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ओंकारेश्वर में शिवलिंग का रहस्य क्या? अद्भुत, अविश्वसनीय, अकल्पनीय में देखिए
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00:00हम झाल जाल
00:25एक मंदिर जहां शिवलिंग के ऊपर शिखर नहीं, गर्ब ग्रे के मध्य में शिवलिंग नहीं
00:55एक ऐसी जगे, जहां मान्यता है, रोज रात्री विश्राम के लिए मा पार्वती और महादेव आदे
01:25आज भी रात में शेहनार्थी के पस्चा चोसर विछाई जाती है, जो सुभे बिखरी हुई पाई जाती है
01:34भगवान शेंकर और माता पार्वती ओमकारिश्वर में रात में विश्राम करते हैं
01:40वेदों में वर्नित, पुराणों में उन लेखित और युगों में घटित ऐसी ही चमतकारिक यात्रा पर आज चलिए हमारे साथ
01:59जिस पहाड़ी के परिक्रमा बनी है, वो पहाड़ी भी ओम आकरती की है
02:06जो परवत्र भगमान उंकार विराजमान है, वो परवस्वम सिवलिंग की आकरती में है
02:10वो चारत तरप नरबदा मईहा जलेहरी बनकर बहे रही है
02:13जहां कंकर कंकर शिव है और पत्थर पत्थर शिवाले
02:18जो साक्षाथ है, प्रत्यक्ष है, वो अदबुद है
02:27जो अद्रिश है, वो अविश्वस्निय और जो सत सामने निकल कर आएगा, वो अऔर कल्पिय होगा
02:33नमस्कार मैं हूं श्वेता सिंग और आप देख रहे हैं अद्भुत और विश्वस्निया और कल्पनिया जहां आज हम आपको ओंकार इश्वर ज्योतिर लिंग के बारे में अद्भुत और विश्वस्निया और कल्पनिया बातें बताने वाले हैं
02:46आप यकीनन इस जोतिर लिंग की कथा जानते होंगे लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसके गर्ब ग्रे के उपर मंदिर का शिखर क्यूं नहीं है
02:57महादेव के ठीक सामने नंदी विराजमान क्यूं नहीं है वो दूसरी जगे क्यूं स्थापित है यहाँ पर एक शिखर लिंग नहीं है यहाँ पर पांच पांच शिखर लिंग की कहानी है एक अद्भुद परिक्रमा पत है और यह सारी कथाए हम आपको आज सुनाने वाले है
03:27क ye sup
03:39हुआ थ कन आया हुआ लुट ए थो
03:53जिसे एक शब्द में स्रिष्टी का सार छिपा है
03:59सदियों नहीं युगों पुराना ये उंका रेश्वर महादेव का मंदर
04:03कुछ ऐसे ही हैरान करने वाले रहस्यों को समेटे
04:06एक तरफ आस्था है, दूसरी तरफ अध्भुत और विश्वस्निय और कल्पनिय रहस्य
04:14पार्वती और शिव दोनों आकर के यहाँ पर के चौसर खेलते हैं
04:25ओंकारिश्वर ही असा जो तरलिंग है, जिसके सनमुख सिवलिंग न होते हुए साइड में रखा गया है
04:33देखा गया है कि वहाँ पर मिट्टी और दलल है, ना किस सिवलिंग है
04:36एक ही दीपक में तीन बात यहां जल जल रही है, प्रम्भा, विष्टू, महेस्की
04:42इसमें अपना भुद्वहिष्ट वर्तमान तीनों दिखाई देता था
04:47ओं में तो बेठे ही हैं आप
04:48दर्ने हमारा जुवर, हम भावा के दर्शन
04:52मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा और कावेरी नवियों के बीच स्थित ये मंदिर
05:10उंकारेश्वर महादेव का स्थान है
05:13उंकारेश्वर इसलिए क्योंकि संपून टापू ओम के आकार का है
05:17ओम तीन शब्दों से मिलकर बनता है अ, उ और म
05:21ये तीन अक्षर प्रते निधित्व करते हैं ब्रह्मा, विश्नु और महेश का
05:25और जहां ये तीन स्वयम हो वो बन जाता है महातीर्थ
05:30उंकारेश्वर धाम को लेकर भी ऐसी ही अद्भूत मान्यता है
