00:00आज तो मज़ा ही आगया ये बारिश की मुझसम में चाय पीते भीते गप्पे मरने का मज़ा ही कुछ आलागे न?
00:22बात तो सही कहे
00:25राबू काका चाय लगा दो एक कप
00:28आ देवता हो थोड़ा सबर तो करो ईया
00:33दादा जी मज़ा के बात तो बहुत हो गया
00:37आब अपनी जिन्देगी का कुछ एसा किस्सा बताओ न जो हमें आज तक आपने नहीं सुनाया
00:43एसा तो मेरी जीवन में बहुत सरा किस्सा बाहे है
00:47तुमलोग किस तरिके का किस्सा सुनना चाए थे हो?
00:51आ दादा जी उस एसा सुनाये न जो खुब ड़रावनी हो
00:57ड़रावनी! सुनना चाओगे तुमलोग?
01:01आज तक मैं जब भी उसके बारे में सोचता हूँ, मेरी रूह काप लुपते हैं। वो रात जब भी मुझे याद आती है, मेरी रौंटे खरा हो जाती है। तब तो आपको सुना नहीं होगा।
01:19तो सुनो, ये बात है 1998 की शनिवार रात, थोड़ी थोड़ी पारिश गिर रही थी। रस्ते में मैं अकेला, सर के उपर एक पत्ता लेके धीरे धीरे जा रहा था। काम के तनश में मैं एक दूसरी काव आया हुआ था।
01:42थोड़ी देर चलते चलते मुझे समने से एक अकेली लड़की सर पर छत्री लेके आते गए नजराई। मैं चलता रहा। जैसे ही मैं उसके पास आया।
01:55शीट यार ये तो बहुत बरी गलती हो गई। तुझे तो बोला ही था थोड़ा सा कम पीने के लिए। अब देख तुने ये क्या कर दिया। बाई इसमें मेनी कोई गलती नहीं है। कौन बोला था इस लड़की को गारी के नीचे आने के लिए। अब ये सब छोर जा कर दे
02:25इदर और टाइम वेस्ट नहीं करते हैं। शिदा घर चलाओ।
02:31मैं खरा-खरा वही पर देख रहा था। लड़की की सासे अभी भी चल रही थी।
02:37उसकी तिल की धरकन मुझे दूर से ही सुनाई दे रहा था।
02:42चारो तरफ मनो सन्नटा सासा गया। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था मैं क्या करूँ।
02:49कारी के अंदर बेठे दो लड़के अभी भी एक दूसरे से जगरते हुए नजर आ रहे थे।
02:54देखते ही देखते लड़की ने अपनी दम दोर दिया। दोनों लड़के उदर से चले गए।
03:02मैं धीरे धीरे चल के उसी लड़की के पास आया। मैं लड़की के चेहरे पर देखा।
03:10देखने से ऐसा लग रहा था कि मानों उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान कुछ तो इशारा कर रही थी।
03:20मेरे पास करने के लिए अब कुछ भी बचा नहीं था। अखिर कर मैंने भी वहाँ से चले जाने का फैसला किया।
03:29मैं चल तो रहा था लेकिन मेरे मन में कुछ भी सही नहीं लग रहा था। दिल में कुछ खबरहट सी हो रही थी। मैंने कुछ तो गलत किया।
03:41फिर क्या हुआ दादा जी। ये तो कहानी की बस शुरुआ थे। कुछ एसा भी हो जाएगा। मैंने उस रत तो कब भी नहीं सोचा।
03:54उसके अगले दिन गाउ के कुछ लोग इकटटा हुए लड़की की आसपास करे थे। सब लोग लड़की की और और आसपास के चीज़े बरे ध्यान से देख रहे थे। अब सबको समझ में आ गया था कि काल राथ तरसल हुआ क्या था।
04:12बरे ध्यान से सुनो सब लोग मेरी बात। ये बात हम लोग के अलाबा किसी और को पता चलना नहीं चाहिए। ये टायर के निशान देख रहे हो। ये दूरकटना एक गारे के साथ टक्कर मानने से हुई है। और अगर देखा जाये तो हमारे गाउ की मुख्या का बेटे के
04:42काउ में तुम लोग का संती से रहना है ना तो मुख बिल्कुल मत खुळ ला।
04:47उस व्यक्ति के बात से सब लोग सहमत हो जाते हैं।
04:51मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि अखिर लोग सथ जान कर भी चूप सब व्यक्ति के बाते क्यों मान रहे थे।
04:58मैं खुद को शांत नहीं कर पा रहा था।
05:01सब कुछ हमेशा की तरह चल रहा था।
05:04इससा लग रहा था किसी लोग कुछ भी नहीं पता है।
05:07इदर मुख्या का बेटा भी अपनी जिन्दी के परे अरम से कटा रहा था।
05:11एक दिन अचानक से जो व्यक्ति उस दिन बोल रहा था वो रास्ते में परा हुआ है।
05:17हे उपरवाले यह सब क्या हो रहा है।
05:21कुछ दिन पहले वो लड़की और आज ही है।
05:24इन्हें भी तो देखके इससा लग रहा है कि इनकी मोध काड़ी की टककर से हुई है।
05:30टायर के निशान भी साप साप दिख रहे है।
05:33थीरे थीरे वहाँ से लोग चले जाने लगते हैं।
05:37फिर मैं भी उसे करीब से दिखने के लिए चला जाता हूँ।
05:41देखते ही मुझे उसी रात की आदाज आती है।
05:44ओ लड़की की चेहरा।
