उत्तराखंड के हल्द्वानी में रहने वाले बुजुर्ग जीवन चंद्र जोशी अपने नाम को पूरा सार्थक कर रहे हैं. जीवन जोशी ने अपनी लाइफ में सूखे चीड़ की छाल से बेहतरीन कलाकृतियां बनाई हैं. जिसे वे 'बैगेट' कहते हैं. उत्तराखंड के मंदिरों की प्रतिकृतियों से लेकर पारंपरिक संगीत वाद्ययंत्रों तक, जोशी की कृतियां इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती हैं. जोशी कहते हैं कि चीड़ की छाल को उसके लचीलेपन के कारण किसी भी प्रतिकृति में ढाला जा सकता है. उनका कहना है कि चीड़ के कई पर्यावरणीय लाभ भी हैं. जीवन जोशी बचपन से ही पोलियो से पीड़ित हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी शारीरिक अक्षमता को अपने काम के आड़े नहीं आने दिया. स्थानीय निवासी उनकी दृढ़ता और उनके काम के प्रति समर्पण की तारीफ करते हैं. लोगों का कहना है कि अगर उनके काम को सरकार से समर्थन मिलता है, तो यह स्थानीय स्तर पर बेरोजगारी को काफी हद तक दूर कर सकता है.