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00:00गाउं के एक कोने में एक पुरानी जोपडी थी।
00:30हाथ में पूजा की थाली थी। चेहरे पर वही पुरानी मासूम मुस्कान।
00:36अब आई है तू। मीरा सूरत सर पर चड़ाया और तू फूल चोहिया बनकर घूम रही है मंदर में।
00:43दीदी मैं जल्दी आने वाली थी लेकिन गौरी काकी की बकरी जाड़ियों में फस गई थी। निकालने में थोड़ी देर हो गई।
00:50तेरा क्या है तू तो सब की मदद करती घूमती रहे। चाहे घर में चूला जले या नजले।
00:57दीदी आप गुस्सा क्यों करती हो ? मा कहती थी। जो दूसरों के काम आए वही इंसान कहलाता है।
01:03मा अब नहीं है मीरा, और उनके कहे बातों की अब इस दुनिया में कोई मूल्य नहीं रही, अब कोई किसी के लिए कुछ नहीं करता
01:11मीरा चुप हो गई, उसके चेहरे पर हलकी उदासी थी
01:15वो जोपड़ी के कोने में रखे उस लकड़ी के संदूक तक गई, जिसमें मा की यादें अब भी सांस लेती थी
01:27संदूक से निकाला हुआ एक सारी, मीरा चुके अपनी दीदी से बोली
01:32मीरा की बात सुनते ही, जोती का चेहरा नम हो गया, और उसकी आँखे पलभर को भीग गई
01:46लेकिन जोती अपने भावनाओं को छुपाते हुए, मीरा से बोली
01:50मैं तुझसे सकत हूँ, मीरा, क्योंकि मैं डरती हूँ, अगर तुझे भी एक दिन कुछ हो गया तो
01:58मैं अकेले कैसे जूंगी, इस दुनिया ने मुझसे सब छीन लिया है, मैं नहीं चाहती तू भी मेरी तरह कमजोर पर जाए, इसलिए तुझे मजबूत बना रही हूँ
02:08दीदी, आप कमजोर नहीं हो, आप ही तो मेरी ताकत हो, अगर आप मेरा हाथ थामे रखो, तो दुनिया की आधी भी मुझे हिला नहीं सकती
02:17मीरा की बात सुनके, जोती के चेहरे पर उसके माता पिता के जाने के बाद, पहली बार हलकी सी मुसकान आई
02:24उसी समय गाव की पकडंडी पर, तीन परचायां उनके जोपड़ी की तरफ बढ़ रही थी, धरमपाल बिमला और उनका बेटा कमल, वह थे बहनों के सगा चाचा चाची
02:37अरे जोती, कैसी है मेरी बच्ची, तू ठीक तो है न, बहुत मुश्किल से जिन्दगी बीता रहे होगे न, भाईया भाभी के जाने के बाद
02:46हम ठीक हैं चाचा जी, अब जो है उसी में खुश है
02:50खुश, जोपडी में, तुम्हारे हिस्से के जमीन को हमारे नाम कर देती, तो हम तुम दोनों को अपने यहां रहने देते, तुम दोनों बहुत खुश रहती हमारे साथ
02:59हा मा, तुम सही कह रही हो, इनका घर भी पुराना हो चुका है, और अब ये जमीन भी यूही पड़ी है, बरबाद हो रही है
03:08ये सब सुनके जियोती की आँखों में आग सी चमक उठी, हमें किसी की जरूरत नहीं, बाबुजी की जमीन हमारी मा और बाबुजी की आखरी निशानी है, उसे हम यूही नहीं छोडेंगे
