Skip to playerSkip to main contentSkip to footer
  • 6/6/2025
याचिकाकर्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट सतीश त्रिवेदी ने पेंडेंसी को लेकर दाखिल की है पीआईएल

Category

🗞
News
Transcript
00:00Judges of the majority of the judges are not just a problem of a prashasinic problem, but the same thing is that the Mool-Sanraachna is also against its own.
00:12This is not just an administrative problem, but it goes against the basic structure of the constitution itself.
00:18because the problem is that in our society, the judicial independence and judicial review are the two of our people who are in our society.
00:30But when we are in our society, if we are in our society,
00:35if we are in our society and we are in our society,
00:40नयाइक समीक्षा और नयाइक स्वतंतता ये सिर्फ जो मूल से धान्त है सिर्फ कागजी बन कर रहे जाते हैं और यही नहीं जो सम्विधान के अनुच्छेद 19.20 में राइट तू लाइफ और परसनल लिबर्टी का हक है वो सिर्फ राइट तू लाइफ और परसनल लिबर्�
01:10अभिन अंग माना गया है हमारे आर्टिकल 21 में दिये गए फंडमेंटल राइट का अब जब अदालतें अपनी स्विक्रित शम्ता के आधे से भी कम पदों पर पदों के जरिये चलेंगी तो याकार कर रही हो तब ऐसे में यह हमारे जो अधिकार हैं जल्द शीग्र और प्
01:40स्थिती ऐसी है कि जो हमारे नियाए पालिका के संस्थागत अखंडता पर भी एक जनता की नजर में प्रस्ण चिंद खड़ा करती है जो एक चिंदा का विश्य हमलों के लिए भी बनती है अगर हम देखें इसकी हिस्टरी के रूप में
02:08तो सन 2000 में All India Judges Association के केस में और उसके बाद कई भी कई विदी आयोग न्याय मंत्राले कई रिपोर्टों के मताबिक और सुप्रीम कोड के मताबिक एक जो एग्रीड अपॉन स्ट्रेंग्ट मानी गई है वो एक औसत अगर देखा जाए तो हर 10 लाख जनसंख्या पर 50 जज हो
02:38है जो according to Supreme Court और तमाम हमारे देश के कानून मंत्राले और Law Commission सबका एक यह है कि 50 जज फॉर एवरी 10 लाख पीपल अब यह बॉइल डाउन करता है इसका मतलब हुआ बीस हजार जनता के लिए एक जज अब हमारी जो इलहाबाद High Court की स्थिति है वो आज की तारीक में जब हमने
03:0830 लाख पीपल के लिए सिर्फ एक जज और अगर जैसे यह संख्या 160 भी हो जाए तो भी लगबग 15 लाख जनता के लिए सिर्फ एक जज तो जो Supreme Court के हिसाब से और हमारे Law Ministry और Law Commission और तमाम agreed और settled law के हिसाब से हमारी जो strength है that is for 20,000 people there should be one judge तो हमारे यहाँ तो हम उससे बहुत
03:38विशे बन जाता है और एक जैसा आपने पूछा कि इसका कानूनी परणाम क्या है जैसे आप कानूनी परणाम यह आ जाता है कि हम को तब जाना पड़ेगा M.O.P. की तरफ जो की हमारे इस petition का एक base भी है कि M.O.P. जो है यह समवैधानिक रूप से बाध्याकारी है और आप
04:08जो potential candidates हैं उसके नाम चले जाएं अब यहां पर यहां तक इसकी बात है कि कोई कानूनी परणाम इसका क्या होगा अगर नहीं होता यह चीज़ अगर नहीं की जाती है तो कानूनी परणाम इसका सबसे पहले यही होता है कि अगर समवैधानिक प्राधिकरान और पदाधिकार
04:38रिसेंटली भी देखी तमिल नाडू गवर्नर के केस में जहां पर in case of inaction by the governor the supreme court stepped in to pass the bills which were pending with the governor तो जो bills pending थे गवर्नर के पास वो supreme court ने पास करा दिये और तो इसको कहेंगे समवैधानिक मूकता की स्थिती में constitutional inaction की स्थिती में यह से clear हो जाता है कि court step in कर सकता है, court बीच म
05:08दायत्व हैं उनका निर्वाहन सुनिश्चित करा सकता है अपनी power के तहट जो उसको समविधान के 226 अनुचेद में दी गई
05:17अब देखिए यह तो बड़ा clear है अगर इसका कोई भी आप history देखें कि 160 की जो sanctioned strength की बात आती है तो 160 की जो sanctioned strength है आज की date में यह outdated हो चुकी है आप्रसंगिक हो चुकी है क्योंकि यह sanctioned strength जब decide की गई थी उस समय सन 2007 में किया गया था इसको और उस समय उत्तर प्रदेश की
05:47और उस समय सन 2007 में इसको strength को किया गया उसके बाद जनसंकिया हमारी बढ़ के 25 क्रोण पहुच गई अब वही 160 आज हम 160 के आधे पे हैं इसमें बात यह आती है कि 160 का जो यह आकड़ा है यह 2007 में तैह हुआ था 2007 के बाद इतनी population बढ़ गई हमारी population आज के आकड़े देखे ज
06:17calculation की बात करें कि कि कितना साल लग सकता है ऐसी स्थिती में कि इसको निस्तारित करना कि 160 पूरे हो जाएं 160 पूरे हो भी जाएं तो भी अगर आप देखें कि 10 से 4 कोड बैठता है पांच घंटे मोटा मोटा working hours होते है गंटे का लंच भी होता है उसी में तो इस हिसाब से तो 30
06:47से 40 साल लग जाएंगे अगर यह देखा जाए कि जैसा नाशनल जूडिशियल डेटा ग्रिड के डेटा के हिसाब से जो इस्टिमेट्स हैं वो यह हैं कि हमारे इंडिया में हाई कोर्ट के जज़े सुप्रीम को साई कोर्ट के जज़ेस ऑन एन अवरेज हजार से पंदरा सो
07:17आप पाएंगे कि मैथमेटिकली लग भग 30-40 साल शायद लग जाएं यह प्रेजेंट वर्कलोड को और प्रेजेंट पंदेंसी को ही खतम करने में बशरते कि नए फाइल ना हो जबकि बट हालत यह है कि नए भी फाइल होते जा रहे हैं तो आप कुरानी पंदेंसी खतम कर
07:47170 जजेस तो भरी दें बलकि इस strength की adequacy को भी हम relook करें और हमें आशा और उमीद है कि बिल्कुल कोट इस मामले को काफी चिंता के साथ विचार कर रहा है और बिल्कुल कोट इसमें जरूर situation को redress करने के लिए appropriate orders pass करेगा
08:09including की 160 की inadequacy को भी देख करके की population के अनुपात में हमारी strength और बढ़ाई जाए उसकी समीक्षा हो कि whether it is appropriate or not
08:20और जैसा भी appropriate पाये जाता है especially in the light of supreme court का जो direction है कि हर 50 लाग के लिए 10 लाग के लिए 50 judges होने चाहिए
08:30मतलब कि 20 लाग के लिए एक जज होना चाहिए उस तरह के हम figure को fit कर पाए and we fall square through it

Recommended