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  • 2 days ago
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Transcript
00:00बेगम कोठी लखनओ का एक भूला विस्रा रहस्य
00:03लखनओ तहजीब और नवाबों का शह अपने इतिहास, इमामबाडो और कोठियों के लिए मशूर है
00:11इसी इतिहास में एक रहस्यमई कोठी है बेगम कोठी
00:16यह सिर्फ एक भवन नहीं, बलकि प्रेन, प्राजनीती, विश्वासधात और आत्मा की बेचैनी की चुप गवाह रही है
00:24यह कहानी है एक ऐसी बेगम की, जो अपने देश से दूर एक अंजानी सरजमी पर आई, प्रेन के लिए अपना सब कुछ छोड़ दिया
00:34लेकिन बदले में क्या मिला, धोखा, अपमान और एक रहस्यमय अन्द
00:40सन 1810 की बात है
00:43इंग्लैंड की एक सुंदर युवती मुन्रो फ्रांसेस को नवाब वाजिद अली शाह के दादा घाजी उद्दीन हैदर से प्रेन हो गया
00:52मुन्रो एक अंग्रेस अधिकारी की बेटी थी
00:55समाज ने इस रिष्टे को नकार दिया, लेकिन मुन्रो प्रेन में अंधी हो चुकी थी
01:01उसने इसलाम कबूल किया, नाम रखा गया, मुक्तारुल अस्मानी
01:06नवाब ने उसके लिए लखनव में एक आलिशान कोठी बनवाई, जिसे हम आज बेगम कोठी के नाम से जानते हैं
01:15बेगम कोठी उस समय लखनव की सबसे सुन्दर इमारतों में से एक थी
01:20इसमें संगमर्मर की नकाशी, जड़े हुए शीशे और मूर पंखों से सजे कमरे थे
01:27मुन्रो अब नवाबी तहजीब में रंग गई थी
01:31उस कोठी में नरिती, शायरी, संगीत और साहित्य के जलसे होते थे
01:36लोग उसे फरंगिन बेगम कहने लगे एक विदेशी जो अब लखनव की शान बन चुकी थी
01:43समय बीटता गया, लेकिन मुन्रो को कभी असली बेगम का दरजा नहीं मिला
01:48दरबार में उसे कुछ समझा गया
01:51जब नवाब की रुची अन्यरानियों की ओर बढ़ी तो मुन्रो अकेली पढ़ती गई
01:57बेगम कोठी में वह अकेली रहने लगी एक आंतवास में
02:02धीरे धीरे वह मानसिक रूप से अस्थिर हो गई
02:06कहते हैं वह रातों को आत्मा से बाते करती
02:10आईनों में खुद को देख कर बाते करती और बार बार दोहराती मैं बेगम हूँ
02:15मुझे नवाब ने अपनाया था
02:171857 की पहली स्वतंत्रता संग्राम के दोरान बेगम कोठी अंग्रेजों और भारतिय विद्रोहियों के बीच युद्ध का अड़्दा बन गई
02:27विद्रोही सैनिकों ने कोठी को मोर्चा बना लिया
02:31जबकि अंग्रेजों ने इसे कब्जे में लेने के लिए बंबारी की
02:34अंतर अंग्रेज जीत गए लेकिन इस दोरान कोठी खुन से लाल हो गई
02:40दीवारे गोलियों से चलनी हो गई
02:43कहा जाता है कि मुन्रो की आत्मा उसी दौरान कोठी में मारी गई या तो अंग्रेजों ने उसे मार दिया या उसने खुद आत्मदाह कर लिया
02:53आज बेगम कोठी रीडिंग रोड के पास स्थित है
02:56कुछ हिस्से रेजीडेंसी में आते हैं
03:01ये खंदहर हो चुकी इमारत अब एक साइलेंट वाच टावर की तरहे खड़ी है
03:06स्थानिय लोगों का कहना है कि रात को वहाँ एक औरत के रोने की आवाजे आती है
03:12काले कपडों में एक महिला छाया सी घुमती है
03:16और कभी-कभी कोठी की खिर्कियों में कोई चहरा जाकता है
03:19लोग मानते हैं कि यह मुन्रो की आत्मा है
03:23जो अब भी म्याय की तलाश में कोठी के गलियारों में भटकती है
03:28बेगम कोठी एक प्रतीक है
03:31प्रेम के लिए आत्मत्याग का, पहचान की खोज का और सत्ता के खेल में एक स्त्रीकी बली का
03:39मुन्रोफ फ्रांसेस ने प्रेम के लिए सब कुछ त्याग दिया, लेकिन इतिहास ने उसे कभी पूरी तरह स्विकार नहीं किया
03:47उसकी कोठी आज भी खड़ी है, लेकिन उसमें अब भी वह खालीपन, वह तनहाई और वह चीख महसूस होती है, जो सदियों पहले छुपा दी गई थी
03:58बेगम कोठी एक इमारत नहीं, एक अनकही आत्मा की कहानी है, हर इंट हर दिवार जैसे कुछ कहती है
04:07मैं देगम हूँ, मैंने प्रेन किया था, और मैं अकेली रह गई