Skip to playerSkip to main contentSkip to footer
  • 6/8/2025
याचिकाकर्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट सतीश त्रिवेदी ने दाखिल की है पीआईएल. कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब.

Category

🗞
News
Transcript
00:00Jajjhoon Ki Baari Kamie Ho Na Na Keval Ek Ye Prashasinik Samajshya Hai Bual Ki Ye Samvidhan Ki Hemarege Jho Mool Sanrachena Hai
00:09Ye Uske Bhi Khilaaf Čbila Jata Hai
00:12This Is Not Just An Administrative Problem But It Goes Against The Basic Structure Of The Constitution Itself
00:18Because the problem is that our own
00:37आवशक मानफस अंसाधन ही नहीं होगा तो ये न्याइक समिक्षा और न्याइक स्वतंतता ये सिर्फ जो मूल से धानत हैं सिर्फ कागजी बन कर रह जाते हैं और यही नहीं जो सम्विधान के अनुच्छेद 19.20 में राइट तू लाइफ और पर्सनल लिबर्टी का हक है वो
01:07प्रभावी न्याइ तक पहुँच ये दोनों उसका अभिन अंग माना गया है हमारे आर्टिकल 21 में दिये गए फंडमेंटल राइट का अब जब अदालतें अपनी स्विक्रित शम्ता के आधे से भी कम पदों पर पदों के जरिये चलेंगी तो या कार कर रही हो तब ऐसे म
01:37सिध्धान्तिक बन के रह जाते हैं और ये स्थिती ऐसी है कि जो हमारे न्याइपालिका के संस्थागत अखंड़ता पर भी एक जनता की नजर में प्रशन चिंद खड़ा करती है जो एक चिंदा का विश्य हमलों के लिए भी बनती है अज लॉयर अफ एन एन एन ऑफिसर अ
02:07इसकी हिस्टरी के रूप में तो सन 2000 में All India Judges Association के केस में और उसके बाद कई भी कई विदी आयोग, न्याय मंत्राले, कई रिपोर्टों के मताबिक और Supreme Court के मताबिक एक जो agreed upon strength मानी गई है वो एक औसत अगर देखा जाए तो हर 10 लाख जन संख्या पर 50 जज होने चाहिए
02:34यह एक agreed strength है जो according to Supreme Court और तमाम हमारे देश के कानून मंत्राले और Law Commission सबका एक यह है कि 50 जज for every 10 lakh people, अब यह boil down करता है, इसका मतलब हुआ 20,000 जनता के लिए एक जज, अब हमारी जो इलहाबाद High Court की स्थिति है, वो आज की तारीक में जब हमने खासकर याचिका दाखिल की
03:04समय 79 judges थे, तो that boys down to 30 lakh people के लिए सिर्फ एक जज, और अगर जैसे यह संख्या 160 भी हो जाए, तो भी लगबग 15 लाख जनता के लिए सिर्फ एक जज, तो जो Supreme Court के हिसाब से और हमारे Law Ministry और Law Commission और तमाम agreed or settled law के हिसाब से हमारी जो strength है, that is for 20,000 people there should be one judge, तो हमारे यहाँ तो हम �
03:34बहुत दूर हैं अभी, और यह एक बहुत ही चिंता का विशे बन जाता है, और एक जैसा आपने पूछा कि इसका कानूनी परणाम क्या है, जैसे आप कानूनी परणाम यह आ जाता है कि हम को तब जाना पड़ेगा M.O.P की तरफ, जो कि हमारे इस petition का एक base भी है, कि M.O.P �
04:04जिसमें यह कहा गया है कि जज की vacancy हो, उसके 6 महीने पहले जज जो potential candidates हैं उसके नाम चले जाएं, अब यहां पर यहां तक इसकी बात है कि कोई कानूनी परणाम इसका क्या होगा, अगर नहीं होता, यह चीज अगर नहीं की जाती है, तो कानूनी परणाम क्या है, तो कानू
04:34कर सकता है उनकी कमी को पूरा करने के लिए, जैसा कि एक नजीर अभी हमने recently भी देखी, Tamil Nadu governor के case में, जहां पे in case of inaction by the governor, the supreme court stepped in to pass the bills which were pending with the governor, तो जो bills pending थे governor के पास, वो supreme court ने pass करा दिये, और तो इसको कहेंगे, समभधानिक मूकता की स्थिती में, constitutional inaction की स्थिती में, यह �
05:04और court, जो भी समभधानिक दायत्व हैं, उनका निर्वाहन सुनिश्चित करा सकता है, अपनी power के तहट जो उसको समभधान के 226 अनुचेद में दी गई, अब देखी, यह तो बड़ा clear है, अगर इसका कोई भी आप history देखें, कि 170 की जो sanctioned strength की बात आती है, तो 170 की जो sanctioned strength है
05:34जब decide की गई थी, उस समय सन 2007 में किया गया था इसको, और उस समय उत्तर प्रदेश की जो जन संक्या थी, वो लगवक 18 करोड थी, तो at that time जब 18 करोड जन संक्या थी और उस समय सन 2007 में इसको strength को किया गया, उसके बाद जन संक्या हमारी बढ़के 25 करोड पहुच गई, अब �
06:04में तैह हुआ था, 2007 के बाद इतनी population बढ़ गई, हमारी population आज के आकड़े देखे जाएं तो 25 करोड के लगबग हो गई है, और अगर realistic figure आप mathematical एक calculation की बात करें कि कि कितना साल लग सकता है ऐसी स्थिती में कि इसको निस्टारित करना, एक सो साथ पूरे हो जाएं, एक सो सा�
06:34एक घंटे का लंच भी होता है उसी में, तो इस हिसाब से तो 30-40 साल लग भग लग जाएंगे, जो present workload है, अभी की tendency है, साड़े 11,00,000,000, उसको ही पूरा करने में लग भग लग भग 30-40 साल लग जाएंगे, अगर ये देखा जाए कि जैसा national judicial data grid के data के हिसाब से जो estimates हैं, व
07:04खिलाबाद High Code का estimate कर लिए जाए कि एक जज़ 1200 या 1400-1500 तक भी cases करेगा, तो भी आप ये देखें, according to the working hours, looking at the working days that are there in the year, ये सारी चीज़ें जब आप totality of ये facts को देखेंगे, तो आप पाएंगे कि mathematically लग भग 30-40 साल शायद लग जाएंगे, ये present workload को और present tendency को ही खतम करने म
07:34आप पुरानी tendency खतम कर रहे हैं, तो नए भी जूरते चले जा रहे हैं उसमें, तो ये तभी कुछ ठोस हो पाएगा इसको situation को दूस्त करने के लिए, कि जब हम 170 judges तो भरी दें, बलकि इस strength की adequacy को भी हम re-look करें, और हमें आशा और उमीद है कि बिलकुल court इस मामले को काफी
08:04जरूर situation को redress करने के लिए appropriate orders पास करेगा, including कि 160 की inadequacy को भी देख करके, कि population के अनुपात में हमारी strength और बढ़ाई जाए, उसकी समीक्षा हो कि whether it is appropriate or not, और जैसा भी appropriate पाया जाता है, especially in the light of Supreme Court का जो direction है कि हर 50 लाग के लिए, 10 लाग के लिए 50 judges होने चाहिए, मतलब कि 20 जार क
08:34लिए गर को fit कर पाएं and we fall

Recommended