03:20अरे बेटी, तुम्हारी जो खेतों की जमीन है, वो भी तो बंजर ही पड़ी हुई है ना, और वैसे भी दुनिया समझदारी से चलती है, और ओरतें खेत नहीं जोती, देख लेना, एक दिन रोती हुई आओगी हमारे पास, तब समझाएगा कि रिष्टेदारों से मुह न
03:50दिदी, क्या सच में हम अकेले पड़ जाएंगे, वो लोग हमारी जमीन लेना चाहते हैं ना, हाँ मीरा, पर जब तक मैं जिन्दा हूँ, कोई हमारी जमीन छो भी नहीं सकता, तुझे कुछ नहीं होने दूँगी
04:03रात को चोलहे के आगे बैठी हुई मीरा अपनी दीदी से बोली
04:11दीदी, मा की साड़ी मैंने संभाल के फिर से संदूक में रख दी है, और हाँ दीदी, कल भागवत कथा है गाव में, चलोगे ना मन को थोड़ा शांती मिलेगा सुनके
04:22लोग बातें बनाते हैं मीरा, ताने मारते हैं और सोचते ही कि हम प्रसाद के लालच में जाते हैं
04:28पर हम तो अच्छे हैं ना, हमने कभी किसी की मदद नहीं लिया है, हमें डर कर नहीं, डट कर जीना चाहिए दीदी
04:34नहीं, हम नहीं जाएंगे, भगवान सब में है, तुम यही से भगवान को पूझना और मंदिर भी जाना, लेकिन वहां जाने की ज़रूरत नहीं
04:43यही सब बात करके दोनों बहने जैसे तैसे रात का खाना खाके सोने जाते हैं
04:49अगली सुबह दोनों बहने अपनी जमीन को देखने जाते हैं, जिसमें दोनों बहनों ने मेहनत करके थोड़ी सी सबजियां उगाई थी
05:06दीदी, अच्छा हुआ कि मा बाबुजी के जाने के बाद हमने ये जमीन बेचा नहीं
05:16अभी देखो, हमने मेहनत करके कितनी सारी सबजियां उगाई है, अब हम किसी व्यापारी को ये बेच के थोड़े पैसे कमा सकते हैं
05:23हाँ तु ठीक बोल रही है, इसे बेच के कुछ दिन का तो गुजारा हो जाएगा लेकिन, लेकिन क्या दीदी?
05:29ऐसे बेच के हम कुछ दिन ही गुजारा कर पाएंगे, उसके बाद क्या?
05:32अरे, आप मायूस मत हो दीदी, मुझे शिलाई बुनाई का काम आता है, मैं वो करके घर खर्चे निकालूँगी, आप बस घर संभाना
05:40कोई जरूरत नहीं तुझे ये सब करने की, तु क्या मुझे बेकार समझती है, तु घर पर ही रहना, मैं लोगों के घर काम करने जाऊंगी, और मुझे बांस की सीजे बनाना भी आती है, जो बाबु जी ने सिखाया था, ये करके मैं घर का गुजारा निकाल लूँगी
05:56ये सब बात करके दोनों कुछ समय अपने खेत में व्यतीत करने के बाद घर आते हैं, और अपने अपने काम में लग जाते हैं,
06:14रात को जब दोनों सोने जाते हैं, तब दोनों बेहने अपनी मुश्किल भरी जीवन के बारे में एक दूसरे से बात करने लगते हैं,
06:27दीदी, मा बाबु जी के बिना ये राते और भी डरावनी लगती हैं, सब कुछ खाली-खाली लगता है, है न दीदी?