05:33किसी का मानना है कि भक्त ने वर्दान मांगा तो भगवान यही बस गए और आज भी यही
06:00मान अर्बदा का भगवान शंकर के स्वय से प्रागट्टे हुआ तो उन्होंने एक वर्दान भगवान से मांगा
06:10और भगवान आपको सदेव मेरे साथ रहना पड़ेगा तो सदेव रहने के लिए भगवान को अपना शैंसान रेवा के तटको चुनना पड़ा
06:17किसी का मानना है कि यहीं से ज्ञान प्राप्त करके आदिगुरु शंकराचारिय निकले तो संपूर्ण सनातन को रक्षा सूत्र में पांध दिया
06:31कोई मानता है कि तीनों लोग का भ्रमण करके जब महादेव लोटते हैं तो इसी मंदर में माता पारवती सहित विश्राम करते हैं
06:54भगवान शंकर माता पारवती के साथ उस मंदर में रात में चोसर खिलने आते हैं
07:03ऐसी भी मानने ता है कि वहाँ पर आज भी रात में शेहनारती के पस्चा चोसर विच्छाई जाती है जो सुभे बिखरी हुई पाई जाती है
07:11भगवान शंकर और माता पारवती ओमकारिश्वर में रात में विश्राम करते हैं
07:17जो दुनिया में कहीं नहीं होता वो यहां होता है
07:23यहां भगवान शिव पाच रूपों में निवास करते हैं
07:27यह विश्वका एक मात्र शिवलिंग है जिसकी परिक्रमा की जाती है
07:31कि उंकालिश्वार जोति लिंग एक एसा जोति लिंगर कि उसकी प्रदिख्षना की जाती है क्योंकि वह मंदिल जो है नर्मदा के तड़ते ओम के आकार में स्थापी थे
07:40मान्यताएं अंकिनत हैं तो प्रश्ण भी कई है प्रश्ण शिवलिंग के मूल स्वरूप को लेकर
08:01स्थान को लेकर हम हर सवाल का जवाब लेने और आस्था के अध्भुत अविश्वस्निय अकल्पनिय अनुभव को मैसूस करने के लिए मान नर्मदा की लेहरूं पर सवार होका है उंका रेश्वर मंदिर की तरफ पढ़ चले
08:15नर्वना जी जो है उन्हें शिव जी की पुत्री माना जाता है यानि शिव और शक्ति
08:45अध्यात्मिक अनुभव को जाता है कितना अध्यात्मिक हो जाता है कितना अध्भुत अविश्वस्निय अकल्पनिय अनुभव
09:15उंकारिश्वर भगवान शिव के 12 जोतिर लिंगों में से 4 जोतिर लिंग है
09:34जोतिर लिंग वो होते हैं जहां शिवलिंग के अंदर जोतिर रूत में लीन स्वयम महादेव की उपस्थिती मानी जाती है
09:40उंकारिश्वर ऐसा ही पवित्र जोतिर लिंग है
09:43उंकारिश्वर जोतिरलिंग के बारे में इतनी कथाए हैं कि मन उत्सुक था
09:51हर प्रश्ण जैसे एक पहेली था
09:54कि आफिर क्यूं नंदी जी का मुख शिवलिंग से दूर है
09:58क्यूं ये गर्बगरी के मध्य में नहीं
10:02और क्यूं इसके ठीक उपर शिखर नहीं
10:06और क्या ये बाते सुनी सुनाई है या सचमुच ऐसा है
10:10ये जानने का एक ही तरीखा था
10:12वहां जाकर समझना
10:14कि मंदर की शुरुवात यहीं से हो जाती है
10:20यहाँ पर पाताल महादेव के दफशन आप कर सकते हैं
10:23इधर पंच मुखी गनेश जी का मंदर है
10:25यानि कि स्वाइमभू गनेश जी है और पांच मुख उनके दिखते हैं
10:29चार आपको सामने के इस हिस्से से दिख जाएंगे
10:32और एक जो मुख है गनेश जी का वो पीछे की तरफ दिख जाएगा
10:36चाहे कोई ऐसी पावन तिथी हो
10:40या कोई भी दिन हो जो भक्त हैं वो सब यहाँ पर देखी अभी भारी गर्मी हो गई है यहाँ पर
10:46लेकिन दूर दूर से आके सब यहाँ पर उनकारेश्वर महादेव की दर्शन के लिए
10:51सब यहाँ पर पूरी भक्ति भाव के साथ पंति बद यहाँ पर खड़े रहते हैं
