इस भव्य किले का निर्माण वर्ष 1501 ई. में राजा रुद्र प्रताप सिंह ने करवाया था। इस किले के अन्दर भवन और मंदिर दोनों ही मौजूद है। इस किले के भीतर स्थित राज महल और राम मंदिर की स्थापना राजा मधुरकर सिंह ने द्वारा की गई थी, जिसने यहाँ वर्ष 1554 से 1591 तक राज किया था।
इस लोकिप्रिय किले का निर्माण वर्ष 1501 ई. में ओरछा के प्रसिद्ध शासक राजा रुद्र प्रताप सिंह द्वारा करवाया था। यह किला भारत के सबसे खुबसुरत राज्यों में से एक मध्य प्रदेश के टिकमगढ़ जिले में ओरछा नामक स्थान पर स्थित है। इस किले का परिसर बेतवा नदी और जामनी नदी के संगम द्वारा गठित एक द्वीप के भीतर है स्थित है। इस किले के पूर्व में बाजार स्थित है जिसमे ग्रेनाइटके पत्थरों से निर्मित एक 14 मेहराब वाला पुल स्थित है। यह किला ओरछा नामक नगर में स्थित है, जिसकी टीकमगढ़ नगर से दुरी लगभग 80 कि.मी. है और इससे झाँसी की दुरी मात्र 15 कि.मी. है। इस किले के भीतर स्थित राजा महल का निर्माण लगभग 16वीं शताब्दी के शुरुआत में किया गया था परंतु इस महल को 1783 ई. तक राजा और रानियों द्वारा छोड़ दिया गया था। इस किले में स्थित राजा महल की वास्तुकला शैली ओरछा की प्राचीन वास्तुकला शैली पर आधारित है जिस कारण इसे यह सिखने में बहुत ही साधारण दिखता है, इस महल की दीवारों पर देवी देवताओं, पौराणिक पशुओं और लोगों के चित्रों को बनाया गया है। राजा महल का निर्माण इस तरह से किया गया है की यह दिखने में बहुत ही आकर्षक लगता है, इसके आंतरिक दीवारों पर भगवान विष्णु की’ मूर्तियां बनाई गई हैं। इस महल में कई गुप्त मार्ग होने के भी दावे किये जाते रहे हैं। इस किले के परिसर में स्थित शीश महल इसके बाकी दो और किलो से जुड़ा हुआ है, यह एक शाही निवास का स्थान था जोकि राजा उदेत सिंह के लिए बनाया गया था। शीश महल के अंदर एक ऊँची और नक्काशीदार वाली एक छत वाला महाकक्ष मौजूद है, इस महल को वर्तमान में एक होटल में परिवर्तित कर दिया गया है जिसमे रहने के लिए हजारो की संख्या में सेलानी यहाँ आते है।