06:34हाँ मीरा, पर अब हम मा बाबु जी दोनों की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, हमें हार नहीं माननी, ये जमीन, ये घर, सब कुछ उनका दिया हुआ है, हमें इसे बचाना है, किसी भी खीमत पर, यही सब तो मा बाबु जी की यादे हैं।
06:53ज्योती बहुत ही हिम्मती थी, वह तो किसी से मदद भी नहीं लेना चाहती, लेकिन उसे अपनी बहन को लेके बहुत चिंता होती थी।
07:05अगले दिन जब दोनों बहने खेत पर पहुँची, तो देखा कि जमीन के बीच एक खूंटी गरी हुई थी।
07:12दीदी, ये जमीन के बीच ओपीच खूंटी कौन गाड़ गया? ये तो कल यहां नहीं थी और नहीं हमने इसे गाड़ी है, जरूर इसे कोई यहां गाड़ गया है।
07:20ये जरूर हमारे चाचा-चाची का काम होगा, लेकिन ये काम बिना किसी सरकारी आदमे के नहीं होता, इसका मतलब हमारे खेट को ये लोग बांटने की साज़श चला रहे हैं, उसी वक्त दूर से धरम पाल आता दिखा और उसके साथ बिमला और उनका बेटा कमल भी था, तीन
07:50तुमसे अकेले तो होगा नहीं, चाचा जी, आपकी मदद की जरूरत नहीं है हमें, ये जमीन हमारी मा बाबुजी की निशानी है, इसे किसी के हवाले नहीं करेंगे, अरे बच्चियों, ऐसे कैसे नहीं दोगे, ये जमीन तो तुम्हारी और हमारी, कमल के दादा जी ने अ
08:20तब शुरू हुई चाची, जब आपने हमें अकेले समझ कर हमारी जमीन पर नज़र डाली, और चाची, दुश्मनी तो आप लोग हम दोनों से निकाल रही हो, अरे मीरा, इतनी गरज क्यों रही हो, छोटी हो छोटी बन कर रहो, ऐसे बड़ों के बीच मत बोल, समझी,
08:37अरे जाओ, कैसे बड़े लोग, जिनके सोच छोटी होती है, वे उम्र में बड़े होके भी सम्मान के हगदार नहीं होते, मीरा तो कुछ मत बोल, और हाँ, अब अगर आप लोग हमारे खेत के पास भी आये तो अच्छा नहीं होगा, हम कमजोर दिखते हैं, पर डरते नहीं
09:07खुद समझ जाओगी कि जमीन किसकी है, तीनों वहां से चले गए, जियोती और मीरा कुछ देर तक हामोश खड़ी रही, दीदी, क्या वो सच में कागस बदलवा सकते हैं, कुछ भी कर सकते हैं मीरा, लालच में आदमी अंधा हो जाता है, हमें किसी पे भरोसे नहीं करना च
09:37सर पंच जी, हम आपके पास न्याय मांगने आए हैं, हमारे चाचा-चाची जमीन हडपना चाहते हैं, और शायद पटवारी से मिलकर फर्जी कागस बनवा रहे हैं
09:47हम अनात हैं, इसका मतलब ये नहीं कि हम बेबस हैं, हमें अपने मा बाबू जी की जमीन किसी हाल में नहीं देनी, कृप्या आप हमारी मदद करें
09:56धरमपाल जी, अगर ये सच है, तो ये गाव की मर्यादा के खिलाफ है, परिवार के नाम पर ठगी करना यहां नहीं चलेगा
10:07सरपंच जी, ये लड़कियां हमें बदनाम कर रही हैं, हम तो बस जमीन की चिंता कर रहे हैं, इन दोनों बच्चियों को क्या पता, ये जमीन के बारे में, ये जमीन के बाद तो इनके पिता और मैं ही जानते थे
10:21मेरा भाई तो अब इस दुनिया में नहीं रहा, इसलिए अब मुझे ही तो सब कुछ देखना पड़ेगा
10:27हमने इन बच्चियों को बच्पन से देखा है, ये जूट नहीं बोल सकती
10:34सरपंच ने इस बात को अगले दिन पंचायत में बिस्तार से निकालने की बात की
10:46और फैसला अगले दिन देने की बात कही, बहनों की आँखों में पहली बार उम्मीद की चमक थी
11:04रात को जोपड़ी में दोनों बहने आपस में बात करती हुई
11:07दीदी, क्या कल हमारा साथ देंगे गामवाले?
