01:54I am Ramesh Kumar. I am Ramesh Kumar. I am Ramesh Kumar, I am in Gangrel-Duban.
02:08How are you?
02:10Pune-Duban इसकी सटा, ईसकी अरव समद वही छार का है, लेकिन पला जहाड के लोग भी जवाब भेत दीए
02:25कि पुनरवास चर रहा है लेकिन यहाँ जमीनी अक्टिकाते पुनरवास कुछ भी नहीं है
02:30योगी दीम वही 170 आदमी को बसाया गया है उसके बाद को किसी को निए बसाया गया तो हम वही पर सलवनी में अरक्षित जमीन रलसान साधन के हमारे ही लिए है उसमें खाली बंजर जमीन को पना कर मेर पार मार कर हम फसल उगा रहे थे विगत 10 वर्षों से लेकिन खनन के लि�
03:00दिया और 2023 का फसल को यहने पंचायत में लेकर अभी भी सड़ रहा है हमारा फसल वापस मिलती है आप लोग क्या चाहते हैं हम लोग हमारे फसल कभी पूरा मौजद दिया जाए हमारा जिकार दिया जाए जमीन का यह बोर रहे हैं कौन-कौन बैठे हैं हम दोनों दीदिक सा
03:30पस्त हो गए बस यही कहते हैं आपका काम हो जाएगा एश-डी-म जाता है तसील लाड़ जाता है मुझ करे फिर आजाता है फिर से हम करेंगे चलता रहेगा हमारा लड़ाई अब तक हमारे काम नहीं हो गए तब सब्सक्राइब को बता दिये हैं तो मेडम यह कहता है पल्ल
04:00मैं के हूँ जाकर ले जाई हमको
04:30I would like to recognize that this will have been in a way of the process,
04:35and in that we have been working with the human rights and the human rights to the human rights.
04:40This is also a concern that the human rights have been taken to the civil rights movement,
04:45and in the social rights movement we have also been able to treat.
04:47But the future of the human rights rights can be taken from the human rights movement.