10:57बारज योतिन लिंग में स्थान होने के कारण उंकारेश्वर के प्रती न केवल देश बलकि दुनिया भर के श्रद्धालगों की आस्था है
11:11भत यहाँ दूर दूर से दर्शन करने आते हैं
11:15यहाँ उंकारेश्वर में बाल रूप में शंकराचारे जी की भी प्रतिमा है
11:18वो इसलिए क्योंकि उनकी तपस्या का सबसे महत्वपूर्ण समय इसी उंकारेश्वर मंदर में व्यतीत हुआ था
11:25लुप कर शंकराचारे जी इए कालणी से चल्के अपने उनका ग्रह जंसतान था वहाँ से चलके 7 वर्ष्किया यूं में
11:38यहाँ पे उनके गुरू
11:39के गुरू साथ वर्ष की आयू में देख रहे हैं और जब वो यहां पहुंचे तो नहीं देखा कि नर्मदा उखान पर है और देरे दिरे दिरे इस कुफा के अंदर आ रही है तो शंकराचारे भगवार ने देखा कि जिन से दिक्षा लेने के लिए मैं आया हूं उस समय उन्
12:09शंकराचारे भगवार ने और अपने गुरू उससे प्रसन होके ही गोविंद पादा जारे जी ने उन्हें दिक्षा दी और फिर यहां पांच वर्ष तक वो उनके पास ही अध्यम रहे मतलब बारे वर्ष की आयू तक फिर जिगवेजे के लिए पुरे भारत में गए अच
12:39वर्ष की आयू अबोध बालत माना जाता है लेकिन क्या सोच रही होगी आदिगुरू शंकराचार्य की कि उस साथ वर्ष की आयू में यहां पर आये बारे वर्ष की आयू में यहां से दीक्षा प्राप्त करके चले गए यह जो गुफा है हलंकि बहुत सारा निर्माण इस
13:09यह रास्ता जो है यहां से आपको नर्मदा जी की आवाज भी वो कलकल धारा आपको यहां से सुनाई देगी यह नर्मदा जी जाने का रास्ता है और यहीं से एक रास्ता जाता है उपर की तरफ इधर से बताया गया है इधर से यह जो सेढ़िया आपको दिख रही है यह र
13:39कभी संपून स्थान को इक्षवाकू वंच के राजा मानधाता का शासन होने के कारण मानधाता कहा जाता था
14:04राजा मानधाता शिव भक्त थे और महादेव की अनन्य भक्ति किया करते थे एक्षवाकू वंच वही है जिसमें आगे चलकर भगवान श्री राम ने जन्म लिया था
14:34ओंकारा एक शिवलिंग में ब्रह्मा विष्णू महस्ति राकार धरती से प्रकट हुए हैं इसलिए अखंडे जो जो जल रही है प्राचिन समय से एक दीपक में तीन बात यहां जल जल रही है ब्रह्मा विष्णू महस्ति की
14:46हमें अश्र यह हुआ यह जानकर कि यहां किवल उंकार इश्वर जोतेरलिंग नहीं बल्कि महादेव पांच तलों में विराजमान है
14:58यहाँ पर और भी शिवलिंग है। पहले तलपर उंकारिश्वर जोतिरलिंग जहां हम कुछ देर में आपको लिये चलेंगे।
15:18पर इसके उपर के तलपर आपको हम पहले लिये चलते हैं।
15:23यहां प्रथम तलपर उंकारिश्वर, दूसरे तलपर महा कालेश्वर, तीसरे तलपर सिध्धनाद, छॉथे तलपर गुपतेश्वर और पांचवे तलपर धोजेश्वर महा देव स्थित हैं।
15:36कहते हैं बहुत कम ही लोग पांचों तलूं तक दर्शन के लिए जा पाते हैं पर चलिए हम आपको पांच में तले तक ले चले यहां केवल ओंकारेश्वर जूतिरलिंग के दर्शन नहीं होते हैं बलकि और गी शिवलिंग यहां पर हैं हम उन सब के बारे में जानकारी देते
16:06यहां पर अलग-अलग शिवलिंग कौन-कौन से हैं।
16:36तीसरी मंजिल पर स्थापित है सिद्धनाच शिवले कि इसके लिए मुख्य मंदिर से थोड़ा सा बहार निकल कर फिर प्रवेश करना होता है
17:06वाव जल रहा है बिलकुल इतनी तेज़ धूप है लेकिन अब चुकी ओंगरेश्वर महादेव के दर्शन हमने किये तो अब बाकी शिवलिंगों के भी दर्शन हम आपको कराते हैं आम तौर पर लोग बहार से दर्शन करके लोट जाते हैं लेकिन ये सिद्धनाच मंदिर है