11:10देखते हैं, क्या होता है, मुझे किसी पर भी भरोसा नहीं रहा है
11:13आखिर मा, बाबुजी के जाने के बाद मदद ही कहां कि किसी ने हमारी
11:17हमें बस भगवान पे भरोसा रखनी होगी
11:20मा बाबुजी तो नहीं है, पर उनका आशिरवात जरूर है हमारे साथ
11:24आप देखना दीदी, हमारे साथ कुछ बुरा नहीं होगा
11:26रात गहरी हो चली थी
11:29दूर कहीं उल्लू की आवाज, गुंजी और हवा में कुछ सिस्कियाओं थी
11:33और उन सिस्कियों में मीरा की भी सिस्कियाओं शामिल थी
11:37दोनों बहनों को चिंता की वजह से नींद भी नहीं आ रही थी
11:41दीदी, विश्वास ही नहीं होता है न, कि हम अब अक्यले हैं
11:45कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि बाबुजी अचाना काएंगे और मुझे गले लगा लेंगे
11:50हाँ मीरा, मुझे भी उनकी कमी खटकती है
12:07दीरे सब दूर होते गए, चाचा चाची तो जैसे बस हमारे हिस्से की जमीन के लिए ही हमारे करीब थे
12:12जोती की आखों में आसू थे, लेकिन उसने उन्हें छुपाया, उसे अपनी बेहन के सामने कमजोर नहीं पढ़ना था
12:21दुनिया बहुत चालाख है मीरा, रिष्टे अब खून से नहीं, धन दौलत से बनते हैं, लेकिन हम भी अब चुप नहीं रहेंगे
12:28अगर हमें अपने अधिकार के लिए लड़ना पड़े, तो लड़ेंगे
12:33सुबह होते ही गाव में एक अफवाह फैल गई, कि धरमपाल अप पंचायत से कहकर जमीन अपने नाम करवाने की तयारी कर रहा है
12:52गाव की गलियों में लोग काना फूसी करने लगे
12:55अरे सुन सुगो, धरमपाल ने तो कमाल कर दिया, अपने ही भाई की बेटियों को बेघर करना चाहता है
13:01हाँ काकी, कैसा रिष्टेदार है, अपने ही भतीजियों को बेघर करने में तुला हुआ है
13:07इन बातों की भनक ज्योती को लगी, तो वो मीरा को लेकर सीधा सर्पंच के वहाँ पहुँची
13:14सर्पंच जी, हमें आपसे इंसाफ चाहिए था
13:18मेरे मा बाबुजी की जमीन पर मेरे चाचा जबरदस्ती का दावा कर रहे है
13:22और आप लोग उनका साथ दे रहे हैं
13:25मुझे आपसे ये उमीद नहीं थी
13:27हम कोई अबला नहीं है, हम ऐसे चुप नहीं रहेंगे सर्पंच जी
13:31ऐसे कैसे कोई भी आके हमारी जमीन हडप लेगा
13:34थोड़े समय बाद धरमपाल, बिमला और कमल भी वहाँ पहुँच गए
13:38और वहाँ पर नाटक करने लगे
13:40सर्पंच जी, हम तो बस इनकी भलाई चाहते हैं
13:44भाई की मौत के बाद हमने ही इन्हें पाला है
13:46आप तो ये अच्छे से जानते हैं
13:48और अब जब लड़कियां बड़ी हो गई
13:50तो हमें बदनाम कर रही है
13:52जरा सोचिए, क्या यही इंसानियत है
13:54ज्योती बेटी, तुमारे चाचा तो ठीक कह रहे है
13:57तुम लोग तो एक ही परिवार के हो
14:00परिवार के बीच ये जगडा क्यों?
14:03वैसे भी सरकारी कागजाट के हिसाब से
14:05तुमारी जमीन में इनका भी हक है
14:07ऐसे कैसे सर पंच जी?
14:09ये लोग हमारी मजबूरी को देखकर
14:11हमारा फाइदा उठाने आए है
14:12ये कोई परिवार नहीं है
14:14ये बस जमीन के लालच में
14:17परिवार होने का दिखावा कर रहे है
14:19ये सब बात चल ही रही थी
14:21कि तभी पटवारी भी वहां आ जाता है
14:23हरीश चंदर की जमीन
14:25कानूनी तौर पर
14:26सिर्फ उनकी नहीं है
14:28इसमें उनका भाई धर्मपाल का भी हिस्सा है
14:32ऐसे कैसे?