05:46रात के अंदेरों में जीज वेक्ति की मोत हुई है।
05:49उसके चेहरे में भी वही मुस्कान।
05:52शरीर मरा हुआ तो था।
05:54लेकिन मनो कुछ बोलने की कोशिश कर रहा है।
05:58सब कुछ हुता है।
06:00फिर भी काउके कोई भी लोग मुख्या के बेटे के किलाब बोलने की हिम्मत नहीं करते है।
06:05लेकिन मैं खुद को रोग नहीं पाता।
06:08उसके अगले ही दिन मैं मुख्या के खर चला जाता हूँ।
06:11मुख्या जी, ओ मुख्या जी, आ, कौन है, अंदर आओ।
06:18मुख्या जी, वो, दारासल, क्या आओ लगा रखी हो।
06:24जो बोलना है, सब सब बोलो।
06:25मुख्या जी, गाउ में दो लोगों के मौत हुई है।
06:28आओ तो उसमें कौन सी बड़ी बात है।
06:31आये दिन लोगों तो मौत होते ही रहती है।
06:34नहीं, दारासल ये मौत कोई प्राक्रितिक मौत नहीं है।
06:37लाश के आसपास गारी के टायर के निशान देखनी को मिला है।
06:40तुम कहना क्या चाहते हो।
06:42मुख्या जी, गाउ में किसी के पास तो गारी है ही नहीं।
06:46सिवाई आपके बेटे गी।
06:48इसका मतलब तुम साफ साफ कहे रहे हो कि मेरा बेटा ही कौन है।
06:52उस दिन में कुछ भी बिना बोले ही मुख्या के खर से निकाल आया।
06:56सबुत के नाम पर तो वस्तव नहीं है।
06:58इसका मतलब तुम साफ साफ कहे रहे हो कि मेरा बेटा ही कौन है।
07:02तुमारी इतनी हिम्मत।
07:04तुम होते कौन हो।
07:06बिना कोई सबुत के तुम ये बत कैसे बोल सकते हो।
07:09अब ही निकल जाओ मेरे खर से।
07:11आइंदा कभी मेरे आसपास भी दीखना मान।
07:14उस दिन में कुछ भी बिना बोले ही मुख्या के खर से निकल आया।
07:19सबुत के नाम पर तो वास मेने ही देखा था।
07:22लेकिन मुझे कौन विशवास करेगा।
07:25कोई तो मुख्या के डर से मुझ भी नहीं खोलता है।
07:28मेरे पास कोई उपाई नहीं था।
07:30उसके अगले ही दिन से खाव में सबी लोगों में हल्ला मच गया।
07:35एक एक करके सब लोगों का वही जगा पर एक ही तरीके से मिर्ट्वने लगता है।
07:41कारी के टायर के निशान इन बातों में एक सिस दिखने में आ रहा था।
07:47सब की चेहरे में वही मुश्कान।
07:49लेकिन कोई उसे समझ नहीं पाया।
07:52लोग उसे नजर अंदश कर रहे थे।
07:55सब लोग अभी मुख्या और मुख्या के बेटे के उपर गुशा करने लगते हैं।
07:59सब लोग उन्हें मार डालने का सोचते हैं।
08:01लेकिन उसके अगले हे दिन अचानक से मुख्या और मुख्या के बेटे की वही जगा पर उसी तरीके से मोत हो जाती हैं।
08:08कारी के टायर की निशान साप साप नजर आ रहे थे।
08:12आसपस कोई कारी भी नहीं था।
08:15काउ वासी अभी तरने लग गए।
08:17लोगों को लगने लगा किसी भूरी आत्मा की नजर लग गए उस गाउ में।
08:21जो सब को एक एक कर के मरना चाती है।
08:24पुरा गाउ में खबर तेजी से फेलने लगे।
08:27सब लोग गाउ छोर कर जाने लगते हैं।
08:31उसी रात को मैंने भी फेसला ले लिया।
08:34तू भी आ गया ना मरने के लिए।
08:38कौन है? कौन है मुझे डरा रहा है?
08:41हिमाद है तो समने आओ।
08:43तुम भी आ गया ना मरने के लिए।
08:46पुरा गाउ में खबर तेजी से फेलने लगे।
08:49सब लोग गाउ छोर कर जाने लगते हैं।
08:51कौन आ जा रहा है तू?
08:54तू भी आ गया ना मरने के लिए।
08:59कौन है? कौन है मुझे डरा रहा है?
09:02हिमाद है तो समने आओ।
09:04आओंगी आओंगी जरूर आओंगी।
09:09पेचाना मुझे।
09:12अरे तुम।
09:14हाँ मैं।
09:16आज मेरा बतला पुरा हो जाएगा।
09:18वो आखरी आदमी तु ही है।
09:22जिसे मार कर मुझे मुक्ती मिल जाएगी।
09:26मुझे पता है
09:28कि जब तुमारी कारी से दूर कटना हुई थी
09:31मैं उस वक्त वहापर ही खारा था।
09:33मेरे लिए वो गाउ एकडम से नया था।
09:36और मुझे ये बात पता था
09:37कि गारी जो चला रहा था वो मुख्या का बेटा ही था।
09:41अगर मैं एकडम से उदर चला जाता
09:43क्या पता नाशे में वो मुझे भी मार ड़ा था।
09:46तुमारे साथ जो वहा वो तो मैं महसूस नहीं कर सकता था।
09:49लेकिन बाद में मुझे बहुत पस्तवा हुआ।
09:51और मैं मुख्या के पास शिकायत करने के लिए भी गया था।
09:55हो सके तो दया करके मुझे छोड़ दो।
09:58काल सुबा ही मैं तुमारी अंतिम संसकर के लिए त्यारी कर दूंगा।
10:02उसके बाद मुझे कुछ बिना बोलो ही वो उदर से चली गई।