17:36जो ही हम प्रणाम करते हुए चलते हैं आपको ये अलोकिक जो मूर्तिया है ये अलोकिक दर्शन भी करवाते हुए
17:45चौथी मंजल तक जाते हुए रास्ता और संक्रा हो चला था यहां स्थापित है कुपतेश्वर शिवलिंगों इसके आगे बढ़ते हुए सेणिया और सक्री और उची थी
18:03करने के लिए कोई नहीं आता है यह पता चलेगा तो मुझे लगता है कि बहुत सारी लोग हैं जो यहां पर आना चाहेंगे दर्शन करने के लिए यह बहुत प्राचीन
18:18जो हमेशा से जो रहा है वो यही रहा है यह गुपतेश्वर मंदर में पहुंच गये हैं यानि अगले शिवलिंग में अंकारेश्वर जोतिलिंग में सबसे नीचे अंकारेश्वर जोतिलिंग के दर्शन करें आपने उसके उपर महाकालेश्वर शिद्देश्वर और यह �
18:48सब्सक्रा रास्ता है और बहुत खड़ी सीधिया यहां पर लेकिन असल में मन में उत्सुकता है कि हम सभी शिवलिंग जो उंका रिश्वर्न स्थापित है वो उन्हें देखें और आप तक वो दृश्य हम पहुंचाएं इस कारण हो चड़ रहे हैं यहां पर थोड़ी देर क
19:18मंदिर में हम पहुंच गये हैं यानि उस स्थान पर जहां पर जो शिवजी जिस रूप में यहां स्थापित है उनका अंतिम रूप यहां उंकारेश्वर का
19:29लेकिन जैसे ही हम सीडियों के उपर पहुंचे उजाला ही उजाला, यहां से सीधे मानर्मदा के दर्शन हो रहे थे, चटानी तट को इतनी उचाई से देखना हालोकिक था
19:59यहां ज़ज अर्पित करनी की भी परंपर है यह उंकरिष्ट जोतिलिंग मंदिर का पाँचवे मंजिल पर इस्तितिय धोजेश्वर महादेव मंदिर है यही पर दूर दूर से आने वाले स्रद्धालू अपनी स्रद्धा आस्ता है जो उनकी माननता रहती है उस आधार पे य
20:29उमकरिष्वर यही है कोई दूसरा और उमकरिष्वर जोतिलिंग नहीं है यह ओमकरिष्वर जोतिलिंग के बात ये मंदिर बनते गए
20:37हमारा लक्षे था ओंकारिश्वर जोतिरलिंग से जुड़ी हुई मान्यताओं को स्वयम समझना
20:47और देखना कि क्या वाकई जो बातें कही जाती है वो सच है या कलपना
20:51ये भी खबर रही कि कुछ समय पहले वहां कुछ खुदाई का भी काम हुआ था
20:56हम वापस प्रथम तल की ओर लॉट चलें
21:00अगर्मी में आए दर्शन की बड़ी इच्छा थी ये तैयालू हमें बुला लिए
21:11बहुत इच्छा थी बाबा के दर्शन करें और वह दर्शन हो गया हम बहुत खुष है धन्य हमारा जीवार हम बाबा के दर्शन हम दृष्टी पर क्या लगा बहुत बढ़िया लगा बहुत बढ़िया लगा मैं एर फोर्स से हूँ पूने में काम कर रहा हूं अभी इधर �
21:41और यहां पर जो पबलेक आती है ना यह इनी के आदिस से आती है अगर कोई चाहा है कि हम यहां पर कुछ कर सकें तो उनका बहम है वो जब जो चाहते हैं तभी सब कुछ अच्छा होता है अगर कोई व्यक्ति अगर चाहता कि हम कुछ करा रहे हैं तो वो कभी नहीं होता है �
22:11हम गर्ब ग्रेह में पहुँचे तो आस्था के प्रबल प्रवाह में खुद को भी बदला हुआ महसूस की
22:20यहाँ पर अगर आप शिवजी का स्वरूप देखेंगे तो स्वयम्भू है और निराकार है
22:37आप उनका आकार देखकर ही यह समझ सकते हैं और जो जल चढ़ाते हैं वो पंडिजी बीतर कोई भी व्यक्ति यहाँ पर सीधे जाकर रही वहाँ पर कूजा करता है
22:47लेकिन अपने भावों के साथ अर्पित कर देता है वो जल जो आगे जाकर शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है