14:33तुम लोग तो बस कागजात के बारे में बोल रहे हो
14:36लेकिन क्या सबूत है कि
14:37हमारी जमीन का चाचा जी भी हिस्सेदार है?
14:40हाँ, जोटी बिटिया
14:41बाट तो सही कह रही है
14:43तुम लोग कुछ पुखता सबूत भी पेश करो
14:45तब जाके में पंचायट बुलाकर
14:48सही फैसला ले पाऊंगा
14:49सर्पंच के मूँ से ये सुनने के बाद
14:52धर्मपाल, बिमला और कमल
14:55थोड़ा हताश जैसे नजर आए
14:58और वे लोग वहां से निकल गए
15:00अरे पटवारी, तुम किसका इंतजार कर रहे हो
15:07तुमको नहीं जाना उनके पीछे-पीछे
15:09कितने पैसे खिलाये थे मेरे चाचा ने
15:11जोटी की ताना सुनके पटवारी शर्म से
15:14वहां से निकल जाता है
15:15सरपंच के मुंग से ये सुनके
15:42दोनों ने थोड़े राहत की सांस ली
15:45और थोड़ा शक, थोड़े खुशी के साथ घर लोटे
16:01रात होते ही दोनों बेहने फिर से चार पाई में बैटके बात करने लगते हैं
16:05दीदी, आपको क्या लगता है?
16:09कि हमारी जमीन हमारे पास रहेगी?
16:12या फिर हमारे कपती चाचा चाची को मिलेगी?
16:14हाँ मीरा, मैं भी वही सोच रही हूँ
16:17उन लोगों का कोई भरोसा नहीं
16:20वे लोग इतने लालची हैं कि हमारे साथ कुछ भी कर सकते हैं
16:23मा बाबुजी के जाने के बाद उन लोगों ने अपना असली रंग दिखना शुरू कर दिया है
16:28यही सब चिंता में दोनों बहनों ने मुश्किल से अपनी रात काटी
16:32गाउं की हवाओं में हल्की सरसराहट थी
16:44आसमान में बादल थे पर बारिश का कोई नाम ओ निशान नहीं
16:49लेकिन जोती और मीरा के मन में बहुत कुछ उमड रहा था
16:54जैसे भीतर कोई तूफान उठ रहा हो
16:57घर का आंगन सूना था
16:59और बेहनों के चहरों पर चिंता की लकीरे साफ जलक रही थी
17:03दीदी आज खेत चलें क्या
17:07वो जो पिछली बार की सब्जयां बची थी
17:09कहीं किसी जानवर ने नुकसान तो नहीं कर दिया होगा
17:12कभी कभी किसी की गाए बकरी आ जाती है और पूरा नुकसान कर देती है
17:17हाँ मीरा चलो
17:18खेत को देखने से मन भी हलका हो जाता है
17:22और बाकी बची हुई सब्जयां बेचने के लायक हो गई की नहीं
17:26साथ में देख लेंगे
17:27लेकिन मुझे एक बात को लेके चिंता है
17:30गाए बकरी का तो पता नहीं
17:33बस कोई इंसान हमारे खेत को नुकसान न पहुंसाए
17:36वैसे भी हमारे अपने ही हमारे जमीन पे बुरी नजर डाले हुए है
17:40दोनों बहने खेत की ओर चल पड़ी
17:43रास्ते में पेडों की चाफ थी
17:45और चिडिया की सहल पहल
17:47जैसे ही दोनों खेत के पास पहुंची
17:58मीरा ने दूर से किसी की परचाई देखी
18:02दीदी वो देखो वो कमल ही है न
18:07कमल उनके सामने खड़ा हो गया
18:13आखों में गुस्सा, चेहरे पर घमंड
18:21वो वहीं दोनों बहनों का रास्ता रोक कर उनसे बात करने लगा
18:26बहुत घमंड आ गया है तुम दोनों में
18:29पहले जब हम साथ में रहते थे
