00:00आम आदमी के हर मुद्वे पर आज तक आपको खबरदार करता है
00:03मिलावट सिर्फ खाने में ही नहीं, मिलावट आपके भविश्य के साथ भी हो रही
00:06नेता तो धर्म जाती के नाम पर उल्जाकर अपने बच्चों को विदेश पढ़ने भेज देते हैं
00:11आप कहीं सरकारी स्कूल या निजी स्कूल वच्चों को पढ़वाते हैं
00:15लेकिन केंद्र शिक्षा मंत्राले का देश के स्कूलों में कराया गया सर्वे, चिंता और चौकाने वाला सच बताता है
00:22जो कहता है कि कक्षा 6 के 47 प्रतिशत बच्चे 10 तक का पहाड़ा भी नहीं जालते
00:30कक्षा 3 के 45 प्रतिशत बच्चे 99 तक की गिंती उल्टी या सीधी नहीं बता पाते
00:43सुनकर आपको लगेगा की ये कैसे हो गया लेकिन सुनिए सच सिर्फ इतना ही नहीं
00:49ये भी पता चला है कि कक्षा 3 के 42 प्रतिशत 6 दो अंकों को घटा भी नहीं पाते
00:55यानि जिस वक्त नेता आपने वोट का जोड़ घटाव सोच कर सिर्फ धर्म की इजाद के बात करते हैं
01:01तब आपके बच्चे जिन स्कूल में पढ़ रहे हैं वहाँ ये भी पता चलता है कि क्लास 5 के आधे बच्चे देश में नहीं जानते हैं सम और विशम संख्या क्या है
01:11क्लास 9 के 69 प्रतिशत बच्चे और 70 तक आंकों का नहीं निकाल पा रहे हैं
01:18और क्लास 6 के 29 प्रतिशत बच्चों को ये भी नहीं पता आधा, चौथाई क्या होता है
01:26हम सिर्फ कागज की बात पर भरूसा नहीं करते हमारे संबादाता दो राज्यों के कई शहरों में अलग-अलग स्कूलों में इस चिन्ता का सच पता करने पहुंचे
01:36जो शिक्षा मंत्राले का सरवेक्षण है, जो सरवे हुआ है, जिसमें अनिमताय सामने आई है, जिसमें कई सवाल खड़े हुए है, क्या वो यहां ठीक बैठता है
01:46और क्या जो आकड़े उस सर्वे में मिले हैं हमें यहाँ पर भी वो आकड़े मिलते हैं कि नहीं मिलते हैं
01:52कक्षा 5 है यह कमरा नमबर 4 अंदर आंगे तो कुछ बच्चे यहाँ पर ओलरी पढ़ाई कराएं
01:57गलती इन बच्चों की बिल्कुल भी नहीं, गलती किसकी है, क्या शिक्षकों की है, या फिर शिक्षा विवस्था की है, क्योंकि टीचर भरती तो सरकार करती है, जहां हर राज्य की हकीकत, सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है, जहां टीचर कम है, वहां उनसे नजाने क
02:27एक तो क्योंकि हम लोग जिस तरह से हमारी हमारा शिक्षा तंत्र है जो हम अवधारनाए कॉंसेप्ट्स पढ़ाने की कोशिश करते हैं वो कई बार सही नहीं है जिस उमर पे और जिस तरह किया जाता है और फिर पूरी पढ़ाने की प्रक्रिया एक चीज हमें याद रखनी च
02:57उसके साथ जोड के देखना चाहिए कि वो सिखाने की प्रक्रिया क्या थी मतलब अगर उन्होंने स्कूल में कुछ अब्जरवेशन, प्रयोग, मौखिक बोलना, लिख के प्रेजेंटेशन करना ये सब गतिविध्या की है अगर इस तरह से जैसे जो कहा जाता है कि पेड़
03:27पढ़ाने का तरीका है और मुल्यांकन में सिर्फ जानकारे पूछने का तरीका है तो बच्चे बहुत कुछ नहीं सीखते, वो सिर्फ रट रटा के कुछ नकुछ जवाब देते और ये हमारे तंतर का बहुत पुराना एक जो हमारे हमारी चिनता है और हमारी
03:45प्रॉब्लम्स है हमारे सिस्टम की इसले हम कहते हैं रोट मेमराइजेशन क्योंकि आजकल
03:50स्कूल में माबाप टीचर्स कोई कहता ही नहीं कि समझो वो कहते हैं याद करो