Skip to playerSkip to main contentSkip to footer
  • 8/3/2025
क्या भैरवनाथ के बिना अधूरी है माता वैष्णो देवी की कथा?"

डिस्क्रिप्शन:

"माता वैष्णो देवी की पवित्र गाथा में भैरवनाथ की भूमिका क्यों महत्वपूर्ण है? जानिए इस अद्भुत कथा को, जहाँ शक्ति, भक्ति और मोक्ष का रहस्य छुपा है। यह कहानी आपको माता की महिमा और भैरवनाथ के मोक्ष की सच्चाई से अवगत कराएगी।"

🔔 वीडियो में क्या मिलेगा?
✔️ माता वैष्णो देवी की पौराणिक कथा
✔️ भैरवनाथ का अहंकार और उसका अंत
✔️ बाणगंगा, चरण पादुका और भैरवनाथ मंदिर का रहस्य
✔️ यात्रा के पवित्र स्थलों की जानकारी

🎥 पूरी कथा जानने के लिए देखें वीडियो!
✨ जय माता दी! ✨

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

यह कहानी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। इसका उद्देश्य केवल जानकारी और मनोरंजन प्रदान करना है। "मन्नू का सनातन ज्ञान" इसकी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं करता है।

इस वीडियो में दिखाए गए सभी दृश्य AI द्वारा निर्मित हैं और इन्हें केवल कथा के दृश्यात्मक प्रस्तुतीकरण के रूप में देखा जाना चाहिए।

धर्म और आस्था व्यक्ति विशेष की मान्यता पर निर्भर करते हैं।

✨ जय माता दी! ✨

#VaishnoDevi​ #Bhairavnath​ #matavaishnodevi​ #sanatandharma​ #Mythology​ #HinduDharma​ #Bhakti​ #spiritualjourney​ #Katha​ #hindumythology​ #religiousstory​ #शक्ति​ #वैष्णोदेवी​ #भैरवनाथ​ #Sanatan​ #hindutemples​ #devotionalstories

Category

📚
Learning
Transcript
00:00क्या आप जानते हैं कि माता वैसनों देवी की यह यात्रा वाग्दी, सक्ती और मौक्स का परतीक है और क्यों भैरवनात के बिना यह यात्रा अधूरी मानी जाती है
00:09प्राची निकाल में माता वैसनों देवी ने त्रीकूट परवत पर कठोरता वश्या की
00:13उनकी अपार सक्ती और तिवियता को देख कर लोग उनकी पूझा करने लगे
00:17लेकिन एक सक्ती साली तांत्रिक भैरवनात ने उन्हें एक सातारन करने समझ कर
00:23अपने एंकार में उन्हें बाने की ठान ली
00:25भैरवनात ने माता को अपने बल से वस्मे करने की कोजिस की
00:29लेकिन माता उसकी नियत समझ गई और उससे पचने के लिए त्रीकूट परवत की और बढ़ने लगी
00:35भैरवनात ने पीचे पीचे दोडने लगा और इस यात्रा के दोरान कई महतर पूरन तारमिक इस्तल बने जैसे की बान गंगा
00:42जब माता को प्यास लगी तो उन्होंने अपने बान से यहां जल धारा प्रवाहित की
00:47कहा जाता है कि इस जल में इसनान करने से सारे पाप धुल जाते हैं
00:51चरन पादुगा यहां माता को समय के लिए रुखी और उनके पवित्र चरनों के निसान आज भी यहां अंकित है
00:57अर्द कुवारी कुफा माता ने इस कुफा में नो मैने तक ध्यान साथ नगी लेकिन भैरवनात वहां भी आ पहुचा
01:04तब माता तूसरी ओर से निकल गई आखिरकार माता कुफा में पहुचे जहां भैरवनात ने उन्हें घेर लिया
01:10माता ने अपने महाकाली रूम में परकट होकर त्रिसूल से उसका वद्ध कर दिया
01:14भैरवनात का सिर्ख कई किलो मीटर तूर जाकर गिरा जहां आज भैरवनात मंदिर इस्तित है
01:20मरते समय भैरवनात को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने माता से समा मांगी
01:25माता ने उसे आशिवाद दिया यो भी मेरे दर्सन के बाद भैरवनात के मंदिर में मत्ता टेकेंगे
01:30उनकी यात्रा तबी पूरान माने जाएगी
01:32आज भी अर्साल लाको सरदालू माता वैसनो देवी के दर्सन करने के बाद भैरवनात के मंदिर जाते हैं
01:38जिससे उनकी याद्रा सब्रमानी चाहती है।
01:40जय मता दी!

Recommended