाल जादा रोच्छ डेली ये नहीमिचा काम
00:54थानी आला नहीमिचा काम
00:56ता आज्चा जो प्रवास मुझे तेख स्वरोज केतन सटी मावहेंकर ठाटला
01:03इकड़ून जानार ये सगले प्रवासी आनि समरुन येनार ये प्रवासी
01:08तर थोड़ सा धक्का भुखिये मुझे घट्ना घडली पन रेल्वे मदे सगलेच जन पोटापाने इकड़ तिख़ी जात येतास्ता
01:18अपना जिवासुन ते दर्वाजात लटकता अच्छी बन ट्रेन कसा रहा ते CST आनी CST ते कसा रहा आशे यह दोनी ट्रेनी मुंब्रह चे महदे समोर समोर आल्या
01:39अपना ट्रेन चे पना वैक्ति लटकता होता है ती बैग अपने ट्रेन ला सग्ले प्रावाशान गासाद गेली जन्ना ती बैग लागली ते प्रावाशान खाली पड़ली
01:59मजे किती वास तरेन पकलती आशे घान समर्पार केटनी लास्ति गाडी शाड़ केकता है के लिए प्राया जर्णी लोज नोर्मल गधी रहते लोज ग्रदी रहते लाली जाते अलमुस गधिखाली हुन जाते त्या टिकानी माजे मित्र जर गढवाशाती खाली घाली हाते �
02:29गर्मी घ्याहर्म वहानी तो गाणिपा ठीक है अब्चाहर्णपी एके श्लमख़ थे
02:38वन्हारोम सब्सक्रण लृट मुच्छावेश गर्णपीज कर दॊटली सेंधा के लिग युटे मरी तंडी मुच्छाता ही,
02:45दिवेला मुख्यगादी आते हैं दर्वे चेल, लाखो मानसे तो कुरून चड़ता और भायर लटकता था जातने लोका त्या गाड़ी वाने फास्ट मदे चड़ता थे त्या इशोबानी त्या मदे माझा एक मित्र पन हुबा होता के तन करून तर तोपन हुबा होता कुरू
03:15दर्वेली जशीस पास जाली गाड़ी तो त्या मेरा मदे लोका थे लोकाल हुबा थे ति अनुम्राला क्रोसी खीग होते हैं तर या दर्म्यान है कि मानसे चड़ती तो पोल्मस्स पॉब्लिक चड़ती हैं वायर लटक थे तो तोग कं है मांसे आले ते अपन दोन आपन त
03:45तीजितनू इसट क्लोश धालत्य की लेकैं हिसे अंता डेसे लेकें
03:49उल्मोंज स्टाइप
03:54पर दीजितनू ज़ितनू कि क्लोश्चंग जोटेसे
03:55वतितनू के लोको मुस्य उन्निदरनीन
04:07ऐसी आधे moищ से खे लेकें किता लेकैं
04:14तो पाटले तो तुरुमाल ग्यूनस बसला तुका ताजागया वा तुला पानी वगेरे दिला आनी माक्चय दब्यात पन
04:21तीन चा जना ने काई जना दिवावर पन पढले
04:25अधा दिपक तुला हे विचराइज होता नेमका हा संपुर्ण प्रसंग घला
04:30तु मञझे जा ठीकानी हुबंताइज हायी हारा
04:33ते रुका सिल पूर्चा करा जिगारीक ह्याजशान परावासा तुम्छा या लिइक खड़ का सिल प्रॉच
04:38तुम्चाज दरवाज इतली नागरिक पढ़ले तुम्चाज दरवाज अतली प्रावशी पढ़ले कि तासा नहीं है आमचा एच्छाद पन पढ़ले अंपाझ जे होते ना तितुन पन पढ़ले ते हैं पलस तिकड़ तैसा न तो घडले नंतर लगी चैन पन होडली चैन वो
05:08ला एक दोन जनो जप्मी होते तो एक जन डारेक्ट जोपला डारेक्ट बेशुद पढ़ला तो माच्छा डोर वाला
05:14उद्याची स्वपन पहणारा केतन बक्ता बक्ता गिला, चेन खेचले नंतर लोकल थामली असती,
05:42तर कदा चेत केतनला लवकर उप्चार मिलाले असते, अस तैचा नाथेवाई का नावाट्टे, लोकल चा गर्दीन गेतलेला बलिन मधे आणखी चाउघान शिभर पडलिये, पणि आवर कायम सो रूपी तोडगा निग्णार का, असाथ सवाल लाखो प्रवाशन शबनात न

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