18:31तब तुम दोनों बहुत मासूम बनने का नाटक कर रहे थे
18:34और तो और जुबान भी नहीं खोलते थे
18:36लेकिन अब जैसे गाउं की मालकिन बन गई हो तुम लोग
18:39कमल भाईया, हमने किसी से कुछ चीना नहीं है
18:42बस जो हमारा हक था, वही लिया है
18:45हम आज भी किसी से बैर नहीं रखते
18:47और नहीं पहले किसी से महरबानी लिये थे
18:50तुम लोगों को लगता है कि इतनी आसानी से सब कुछ ले लोगी
18:53ये सब मेरे बाबा की जमीन है
18:55पहले तो प्यार से हमारे साथ रहने को बोल रहे थे तुम लोगों से
18:59लेकिन अब देखना, एक-एक चीज छीन लूँगा तुमसे, तुम दोनों को ऐसा सबक सिखाऊंगा कि जंदगी भर याद रहेगा
19:08मीरा कमल की धमकी से थोड़ा डर गई, और डरते हुए जोती से बोली
19:12दीदी, इसने फिर धमकी दी है, आप कुछ बोलो न, ऐसे कैसे ये हमसे सब कुछ चीन लेगा
19:18बहुत हो गया मीरा, कोई जरूरत नहीं, इसके साथ जगड़ा करने की, मैं भी देखती हूँ कौन हमसे क्या चीन लेता है
19:25और हाँ कमल तुम यहां से चले जाओ, नहीं तो हम पंचायत में जाके बोल देंगे कि तुम हमें अकेले देख धमकी दे रहे हो
19:31हाँ हाँ, जा रहा हूँ, लेकिन हाँ ज्योती, तुम बहुत ज्यादा ऊपर उड़ रही हो, संभाल के रहना कब नीचे गिरेगी पता ही नहीं लगेगा
19:40ऐसे ही कमल दोनों को धमकी दे के वहां से चला जाता है
19:43कमल की धमकी भरी बातें सुनके, दोनों थोड़े मायूस हो जाती है
19:52ज्योती जो अपने बहन के सामने हिम्मत से खरी हुई थी, उसके मन में भी डर था
19:58वो मन ही मन कमल की बातों को लेकर बहुत चिंतित थी, कुछ समय के बाद दोनों बहने घर लोटे
20:05घर लोट कर दोनों बहने चिंता में डूबे हुए थे
20:13रोज की धमकी और चरियंत्र ने, दोनों की जीवन में बहुत सारे चिंता और दुख ला दिया था
20:21दीदी, ये लोग हमारे पीछे क्यों परे हुए है? हमने किसी का क्या बिगाड़ा है? हमारे चाचा के पास तो सब कुछ है
20:28वो लोग हमसे अच्छी जिंदगी जी रहे हैं, फिर भी वे लोग हमारा जमीन हड़पना चाहते हैं
20:34इनसान की लालच कभी खत्म नहीं होती मीरा
20:37भले ही इनसान के पास सब कुछ हो, फिर भी इनसान और चाहके लालच में
20:43या तो दूसरे का नुकसान करते हैं, या फिर अपनों का ही नुकसान करते हैं
20:49हम तो इनके खिलाफ कोई बड़ी कदम भी नहीं रख सकते
20:52उनके कर्मों का फल उन्हें भगवान जरूर देंगे
20:55ऐसे ही कुछ दिन बीत जाते है
20:58एक दिन अचानक धरमपाल के चावल के मिल में
21:03किसी कारण आग लग जाती है
21:05जब दोनों बाप बेटे को ये खबर मिली
21:08तो वे दोड़ते हुए वहाँ पहुँचे
21:10मिल के बाहर लोगों की भीड जमी हुई थी
21:16लेकिन गाव वालों ने पहले से ही आग बुझा दिया था
21:20धरमपाल और उसके बेटे को देख गाव वाले काना फुनसी करने लगे
21:25अरे ये आग ऐसे ही नहीं लगी
21:27ये तो धरमपाल और उनके परिवार के किये गए बुरे कर्मों का नतीज़ा है