22:53और यही है उंकारेश्वर जोतिरलिंग जिसके सामने शद्धालू पूर्ण शद्धा के साथ नत्मस्तक होते हैं
23:01आस्था का हर रूप स्वयम में अद्भुत होता है लेकिन उंकारेश्वर महादेव मंदिर में जो बात समसे अधिक चौकाने वाली हमें लगी
23:12वो ये थी कि जहां शिवलिंग है मंदिर का शिखर उसके ठीक उपर नहीं था
23:16हमने अब तक ऐसा कोई मंदिर नहीं देखा था जहां मंदिर का शिखर गर्ब ग्रे के ठीक उपर न हो
23:22तो क्या जान बूचकर मंदिर ऐसा बनाया गया था
23:26यह हमारे सवालों का जवाब इतिहास की किसी घटना में छिपा है
23:56योतिर के रूप में योतिर लिंग के रूप में तो उस समय कोई मंदिर की विवस्ता बनाने की नहीं थी बाद में परमार कालिन राजाओं ने धीरे धीरे धीरे धीरे मंदिर बनाए और वो मंदिर जो शिवलिंग आज का है आज जो शिवलिंग जहां पर है उस पर गर्ब ग
24:26यह सारी बातें भक्तों को हैरत में डालती हैं क्योंकि दुनिया में ऐसा कोई मंदर है ही नहीं जहां स्वयंभू भगवान के लिए गर ग्रे नहों दूसरे वो मंदर के शिखर के ठीक नीचे नविराजमान
24:40कई सवाल बन में उपके क्या शिवलिंग को किसी कारणवश छुपाया गया स्वयंभू भगवान के प्राकट्य वाला गर्ब ग्रे कहां है और यहां पर और उसके कारण भी बताया गया कि खुदा ही की गई
25:05काफी समय से यह प्रांती रही है कि ओंकारिस्वर जोत्य लिंग में जो हम वरतमान सिवलिंग ओंकारिस्वर के दर्सन कर रहे हैं यह ओरिजिनल सिवलिंग न होते हुए उनके साइड के गरबगर में ओंकारिस्वर जोत्य लिंग मान बिराजमान है लेकिन यहां पर अन्य स
25:35पेनेट्रेटिंग रेडार यानि जीपी आर से इस प्रक्रिया के दौरान पत्थरों के नीचे हाई फ्रिक्वेंसी तरंगे भेजी जाती है जो लौटती है इक इमिज बनाकर ठीक वैसे जैसे इंसान के एक स्रेज के जरीए किया जाता है
25:50जीपी आर एक जीओ फीजिकल इस्टुमेंट है जिसको हम कहते हैं ग्राउंड पैनिट्रेटिंग रेडार और इसकी जो प्यूगिता है वो जमीन के अंदर बिविन प्रकार के जो स्ट्रक्टर्स हैं जैसे हम लोग एज जियालोजिस्ट हम कहें तो हम रॉक के डिफरेंट ल
26:20है कि नहीं क्या सिटुएशन है धर्थी के अंदर इसका हम पता कर लेते हैं बहुत एकुरेसी और बिना जमीन को खोदेवे बिना उसके डिस्टर्ब के वे हम जमीन के अंदर की वस्तिस्तितिका पता कर लेते हैं
26:33अधुत पहेली थी हमारे सामि गर्रफ ग्रेह और मंगी अराधिय अलग-�लग स्थान पर थे
26:57ब्रहांती भी दूर हो गई जनता की हमारी सब की कई भाय हो सकता है नंदी के सामने जो दिवाल है
27:03इसके अंदर सिवलिंग ओंकारिश्वर में जोतरलिंग हो सकता है
27:06लेकिन जब उनका सरवे कराया गया तो उसके अंदर सिवलिंग नहीं है
27:13उसके अंगर्ब ग्रह में क्यों दलदल और मिट्टी है तो हमारा भरंबी दूर हो गया
27:17हम चलके देख सकते हैं वो जिस्थान जाहां खुदाई है इसलिए काफी ज्यादा यहाँ पर लोगों की मौजूद्गी है यही वाली दिवार है जहां पर खुदाई हुई और खुदाई में आप कह रहे हैं केवल दलडल पाया गया है
27:41यहाँ पर जो दिवाल खड़ी है इस सारे यहां की जनता है लोगों का कोतु हल बना हुआ था कि हो सकता है यह सिवलिंग अंदर होंगे मुख्य जोतिलिंग उंकारिश्वर इनके अंदर हैं लेकिन इनकी खुदाई की गई है आर्किटेक्ट और पुरात्त विखाग द्वार
