इश्क़ खून पीता है, गोश्त खाता है || आचार्य प्रशांत, संत बुल्लेशाह पर (2017)

  • 4 days ago
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वीडियो जानकारी: शब्दयोग संवाद, 22.1.17, अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा, भारत

प्रसंग:
~ प्रेम क्या है?
~ बुल्ले शाह का प्रेम बाघ है। रक्त पीता है और गोश्त खाता है। इस पंक्ति का क्या आशय है?
~ बाबा बुल्लेशाह किस इश्क़ की बात कर रहें है?
~ प्रेम में प्रेमी के विगलन का आशय क्या होता है?


बुल्ला शाह दा इश्क बखेला,
रत पींदा गोश्त चरनदा।
~ बुल्ले शाह

बुल्ले शाह का प्रेम बाघ है। रक्त पीता है और गोश्त खाता है।
~ संत बुल्ले शाह


संगीत: मिलिंद दाते
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