वाराणसी, यूपी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “वोकल फॉर लोकल” विजन ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में काशी को एक नई पहचान दिलाई है। मोदी के नेतृत्व में पारंपरिक और स्थानीय उत्पादों को न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी बढ़ावा मिला है। काशी क्षेत्र ने जीआई टैग में रिकॉर्ड कायम किया है। प्रधानमंत्री मोदी के आने के बाद यहां 24 नए उत्पादों को जीआई टैग मिला जिससे उनकी कुल संख्या 32 हो गई है। इनमें बनारसी ब्रोकेड और साड़ियां, गुलाबी मीनाकारी, मेटल रैप्यूज़ क्राफ्ट, बनारसी शहनाई, लाल पेड़ा, ठंडाई, तिरंगा बर्फी और बनारसी पान जैसे प्रोडक्ट शामिल हैं। मौजूदा वक्त में काशी क्षेत्र से 25,500 करोड़ रुपए का सालाना कारोबार हो रहा है और इससे करीब 20 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है। यह पहल न सिर्फ आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रही है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को भी वैश्विक मंच पर सम्मान दिला रही है।
00:00तो काशी व्यापार का और जिसमें की प्रमुखुरूप से यहां पे जो सिल्क के वस्तर हैं, जो हैंडिक्राफ्ट हैं, अलग-अलग तरह के खाद्य पदार्त हैं, कुजीन्स हैं, मिठाईयां हैं, यह बहुत प्राचीन समय से भारत के अलग-अलग हिस्तों में यहां से जा
00:30तो 32 जी उत्पात पंजिक्रित हैं, 32 प्रड़क्ट इंटेलेक्च्वल प्रापर्टी राइट आफ इंडिया में शामिल हैं, और लग-भग 20 लाख लोग इससे सीधे जुड़े हुए हैं, और 25,500 करून का तो सालाना कारोबार के लिए कासी छेतर से होता है, मानी प्रधान
01:00पुना दोहराया है, सोदेशी की बात उन्होंने काहा है, आप तो सम्मान की बात काहा है, और सबसे अपील किया कि आप अपने उत्पादों को, जो भारत में बने उत्पाद हैं, वो उसको खरीद दिये, उसी में काशी का बहुत बड़ा महत्व हैं, वो चाहे यहां से साड
01:30जाली वर्क में, यहां हैंड ब्लाक प्रिंट के काम है, बनास की जर्दोजी के जो वस्तर है, वो पूरी दुनिया में जाते हैं, राष्ट्रा देक्चों के बहज हैं, एंबलम हैं, मोनोग्राम हैं, फ्लैग हैं, वो सारे बनते हैं यहां पे, तो यह अपने आप में आशर
02:00वोकल होना है, अपने लोकल प्रोडेट को ग्लोबल ले जाने के लिए, और जियाई इस लीगल लोकल, जियाई कानूनी लोकल है, यह गारंटी देता है, कि यह उत्पाद इस भुभाग का बना हुआ है, हम चाहे कांजी वर्म के साड़ी की बात करते हैं, मैसूर के सिल की ब
02:30मैं बताऊं आपको कि हम तो पिछले चालिस वर्सों से इस छितर में हैं, और एक एक चीजों को बारिकी से यहां के बस्तियों से शहर की ले करके और गाओं के हर इलाकों को हमने विजिट किया है, देखा है, और इतना जीवन समा सेवा का इसमें रहाएं लोगों के साथ में
03:00यहां पर आर्थिक आक्रमन होने सुरू हो गए, और जिसका नतिया यह था कि बरार्शी साडियों के उपर में, लकडी के खिलोने में, मिनाकारी में, मेटरल में जितने भी उत्पात थे, और सिर्फ काशी के नहीं है, भारत के अलग-अलग हिस्तों के उत्पातों के उपर म