28:11जोतिलिंग है यानि उंकारिश्वर महादेव शिवलिंग जहां हजारों साल पहले प्रकट हुआ था वहीं अंगल रूप में विद्यमान है कालांतर में धर्म परायन राजाओं ने जैसे जैसे मंदर का निर्माण कराया उसका स्वरूप अलग होता चला गया जो नए शि�
28:41ओंकारिश्वर महादेव मंदर में शिवलिंग की कथा अद्भुत है तो नंदी महराज की दिशा तो अकल्पनिय भी है और अविश्वसनिय भी
28:50एक और बात जो यहां के बारे में कही जाती है वो यह की नंदी जी ठीक महादेव के सामने नहीं है आप देखेंगे तो महादेव वहाँ पर विराजमान है और उनसे थोड़ा सा दाहिने हटकर नंदी जी यहां पर विराजमान है अब इसका क्या कारवी हो चलता है
29:11दुनिया में जितने भी शिवलिंग है वहाँ शिवलिंग की और मूँ करके बैठे नंदी जी जरूर स्थापित है फिर उंकारिश्वर महादेव मंदिर में ऐसा क्यों नहीं
29:29क्या नंदी जी के दिशा जान बूज कर दूसरी रखी गई या यह कोई भूल थी क्या कारण है नंदी जी के शिवलिंग से अलग दिशा में होने का पड़िजी बताईए कि यहां पर नंदी जी एक हम देख रहे हैं उनका भी मुख ठीक सामने नहीं है महादेव के यहां पर ह
29:59योग इनहा कामदम मोक्षडम चाईवा ओंका राय नमो नमहा द्वादस जोतिर लिंगों में चतुर जोतिर लिंग ओंकारिश्वर जो की मांधाता राजा की तपस्या से प्रकट हुए निराका रूप में कहा गया है कि जहां पर भी हमरे सिवाले देवाले बनते हैं नंद
30:29जो प्राचिन समय से आज से नहीं है कावेरिका नरबदयो पवित्रे समागमे सजनतारनायो शदैव मांधा त्रिपरे वशंतम ओंकार इशम सिवमे कमीडे कहा गया है कि पुरु समय में जो मुगलों को अकरांताओं को सासन कालाया तो उन्होंने आकरमन करते थे हमारे मंद
30:59नहीं हमारे मंदिर को छती पहुँचे नहीं सिवलिंग जिनिनिस्टी नहीं हो सुरक्षा की द्रश्टी से उनको साइड में बिठाया गया है
31:07ये कारण हो सकता है कि मुगल आकरांताओं से मूल शिवलिंग की रक्षा के लिए नन्दी जी का स्थान परिवर्थित किया गया
31:15बात सद्यों पुराने इतिहास की हो सकती है लेकिन अब भी वही स्वरू क्यूं है
31:23दरसल शिवलिंग का शिखर की नीचे नहुना और नन्दी महराज का शिवलिंग की दिशा में नहुना
31:36भक्तों के मन में स्वाभाविक सवाल उत्पन करता है कि कहीं ऐसा तो नहीं कि जिस दिशा में नन्दी जी का मुख है
31:43शिवलिंग वहीं कहीं किसी तैखाने में हो
31:45हमें यहाँ दो मत मिले
31:47शिवलिंग अपने मूल स्थान पर ही है
31:50जहां प्राकट्य हुआ था
31:52शिवलिंग को आकरांताओं से रक्षा के लिए
31:55नंदी जी का स्थान बदला गया
31:57काशी के बाबा विश्वनात मंदिर में भी
32:01नंदी महराज का मूध दीवार की तरफ था
32:03सामने कोई शिवलिंग नहीं था
32:05इसी को आधार बनाकर हिंदू पक्षने
32:07मस्जिद के सर्वे की याचिका दायर की थी
32:09रहाल सवालों के सामने
32:15मंदिर के भीतर की कड़ियों को समझने के बाद
32:45हम मंदर परिसर के बाहर की तरफ आ गए ये विराट और विशाल मंदर जिस पहाड़ी पर है उसके बारे में कहा जाता है कि वो पूरी पहाड़ी ये ओम के आकार की है
32:55तो यह उंकारेश्वर जोतेरलिंग है, उंकारेश्वर धाम है और यह स्थित है ओम परवत पर, अब ओम परवत जो है वो अगर मैं आखों के सामने ऐसे देखू, तो मुझे पता नहीं चलेगा कि यह ओम परवत है, यह देखने के लिए मुझे उपर से देखना होगा, एक सम
