मुंबई, महाराष्ट्र: 2008 के मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में 17 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA की विशेष अदालत ने गुरुवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने सबूतों के अभाव में सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया। लेकिन, इस फैसले ने पीड़ित परिवारों को मायूस किया है। स्थानीय लोगों और पीड़ितों ने इसे न्याय नहीं, बल्कि एक बड़ी नाइंसाफी बताया है।
00:30वही पीडितों और उनके परिजनों ने कहा कि फैसला सुनते ही हमें गहरा सत्मा लगा हम इस फैसले को उच्छ नयाले में चुनौती देंगे
00:5729 सिटमबर रमदान का महिना था और इशा की नमाज के बाद जो है माले गाउं में बंबलाश्ट हुआ है सो से जाहिड लोग जखमी हुए है और पांस से साथ लोग जो है तो शहीद हुए है ये पुरा माले गाउं कावाई देता है और कोर्ड ने भी जिजाटों को माना है औ
01:27परटिक को सुना तो बहुत दिल दुखा है और दिल दुखने को बाद जो है तो हम गंददा हुए है और हम आगे जो है इसको हाई कोर्ड में चैलेंज करेंगे और मेरे फ़रसर सियत अधाराचा उनका दोजाराच में बिकुछ हो के पस बंदमनाश पेंदर माना बच्चा
01:57है यह इसाफ कर नहीं है हमको इसाफ कर लिए कि यह आगे हम हाई कोड और सुप्रेम कोड का दरौजा खटकर लेना है और इसाफ के वह पहुंचेगी
02:18आपने अगे शुप्रिम कोरडी आगे अगे, मेरी बच्ची थी, 10 साल की थी