21:31उन्होंने बिन मा बाप के उन दोनों लड़कियों को बहुत परिशान किया था
21:36अब देखो क्या हुआ इनके साथ
21:38हाँ बई बिलकुल सही कह रहे हो
21:40मैं भी वही सोच रहा था
21:42बगवान बुरे कर्मों का सजा इनसानों को जरूर देता है
21:45बगवान के घरदेर है लेकिन अंधेर नहीं
21:48गाव वालों की बात सुनके
21:50दोनों बाप बेटे गंभीर चिंता में चले गए
21:53जोती और मीरा के प्रती
21:56उनका जो व्यभार था
21:58वो सोच के धरमपाल को बुरा लगने लगा
22:01तभी दूसरे गाव का एक जमीनदार आया
22:04जिसके साथ धरमपाल ये चावल के मिल का व्यापार करता था
22:08अरे ओ धरमपाल
22:10मिल में तो आग लग गई
22:11मेरे पैसे तो सारे डूब गए
22:14तेरे भरोसे मैंने तेरे जमीन में मिल खुलवा कर व्यापार किया था
22:18अब तो मेरे नुकसान का भरपाई तुझे ही करनी होगी
22:21सेठ जी पता नहीं ये हादसा कैसे और क्यों हुआ
22:24लेकिन आप निश्चिंत रहे
22:26मैं कुछ न कुछ करूँगा
22:27आप मुझे थोड़े महलत दे दो बस
22:30अरे कैसी महलत
22:31तेरे साथ व्यापार किया
22:33वही तेरे लिए बहुत मदद हो गई
22:35अब मैं तेरे लिए कुछ नहीं करूँगा
22:37मुझे मेरे पैसे वापस कर
22:39और उसके बाद तू अपने रास्ते में अपने रास्ते
22:42सेट जी आप ऐसा मत कीजिए
22:44इस मुसीबत के घड़ी पे आप यूमू मत फेरिए
22:47मैं कुछ भी नहीं जानता
22:48मुझे बस मेरे पैसे चाहिए
22:50बहुत मदद कर सुका तुम लोगों की
22:52तुम जैसे लोगों के साथ मैंने व्यापार किया
22:55वही बहुत बड़ी बात है तुम लोगों के लिए
22:57कुछ भी करना परे करो बस मुझे पैसे दे दो
23:00ठीक है फिर आप मेरे इस जमीन को ले लीजिए
23:03इस जमीन से तो आपका थोड़े से कर्ज जूकता हो जाएगा न
23:06अगर हो जाए तो मैं आपको कल जमीन के कागजाद भेज दूँगा
23:10और बाकी के पैसे मैं नहीं दूँगा क्योंकि आप भी मेरे इस चावल के
23:15मिल का हिस्सेदार थे और आपने इससे मुझे से ज्यादा मुनाफ़ा कमाया है
23:19अब इसका पूरा नुकसान मैं अकेला क्यों जहलूँ
23:22ऐसा है क्या? ठीक है तु मुझसे दुश्मनी मोर ले रहा है
23:26देख लूँगा तुझे फिलहाल तु मुझे अपनी इस जमीन के कागजाद भेज दे
23:31बाकी के पैसे तो मैं तुझसे बाद में वसू लूँगा
23:49घर जाके धरम पाल अपनी पतनी से आज के दुखत हाथसे के बारे में दुखी मन से बताता है
24:00अरे भाग्यवान हमारे साथ ये क्या हो गया? हम तो पल भर में बरबाद हो गये
24:06पूरा कारोबार, जमीन सब को छीन गया, अब तो बस ये घर ही बचा हुआ है
24:11मुझे पता है, ये सब भगवान हमारे बुरे कर्मों का फल दिया है हमको
24:16ये जी, आप ऐसे मायूस मत हो, कुछ रास्ता होगा, हम ऐसे कैसे बरबाद हो गए
24:21और हाँ, आप तो वो दूसरे गाम के जमीनदार के साथ व्यापार करते थे न, उनसे मदद मांगे न, वो तो कुछ मदद कर देगा
