"शिवरात्रि की अद्भुत कथा: निषादराज को मोक्ष कैसे मिला?"
इस वीडियो में सुनिए महाशिवरात्रि से जुड़ी एक प्रेरणादायक कथा, जिसमें एक निषादराज (शिकारी) अनजाने में भगवान शिव की पूजा करता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चे भाव और निष्कपट कर्म से भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो सकती है।
कहानी में आप जानेंगे:
निषादराज और मृगों के वचन की अद्भुत घटना।
भगवान शिव की कृपा और उनकी उपासना का महत्व।
शिवरात्रि व्रत और उसकी महिमा।
इस कथा को सुनने के बाद आपका मन भक्ति और श्रद्धा से भर जाएगा। वीडियो को अंत तक देखें और भगवान शिव की कृपा पाएं।
00:00निसाद राज की कता धारनिक मान्यताव में मैंत्थपूर्ण इस्तान रखती है। यह कता गरूर पुरान में भी वर्नित है और सिव बक्तों के बीच भी पर चलित है।
00:09कता के अनुसार एक निसाद राज अपने कुते के साथ सिकार की तलास में जंगल में भटक रहा था। सिकार ने मिलने के कारण गुएब भूक प्यास से व्याकुल होकर एक तालाब के किनारे पहुचा जहां एक बेल ब्रक्स के नीचे सिवलिंग इस्तापित था। लेकिन नि
00:39पैरों को दोते समय उसने अनजाने में ही सिवलिंग पर जल अर्पित कर दिया। इस प्रकार बिना जान बुचकर ही उसने सिवलिंग की पूजा कर ली। निसाद राज की मिर्टु के पच्चात जब यम दूत उसे लेने आए तो सिवगनों ने उसे रोग दिया और कहा कि �
01:09पूजा चाहे अनजाने में क्यों न हो बक्त को मुक्त की ओर ले जाती है। इसलिए इस दिन सिव बक्त विशेश सर्दा और बक्त के साथ भगवान सिव की आरातना करते हैं। अधर मादेव नमस्कार।