पोप फ्रांसिस नहीं रहे. वे सोमवार सुबह वेटिकन में 88 साल की उम्र में गुजर गए. उनकी मृत्यु के बाद पोप की चुनाव प्रक्रिया एक बार फिर सुर्खियों में है. कैथोलिक चर्च के प्रमुख और रोम के बिशप पोप का चुनाव सदियों पुरानी प्रक्रिया से होता है। इसे पैपल कॉन्क्लेव कहते हैं. पोप के इस्तीफा देने या गुजर जाने के बाद दुनिया भर के रोमन कैथोलिक कार्डिनल वेटिकन के सिस्टीन चैपल में बंद हो जाते हैं. वहां गोपनीय और बेहद प्रतीकात्मक प्रक्रिया से उत्तराधिकारी का चुनाव होता है. इस प्रक्रिया में सिर्फ 80 साल से कम उम्र के कार्डिनल ही वोट डाल सकते हैं. पोप के इस्तीफा देने या मृत्यु के अमूमन 15 से 20 दिन के बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू होती है. इससे दुनिया भर के कार्डिनल्स को वेटिकन पहुंचने का पूरा समय मिल जाता है. भारत के चार कार्डिनल्स में एक हैं, जो नए पोप के चुनाव के लिए वोट दे सकते हैं. नया पोप चुनने की प्रतीकात्मक प्रक्रिया में धुएं की काफी अहमियत होती है. हर दौर के मतदान के बाद बैलेट सिस्टीन चैपल में खास तरह से डिजाइन किए गए स्टोव में जला दिए जाते हैं. अगर किसी को दो-तिहाई बहुमत नहीं मिलता तो बैलट को खास रसायन मिला कर जला दिया जाता है, जिससे काला धुआं निकलता है. जब किसी कार्डिनल को तय वोट मिल जाते हैं, तो भी बैलट को जलाया जाता है. इस बार बैलट जलाने के लिए इस्तेमाल रसायन से सफेद धुआं निकलता है.