अभिषेक सक्सेना जी जब आए थे हमारे पास तो ये मुँह के छालों से परेशान थे। पूरे 3 महीने परेशान होने के बाद, और साथ में एलोपैथी इलाजों से थक हार कर ये आयुर्वेद में आए। और आए भी तब, जब डॉक्टर्स ने इन्हें बायोप्सी करवाने के लिए कह दिया था।
तब इन्होंने आचार्य मनीष जी की "बायोप्सी के साइड इफेक्ट्स" वाली वीडियो देखी और बायोप्सी करवाने से मना कर दिया और फिर ये आयुर्वेद की शरण में आए।
इन्होंने हीम्स जीना सीखो हॉस्पिटल लखनऊ में अपना इलाज शुरू कराया, और सिर्फ 7 दिन के अंदर ही इन्हें मुँह के छालों से होने वाली परेशानी से राहत मिली। और यहाँ के माहौल में आने के बाद जो छोटी-मोटी समस्याएँ थीं जैसे पाचन ठीक से न होना, उनसे भी आराम मिला है।
"एलोपैथी छोड़िए और आयुर्वेद में आइए, जीना सीखिए — बस यही कहना चाहेंगे" - अभिषेक सक्सेना। ये इनके कुछ शब्द हैं।
हम भी यही कहते हैं कि पहले आप आयुर्वेद को एक मौका दीजिए, फिर एलोपैथी में जाइए। क्योंकि आप खुद अपने आप को ठीक कर सकते हैं, बस लाइफस्टाइल बदलने की ज़रूरत है और साथ में कुछ जड़ी-बूटियों की भी ज़रूरत होती है आपके शरीर को।