24:28अरे कैसी मदद मा, वो आदमी मदद करेगा, अरे मदद छोड़ो, उसने हमारे चावल के मिल के जमीन को भी हडप लिया
24:37अरे ये क्या कह रहा है तू, अगर किसी से मदद नहीं मिला, तो हम क्या करेंगे इस मुसीबत के घरी में
24:42छोड़ो भाग्यवान, जो हुआ है, वो सब अपने ही बुरे कर्मों का नतीजा है, तुम खुद ही सोचो, हमने मेरी दोनों भतीजियों को कितना दुख दिया है, उसी का पाप लगा है हमें
24:54हाँ मा, बाबुजी बिल्कुल सही कह रहे है, हमने पाप किया है, हमें अब इसी दुनिया में पापों का फल भुगतना पड़ेगा, पता नहीं, बिना पैसों के अब ये घर कैसे चलेगा
25:06हाँ कमल बेटा, तू सही बोल रहा है, अब हम ये घर कैसे चलाएंगे, हमें तो गाव में कोई मदद भी नहीं करेगा, जोती और मीरा के उपर किये अन्याय के लिए गाव वाले भी हमसे नाराज है, ऐसे तो हम सड़क पे आ जाएंगे
25:20ये सब बात करके तीनों बहुत उदास हो जाते हैं, और तभी इस उदासी भरी माहौल में बिमला बोल पड़ती है, ये जी, मेरे मन में एक विचार आया है, क्यों न हम जोती और मीरा के पास जाके उनसे मदद मांगे, और साथ में उनसे हाथ जोर के माफी भी मांग लेंग
25:50पागल हो गई हो क्या, कितना परेशान किया है उनको, अब किस मूँ से जाओंगा उनके पास मदद मांगने, और वे तो खुद ही कितनी मुश्किल से जी रहे हैं, हमारी क्या मदद करेंगे वे?
26:01अरे, आप लोग थोड़े शांत हो जाईए, हम उनसे पहले दिल से हाथ जोर कर माफी मांगेंगे, और उसके बाद हम उनके जमीन पर खेती करने की इजाज़त मांगेंगे, और खेती का जो भी मुनाफ़ा होगा, उनको भी आधा देंगे, और हमारा भी जैसे तैसे गुज
26:31जाए तो कमल भी मेरी खेती में मदद कर देगा हाँ बाबू जी मैं करूँगा मदद चलिए बात करने जाते उनसे और अगर वे मदद नहीं भी करें तो कम से कम माफी की उम्मीद तो रखी सकते हैं ये बोलके तीनों जियोती और मीरा के घर पहुंचे
26:45चाचा जी आप लोग आप लोग अब यहां क्या लेने आए हो जोती बेटी हमारा चावल के मिल पे आग लग गई है हम तो पूरा बरबाद हो गए हाँ मुझे पता चला आपके बारे में और मुझे इस बात का खेद है लेकिन आप हमारे पास क्यों आए हो क्या आपको लगता
27:15हम तो तुम दोनों से माफिय और मदद की आस लेके आए हैं मदद कैसी मदद चाची क्या मदद चाई आपको हम तो खुद ही जैसे तैसे जी रहे हैं और आप किस हक से मदद मांग रहे हो हम हैं ही कौन आप लोगों के बिमला ने गिर गिराते हुए जियोती और मीरा को सब क
27:45अब क्यों मदद करेंगे हम इनकी अब करने वाला ही असली विजेता है।
28:15आपको मेरी कसम, कृपया आप उनकी मदद कर दीजिये और वैसे भी इनको हमारे जमीन पे खेती करने देंगे तो हमारी भी बहुत मदद होगी और हम आगे से हसी खुशी एक साथ रह पाएंगे।
28:45कि आगे से कभी भी उनका बुरा नहीं सोचेंगे।
28:48कि आगे।
28:49कि आगे।
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