इश्क़ खून पीता है, गोश्त खाता है || आचार्य प्रशांत, संत बुल्लेशाह पर (2017)

  • 5 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
२२ जनवरी, २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

बुल्ला शाह दा इश्क बखेला,

रत पींदा गोश्त चरनदा।

~ बुल्ले शाह

बुल्ले शाह का प्रेम बाघ है। रक्त पीता है और गोश्त खाता है।
~ संत बुल्ले शाह

प्रसंग:
प्रेम क्या है?
बुल्ले शाह का प्रेम बाघ है। रक्त पीता है और गोश्त खाता है। इस पंक्ति का क्या आशय है?
बाबा बुल्लेशाह किस इश्क़ की बात कर रहें है?

संगीत: मिलिंद दाते