Sawan में क्यों चढ़ाते हैं Shivling पर जल, क्या है Samudra Manthan का वो अनसुना रहस्य? | भगवान शिव के 'नीलकंठ' बनने और सावन में जलाभिषेक के पीछे की वो कहानी जो आपने शायद ही सुनी होगी।
सावन का पवित्र महीना चल रहा है और हर तरफ 'हर हर महादेव' की गूंज है। भक्त इस महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जब सावन में चारों ओर बारिश होती ही रहती है, तो फिर महादेव को अलग से इतना जल क्यों चढ़ाया जाता है? इस वीडियो में हम इसी रहस्य से पर्दा उठा रहे हैं और आपको उस पौराणिक कथा के बारे में बता रहे हैं जो सीधे समुद्र मंथन से जुड़ी है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने अमृत के लिए समुद्र मंथन किया, तो उसमें से 14 रत्नों के साथ-साथ महाविनाशक 'हलाहल' विष भी निकला। इस विष की अग्नि से जब समस्त ब्रह्मांड जलने लगा, तब सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शिव ने उस विष का पान कर लिया। उन्होंने विष को अपने कंठ में ही रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला पड़ गया और वे 'नीलकंठ' कहलाए।
00:11ऐसा कहते हैं सावन में भोले शंकर भक्तों के लिए 24 घंटे मौजूद रहते हैं
00:16इस दोरान स्विष्टी का पूरा भार पूरी तरीके से वही संभालते हैं
00:21क्योंकि भगवान विष्णु अपने योग निद्रा में लीन हो चुके होते हैं
00:25इसलिए भोले नात को प्रसंद करने के लिए भक उनका जलाभिशेक करते हैं
00:29ऐसा मानते हैं कि सावन में जलाभिशेक का विशेश महत्व होता है
00:32पर क्या आपने कभी सोचा है कि इस माह में तो बारिश होती ही रहती है
00:37फिर इतना जल क्यों चढ़ाया जाता है भगवान शिव को
00:40तो चलिए फिर आज आपको बताते हैं सावन में महादेव को जल चढ़ाने के पीछे की पौरानिक कहाने
00:46अब यहां बात हो रही है समुद्र मंथन की एक बार देवताओं और असुरों ने मिलकर अमरित प्राप्त करने के लिए या यूं कहें तो अमरित पान करने के लिए समुद्र मंथन किया
00:57इस मन्थन में कुल 14 रत्म निकले जिन में एक भयंकर विश भी था जिसे हलाहल विश कहा गया
01:04इस विश की ज्वाला इतनी तिवर थी कि संपुन ब्रह्मान में त्राही त्राही मच गई
01:09तब सभी देवता और असुद भगवान महादेव यानि शिवजी के पास पहुँचे और उनसे इस संकट से उबरने की प्रार्थना करने लगे
01:17अब भोले शंकर तो ठैरे भोले दानी तब भगवान शिव ने समस्त विश्व के कल्यान के लिए उस महान विश यानि हलाहल का पान कर लिया
01:25भगवान शिव ने करुना वश उस विश को अपने कंठ में धारन कर लिया ताकि वे संसार को नश्ट ना कर सके
01:31विश के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और वे नीलकंठ कहलाए
01:36जिस जगह पर विश्पान कर वे बैठे वे जगह आज उत्राखंड का एक बड़ा धाम है
01:40जिसका नाम है नीलकंठ जो रिशिकेश से उपर जाने पर पड़ता है
01:45अब कथा में आगे कुछ ऐसा हुआ कि विश के प्रभाव से उनके शरीर में भयंकर गर्मी उत्तपन हुई
01:50जिसे शांद करने के लिए देवताओं ने गंगाजल से उनका अभिशेक किया
01:55यह पूरी घटना वर्शा रितु के श्रावन मास में ही हुई थी
01:59और तभी से श्रावन मास में भगवान शिव का जलाविशेक करना अति शुब और पलदायक माना जाता है
02:05ऐसा विश्वास है कि इस महीने में जल अर्पित करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं
02:11और भक्तों को मनवानशित पल देते हैं
02:13श्रावन माह यानि सावन माह से जुड़ी अन्य मानेताय इस प्रकार हैं
02:17इस माह में शिव भक्त नदियों से गंगाजल लाकर कावण में भरकर शिवलिंग का जलाविशेक करते हैं
02:23ऐसी मानेता है कि श्रावन के हर सोमवार को वरत रखने और शिव पूजन करने से विशेश पुन्य प्राप्त होता है
02:30इसके अलावा एक और पौरानी कथा भी है जिसकी मताबिक इस पावन माह में शिव पारवती विवाह कथा का श्रावन भी विशेश रूप से करना चाहिए
02:40ऐसी मानेता है कि इस माह में देवी पारवती ने भगवान शिव को पती के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तब किया था
02:47इससे भी यह महीना पवित्र माना जाता है इसके अलावा श्रावन माहस किवल धार्मिक घ्रिष्टी से ही नहीं बलकि अध्यात्मिक घ्रिष्टी रूप पोर्ण से भी अत्यन्त महत्वपुर्ण है इसमें शिव के उपासना उपास भकती और सेवा से जीवन में शांती, स
03:17अब आप बताईए कि क्या आप ये कहानी जानते थे या फिर कोई और कथा भी प्रचली थे
03:47श्रावन के इस पावन मास को लेकर जिसे आप जानते हूं फिर मिलेंगे आप से कोई अगली कथा या जानकारी लेकर मैं रिचा और आप देख रहे हैं One India Hindi धन्यवाद