लिंगाष्टकम् स्तोत्रम एक प्रार्थना है जो आठ अभिवादन से बनी है जो सर्वोच्च देवता को लिंग के रूप में पेश करती है। लिंग सृजन का सार्वभौमिक प्रतीक है और हर चीज का स्रोत है। यह प्रार्थना शिवलिंग की महिमा करती है और इसकी महानता का विवरण देती है। प्रत्येक छंद भगवान की महिमा और शिव लिंग की पूजा करने के लाभों को सूचीबद्ध करता है।
लिंगाष्टकम श्लोक की रचना किसने की है इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। हालांकि कई लोगों का मानना है कि इस अष्टक की रचना आदि शंकराचार्य के द्वारा की गई थी। अष्टकम लिखने की उनकी काव्यात्मक शैली को देखते हुए और शंकराचार्य द्वारा रचित शिव पंचाक्षर स्त्रोत के साथ मेल खाने वाले फलस्तुति को देखते हुए यह माना जाता है कि यह उनके द्वारा लिखा गया है।
लिंगाष्टकम में भगवान् सदाशिव (निराकार स्वरूप) के शिवलिंगो की स्तुति बहुत अद्भुत एवं सुंदर ढंग से की गयी है। इसका पाठ करने वाला व्यक्ति हर समय शांति से परिपूर्ण रहता है और यह जन्म और पुनर्जन्म के चक्र के कारण होने वाले किसी भी दुःख को भी नष्ट कर देता है।