33:25को से शूट कर रहे हैं, योगेंदर सिंग मेरे साथ यहां पर इस कैमरे से ड्रोन पर नजर भी रखे हुए हैं, कि हम किस तरह की तस्वीर यहां पर देखते हैं, और हम मिलकर वो तस्वीर, वो आलोकिक तस्वीर आपके लिए क्याप्चर करने की कोशिश करते हैं, जिस कार
33:55अचार के द्वीप पर है इसलिए मंदर का नाम ओमकारेश्वर है या फिर भगवान ओमकारेश्वर का निवास यहां है इसलिए यह द्वीप ओम क्या आकार की है
34:04ये सवाल इसलिए क्योंकि ओम के बारे में कहा जाता है कि जब न धर्ती थी न आकाश था न जल था न जीवन था तब एक ही कमपन जिसकी ध्वनी थी ओम
34:22भगवान शिव को आदी अनंत का ईश्वर कहा जाता है यानी सरल शब्दों में समझें तो जब पुछ नहीं था तो शिव थे और उनके साथ थी ओम की ध्वनी
34:38तो क्या उंका रेश्वर मंदर की द्वीप ओम और महादेव के पूरक होने का प्रतीक है और क्या वाकई उंका रेश्वर मंदर का द्वीप ओम आकार का है
35:01आदेव महादेव के ओम से संबंध को तीन तस्वीरों से समझने की कोशिश करते हैं
35:07पहली तस्वीर कश्मीर में वेरिनाग के ओमा गाउं की
35:16कहा जाता है कश्मीर की डेमोगरिफी बदलने से पहले इस ओमा गाउं का नाम ओम था
35:21और इसके पीछे कारण ये था कि यहां के शिवाले से ही पवित्रमरनाथ यात्रा शुरू हुआ करती थी
35:28अब यात्रा के पत में ये गाउं नहीं आता लेकिन ओम और महादेव की आस्था को लेकर विश्वास कायम है
35:34हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ हुआ ह
36:04पीर यहांसे ख़रा झाल दिया थे जट पहर गहुए टो और अंगया तुक वह शु architect
36:09प्राना जैसे पत्थर जैसे था आँ वो पराना था वो जब यहां से हालात खराब होगी थी इसको यहां पर निकाल दिया गया था और वहां पर हमने इसको रख दिया था चुपा के फिर वहां से आर्मी वालों ने निकाला लिया इसलामबाद में वहां उसको साब को जो साब
36:39केलाश परिक्रमा के समय शद्धालू ने यहां की हवाओं में जो द्वनी सुनने का दावा किया वो भी ओम की द्वनी को महादेव की भक्ति से जोड़ती हुआ
36:49वहां तो कंकन में शिवजी है सबको सिवजी दिखते हुआ जाके और जब एक जगा हम बिल्कुल नजदीक पहुच गए थे तो वहां हवाच अफरी तेज तो खानों में बम-बम की अवाज भी आ रही तो तीसरी तस्वीर ओंका रेश्वर मंदर की है जहां ओम की आकृती के
37:19ओम को ध्वनी रूप में प्रम्भांड की आवाज भी कहा जाता है रिगवेद के अनुसार ओम और परिमित यानि असीन रूप रहित यानि बिना किसी रूप और आकार के और सर्विव्यापी यानि हर जगे है ये तीनों गुण अलग-अलग व्याख्याओं में महादेव क
37:49शद्धालू की शद्धा का अद्भुत विश्वास था यहां सब शिव में था जो ओम में समाहित था ओम यानि ओंकार ओंकार यानि ओंकारेश्वर
38:02भक्तों की भक्ति भाव का ये अविश्वस्निय और अकल्पनिय रूप कि वो ओम में जब शिव को देखते हैं तो पूरे क्षेत्र को ही शिव मान कर इसकी परिक्रमा करते हैं
38:21इस ज़ातर की आख सब्सक्राइब आट जेकर कि बाणियाथ काहिई और द्रिक्रमा की मानियता है और 7 क्लमेटर लंबा ये पूरा
38:39रास्ता है जो इस तरीके से बना हुआ है साथ किलोमीटर जब आप चलेंगे तो आपको अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग प्राजीन मंदिर दिखेंगे जहां पर आप दर्शन कर सकते हैं तो जितने रहस्य पूरे एक शेत्र में फैले हुए हैं उन्हीं रहस्यों में �
39:09सारी चीजों की परिक्रमा आप एक साथ कर रहे हैं और ऐसा लगता है जैसे कि यहां का जो अनुभव है वो इतिहास और आध्यात्म का अभूत-पूर्व अनुभव आपको मिल रहा है
39:20एक तरफ नर्मदा दूसरी तरफ कावेरी बीच में ओंकारेश्वर मंदिर का ये परिक्रमा पत अध्भूत-अध्यात्मिक अनुभव और अविश्वस्निय उर्जा से भरा मार्ग हर कदम पर एक आलोके कनुपूति
39:36हे अर्जुन मैं महर्शियों में भ्रिगू और वचनों में एक अक्षर अथार्थ ओंकार हूँ गीता का सार आपको इस पूरे परिक्रमा मार्ग पर दिखता चला जाएगा तो थोड़ी से भी ठकान अगर आप महसूस करते हैं तो वह आपकी दूर हो सकती है इसके साथ ही �
40:06परिक्रमापत का एहम पड़ाओ है गौरी सोमनाथ मंदिर मानेता है कि यह मंदर द्वापर काल से गही है और तब से जो भी ओंका रिश्वर महादेव की दर्शन करने आता है वो यहां जरूर आता है इस अधुत मंदर के इतिहास का एक सिरा पांडवों से जुड़ता है त
40:36यह मंद्य में होता है मंद्य में है मंदिर है,च साथ किलोमेटर के परिक्भा है उनके मंद्य में है बताते हैं कि नर्मदा और काविण कैशुण द ह्वारान से आई है ना तो घैसे ब्रक दर्ब्स से ऊपर 30 km इनका मिलन हरं संगम हबैं दर्बसकर और फिर ध्रीम से उतरन
41:06ओमकार का रुप बन गया, तो इसी से बताते हैं कि पहले ओम हुआ है, फिर ओमकार हुआ है, तूसी ओमकार के ही है, मद्धे में ही गौरी सोमनाथ मंदिर.
41:16मुख्य मंदिर में सामने सोमनाथ शिवलिंग है, और ठीक उसके पीछे माता गौरी, लेकिन इस मंदिर का एक और अध्भुत आकर्शन है, और वो है मामा भानजे का किस्ता.
41:46इसमें अपना भुद भहिष्ट वर्तमान तीनों दिखाई देता था, जशे आपन यहां पर खड़े हुए, तो अपना भाहिष्ट दिख्याता था, जो होने वाला जन्म होगा, वो कौन सा होगा, तो इसका बताते हैं, मुगल सासक यहां पर आया, उसको पता हुआ कि मु�
42:16का जन्म दिखा, कि जो होने वाला जन्म होगा, वो शुवर का होगा, उसने करोधीत में इस शिवलिंग को तोलने का भुद परियास किया, बताते हैं, यह तूटे नी, तो इन्हें जला दिया गया, तब से यह काले भी है, यह मानेता आज भी है, कि कभी गौरी सोमनात मंद
42:46ऐसे जैसे कि शिव की चेतना यहां हर कंकर में विद्यमान, उमकारिश्वर की मेहमाने होती तो का है, ओम में तो बेटे ही हैं आप,
43:16उनकी मेहमाने होती तो आपकी धर्शन कहां से होती हमें, यह हम सन उन्नेश में आई थी, और एक वेर ओवर हो गयते परिकमा में, हाँ, परिकमा कर चोके हम, हाँ, बारा से पंदर तक करी थी परिकमा, फिर एक परिकमा हो करी थी, और अब और करने हैं, परिकमा.
43:33उंकारेश्वर महादेव की प्रती भक्तों की आस्था ऐसी है कि वो उनके नाम का सुमरन करना जीवन का लक्षमान दे है
43:43कोई इसी के चलते भक्ति भाव में खिचा चला आता है और कोई महादेव के नाम के साथ जीवन ही बिता देता है
43:52ब्रह्मान्ड का पहला नाद परम ब्रह्म से उसका संबन्ध और ये उंकारेश्वर धाम अपने आप में है अद्वुत अविश्वस्निय अकल्पनिय
44:04अभी के लिए इतना ही जै नागरा और साथी क्यामर परसंस हितेश कुमार और योगेंदर सिंग के साथ मुझे दीजिए इजाज़त देश और दुनिया की बाकी खबरों के लिए आप देखते रहिए आज तक
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