Veer Ras Ki Kavita |तू फेंक जहां तक भाला जाए|Maharana Pratap Par Kavita|HaldiGhati|sangharsh ke moti

  • 4 years ago
Veer Ras ki kavita | तू फेंक जहां तक भाला जाए | Maharana Pratap par kavita | HaldiGhati | sangharsh ke moti

नमस्कार दोस्तों !!!
"संघर्ष के मोती" 'हिंदी कविताओं 'में आपका स्वागत है!!!
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प्रस्तुत कविता 'वीर शिरोमणि' ,अद्भुत शौर्य ,साहस और वीरता की मूर्ति , "भारत की शान' , "मेवाड़ मिट्टी के पुत्र' "राणाओ के राणा" "महाराणा प्रताप” के जन्मदिवस पर उनको श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित है|

⚔⚔वीर शिरोमणि महाराणा “प्रताप” ⚔⚔

यह “मेवाड़” की धरती ‘पावन’ ; तू फेंक, ‘जहां तक भाला जाए’

‘द्वंद’ कहां तक पाला जाए ? युद्ध कहां तक टाला जाए ?

शत्रु खेड़ा चौखट पर आकर, तब ; कैसे भीतर निवाला जाए !

यह “मेवाड़” की धरती ‘पावन’ ; तू फेंक, ‘जहां तक भाला जाए’||



‘आक्रांतियों’ एक भी जत्था बचकर ;जीवित ना जाने पाए,

‘शीश कटे’ ,तो ‘धड़ लड़े’ ;यही “क्षत्रिय” धर्म काहाए ||

हुंकार भरो “सिंह” की भांति ; गर्जना से ‘रिपु’ थर्राए ,

यह “मेवाड़” की धरती ‘पावन’ ; तू फेंक, ‘जहां तक भाला जाए’||



“एकलिंग” का नाम लेकर ; ‘राणा प्रताप’ तब गुर्राए,

तलवार-भाला ,बाण – बरछी; से ‘खुद’ को लिया सजाए|

एक तन, एक मन, एक सार ; संपूर्ण एकाकार कहांए,

‘रणचंडी’ को भेंट चढ़ाने ; चला आज ‘वीर’ समुदाय ,|

यह “मेवाड़” की धरती ‘पावन’; तू फेंक, ‘जहां तक भाला जाए’||



जब चली “सिंहो” की टोली ; स्वर्ग के ‘देव’ पुष्प चढ़ाएं ,

एक - एक ‘योद्धा’ दस पर भारी ; राजपूती खून रंग दिखाएं||

नहीं यह कोई ,साधारण घटना ; “हल्दीघाटी” का युद्ध कहांए,

शत कोटि नमन!!! उस वीर योद्धा को ; “महाराणाप्रताप ” जो नाम धराए |

यह “मेवाड़” की धरती ‘पावन’; तू फेंक, ‘जहां तक भाला जाए’||

जितेंद्र राठौर

शब्द कम पड़ जाते हैं, जब इनकी वीरता ,इनके त्याग -बलिदान और इनके मातृभूमि से प्रेम और स्वाभिमान का वर्णन करने का प्रयास करते हैं, किंतु फिर भी हमने अपनी लेखनी के द्वारा मातृभूमि के वीर पुत्र के लिए कविता अथवा अपने मन के भाव प्रस्तुत किए हैं|

प्रस्तुत कविता में प्रथम चरण राणा प्रताप द्वारा सेना को दिया गया उद्बोधन है जिसमें राजपूत सैनिकों को एकजुट होकर शत्रु से लड़ने हेतु आवाहीत करते हैं|दूसरे चरण में राजपूतों द्वारा लड़े गए युद्ध और शौर्य का वर्णन हैं|

⇜जितेन्द्र राठौर⇝
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