25 हजार रुपये देने मे असमर्थ ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास के लिए अपात्र
  • 3 years ago
एक तरफ योगी सरकार भ्रस्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने की बात कह रही है ।वही प्रदेश में भ्रस्टाचार चरम पर है । सरकारी कर्मचारियों को रिश्वत के आगे गरीब व रईस में भी कोई फर्क नहीं दिखाई देता है। रईस रिश्वत दे दे तो गरीब बनाकर पात्र घोषित कर दिया जाता है और गरीब के पास देने के लिए रिश्वत न हो तो वह अपात्र बना दिया जाता है ।
प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत लाभार्थियों के चयन की प्रक्रिया की अधिकांश औपचारिकताएं ऑनलाइन कर दिए जाने के बावजूद ब्लाक स्तरीय अधिकारी व कर्मचारी वसूली से बाज नहीं आ रहे हैं। उनके पास चयन से लेकर जियो टैगिंग तक हर कदम पर लाभार्थियों से वसूली का फंडा है।मामला फर्रुखाबाद का है ।प्रधानमंत्री आवास देने के नाम पर कर्मचारी जमकर खेल कर रहे हैं। ग्राम पंचायत अधिकारी व प्रधान को 25 हजार रुपये देने मे असमर्थ ग्रामीण प्रधानमंत्री आवास के लिए अपात्र हो गया। वहीं तीन मंजिला मकान व ट्रैक्टर स्वामी को पात्र बना कर आवास दे दिया गया। ब्लॉक की ग्राम पंचायत गदनपुर आमिल मे ग्राम प्रधान रामचक्र व सेक्रेटरी धर्मेंद्रपाल ने गांव के चौकीदार लल्लू सिंह उर्फ बब्लू का प्रधानमंत्री आवास महज इस कारण काट दिया कि उसने इन लोगों द्वारा मांगे गए पच्चीस हजार रुपये की मांग पूरी नहीं कर पाई। गरीब चौकीदार का नाम सूची से हटा दिया गया। बाद में प्रधान व सेक्रेटरी ने गांव के दिवाकर पाल से पच्चीस हजार रुपये लेकर प्रधानमंत्री आवास दे दिया, जबकि दिवाकर पाल के पास तीन मंजिला मकान, ट्रैक्टर तथा गांव में परचून की दुकान है। लल्लू सिंह जिस मकान में रह रहा है, वह पूरी तरह से खंडहर है। हाल में ग्राम राजारामपुर मेई में जियो-टैगिंग के नाम पर पांच-पांच सौ रुपये की वसूली की शिकायत की गई। इसके अलावा डिजिटल इंडिया के दौर में अधिकांश कर्मचारियों के पास स्मार्ट-फोन उपलब्ध हैं, वहां दूर दराज के गांवों में गरीब कम पढ़े-लिखे लाभार्थियों का पासबुक और आधार कार्ड की फोटोकॉपी के नाम पर भी लाभार्थियों का उत्पीड़न होता है।जरा सी आनाकानी पर नाम कटवाने से लेकर धनराशि की वसूली तक की धमकियां दी जा रही हैं।
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