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  • 4 days ago
Shri Ardhnarishwar Stuti | श्री अर्द्धनारीश्वर स्तुति | अति कल्याणकारी शिव स्तुति #shiv @Mere Krishna

#shiv #shiva #ardhnarishwar #शिव #शिवा

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00:00अर्ध नारिश्वर स्तुतिही
00:02वंदे महियमलं योख मौलिरत्नं देवस्य प्रकटित्सर्व मंगलाक्यं
00:12अन्योन्यं सद्रशं महीन कंकनांकं
00:17देहार्ध दुटयं उमार्ध रुद्ध मूर्टेहे
00:22तद्वन्वे गिरिपती पुत्रिकार्ध मिश्रं
00:27श्रैकंठंब पुरपुनर्भवाय यत्र
00:31वक्त्रेंदोर घटयती खंडितस्य देव्या
00:38साधर्म्यं मुपुट गतो मुलगांक खंडः
00:42एकत्र स्वटिक शिलामलं यदर्धे
00:48प्रत्यग्र दृत्कन कोज्वलं परत्र
00:52बालार्क जुति भर पिंजरैक भाग
00:57प्रालेयक्षिति धर श्रेंग भंगी मेती
01:02यत्रैकंचकित कुरंग भंगी चक्षुः
01:08प्रोन्मीलत कुचिकल शोप शोभिवक्षह
01:13मद्यम्च रिशिम समेत मुट्टमांगं
01:18ब्रिंगाली रुचिकच संच यांचितम्च
01:24स्राभोगं घन निबिडं नितंब विम्बं
01:29पादोपी स्पुट्मनि नूपुराभिरामह
01:34आलोक्यक्षण मिती नंदि नोप्यकस्मात
01:40आश्चर्यं परमुद भूद भूत पूर्वं
01:45यत्रार्धं घटयती भूरि भूति शुब्धं
01:50चंद्रान्षुच्चुरितकुबेर शैलशोभाम
01:55अल्धंच प्रणिहित कुंकुमांगरागम
02:00पर्यस्तारुणरुचिकांच नाद्रिमुद्राम
02:06यत्कांतिम्दददपी कांच नाभिरामाम
02:11प्रोण्मीलत भुजगशुभांग दोपगूढम
02:16विब्रानम् मुकुटमुपोड चारुचंद्रम्
02:21संधत्ते सपदी परस्परोपमानं
02:26आश्चर्यम् तवदैते हितं विधातुम्
02:32प्रागल्भ्यम् किमपीभवोपतापभाजां
02:37अन्योन्यम् गतमिती वाक्यमेक वक्त्र
02:41प्रोद्भिन्नम् घटयती यत्र सामरस्यम्
02:47प्रत्यंगम् घनपरिरं भतह प्रकंपम्
02:52वामार्धं भुजगभयादि वैती यत्र
02:56यत्रापीस्पुटपुलकम् चकास्तिशीत स्वहसिंधुस्नपिततयेव दक्षिनार्धं
03:06एकत्र स्पुरति भुजगभोगभंगिही नीलेंदी वरदल मालिका परत्र
03:15एकत्र प्रतयती भास्मनोंगरागह शुब्रत्वं मलयजरंजनंपरत्र
03:25एकत्रार पयती विशंगलस्यकाष्णयं कस्तूरी कृतमपी पुण्रकम् परत्र
03:34एकत्र दुतिरमलास्थि मालिकानां अन्यत्र प्रसरती मोक्ति कावलीनां
03:44एकत्र सुतरुधिरा करिंद्र कृत्तिही कौसुंभंबसनमनश्वरं परत्र
03:54इत्या दिन्यपिही परस्परं विरुद्ध अन्ये कत्वं दधती विचित्रधामनी अत्र
04:04दंतानां सितिमनी कजल प्रयुक्ते मालिन्ये प्यलिक विलोचनस्य यत्र
04:13रक्तत्क्वेकर चरणाधरस्य चान्यो नान्योन्यम समजनी नूतनो विशेश
04:23कंठस्य भ्रमरनि भावि भार्ध भागं मुक्त्वाकिन स्थित्मक रोच्छि रोरुहार्धे
04:33अर्धम वाकनक सद्र गुरुचिहिक चानां संत्य जन्य विशत्किम गलैक देशे
04:42सवर्ण करकमलेय थैववामे सव्य पीद्रुवम भवत्त थैवकुम्भह
04:52क्रीडईक प्रस्रित्म तिर्वि भुर्वि भर्ती स्वाच्छन्ध्यादुरसीतमे वनूनमेनं
05:01यत्रासित्य जगदखिलं युगावसाने पुर्णत्वं यदुचितमत्र मध्यभागे
05:11सन्रंभाद्गलितम अदस्त देवनूनम् विश्रांतं घनकठिने नितंब भिंबे
05:20इत्यादीन प्रविदधुरेव यत्रतावत संकल्पान प्रथम समागमे गणेंद्राहा
05:29यावत्स प्रणती विधाव पदार विंदं व्रिंगीश परिहरतिस्म नाम्भिकायाहा
05:39केमयम शिवह किमुशिवाथ शिवाव इतियत्र वंदन विधाव भवती
05:47आविभाव्यमेव वचनम् विदुशाम्
05:55एकहस्तनह समुचितोन्ति रेकमक्षी
05:59लक्षान जनम्तनुरपिक्रशि मान्वितेती
06:04लिंगय स्त्रिभिर्व्यवसितेस विभक्तिकेपी
06:09यत्राव्यत्वम विखंडितमेव भाती
06:14यत्रदुवम्रिदै एवय दैक्यमासी
06:18ग्राक्काययोरपि पुनःपति तम्तदेव
06:23यस्मात्सताम्रिदियदेवत देववाची
06:28यच्चैववाची करणेप्युचितम्तदेव
06:32कांतेशिवेत्वै विरूढमिदम्मनस्च
06:37मूर्टिष्च मेरिदयसम्मददाईनीती
06:41अन्योन्यम अभ्यभीतं वितनोति यत्र
06:46साधारण स्मितमनोरमतामुपस्य
06:51उद्यनिरुत्तरपरस्परसामरस्य
06:56संभावन व्यसनिनोरन वद्यरिदयं
07:01अध्वाइतमुत्तमचमत्कृति साधनम्तत
07:06युष्माकमस्तुशिवयोहशिवयोजनाय
07:11लक्षान्य लक्षान्य परत्रयत्र
07:15विलक्षणान्य वहिलक्षणानी
07:19साहित्यमत्यत्भुतमीशयोस्तन
07:24नकस्यरोमांच मुदंचयेत
07:28जूटाहेर्मुकुटेंद्र नीलरुचिभिषामंदधत्यूर्ध्वगं
07:35भागंबहनिशिखापिशंगमधरं
07:39अध्ये सुधाच्छच्चविही
07:42धत्येशक्रधनुश्रियं प्रतिमितायतेंद्रुलेखान्रजुभु
07:50युश्माकं सपयोधरो भगवतो हर्शामृतं बर्षतू

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