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  • 7/7/2025
Muharram 2025: मुहर्रम के महीने में आपने ताज़िया और अलम तो ज़रूर देखे होंगे। शहरों में जुलूस निकलते हैं, ग़म की आवाजें उठती हैं, और हर तरफ़ 'या हुसैन' की सदाएं सुनाई देती हैं। लेकिन जब मुहर्रम खत्म हो जाता है। तो एक सवाल उठता है जो बहुत से लोग सर्च करते हैं:




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~PR.115~HT.408~ED.120~

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Transcript
00:00महरम के महीने में आपने ताजिया और अलम तो जरूर देखे होंगे
00:06शहरों में जुलूस निकलते हैं गम की आवाजे उठती हैं और हर तरफ या हुसेन की सदाएं सुनाई देती हैं
00:12लेकिन अब जब महरम खत्म हो चुका है तो एक सवाल उठता है जो बहुत से लोग सर्च करते हैं
00:17क्या अलम और ताजिय को घर में रखना जायज है क्या ये हराम है या कहीं ये शिर्ट तो नहीं है
00:22चलिया आज इस वीडियो में सवाल का जवाब ढूनते हैं
00:25सबसे पहले समझ ये ताजिया किसी मूर्ती की तरह नहीं होता
00:30ये एक प्रतिकात्मक मकबरा होता है जो कर्बला में हज़रत इमाम हुसेन की शहादत की याद में बनाया जाता है
00:36अलम होता है या निजंडा
00:38हजरत अबास की बहादूरी और वफादारी का प्रतीक होता है
00:41जो बैरक के रूप में जलूसों में ले जाया जाता है
00:43इनका मकसद पूजा नहीं होता बलकि गम, इस्जत और सबक का इजहार होता है
00:47अब बात आती है घर में रखना
00:49क्या इसलाम इसकी इजाज़त देता है
00:51सुन्नी स्कॉलर का इस पर मत है
00:53इसलाम में मूर्तियों या प्रतीकों को पूजना मना है
00:56अगर कोई ताजिया या अलम को बरकत का जरिया सनज कर रखे
00:59या उससे मननत मांगे तो ये शिर्क के बहुत करीब माना जाता है
01:03अगर सिर्फ इज़त से रखने का मकसद हो
01:05और कोई पूजा या दूआ ना की जाए
01:07तो इसे मकरू यानि नापसंद जरूर कहा गया है
01:10पर हराम नहीं
01:11शिया स्कॉलर्स की राय भी चान लेते है
01:12शिया परंपरा में ताजिय और अलम को अजा का प्रतीक माना जाता है
01:16इसे रखना छूना या सजाना घम का हिस्सा है अबादत नहीं
01:20जब तक कोई उससे दुआ मननत या कोई गैर शर्य उम्मीद नहीं रख रहा हो
01:25तब तक ये जायज है
01:26यानि कुल मिलाके बात यहां आती है कि नियत साफ होनी चाहिए
01:30श्रद्धा और याद रखना अलग है
01:32लेकिन बरकत और मदद की उम्मीद लगाना शिर्क की ओर ले जाता है
01:35कुरान में कहा गया सुरे खलास में कहो
01:38वो अल्ला एक है
01:39ना किसी का बेटा है ना किसी का बाब
01:41हदीस शरीफ में आता है जो किसी को
01:43अल्ला के सिवा सुने या मदद के लिए पुकारे
01:45वो शिर्क करता है
01:46यानि अगर कोई या अबबास मेरी मदद करो
01:49या ताजिय के सामने मननत बानता है
01:52तो ये सीधा शिर्क हो सकता है
01:53भारत में शिया और सुनित दोनों समुदाय मिलकर मुहर्म मनाते हैं
01:57कई जगा हिंदु भाई भी ताजी उठाने या जलूस में शामिल होते हैं
02:00ऐसे में आस्था और अंदविश्वास के बीज़ का फर्ख समझना जरूरी है
02:03अगर कोई अलम को इजद से रखता है घम की निशानी मान कर तो ये एक संस्कृती और संवेदना की बात हो सकती है
02:09लेकिन अगर उससे मनत दुआ ये बरकत की उमीद की जाए तो ये इसलाम के तोहीद यानि एक इश्वरवात के सिद्धान के खिलाफ जाता है
02:17तो वो अपने जाना महरम के बाद इताजी और अलम को घर में रखना हराम है या नहीं
02:21इसका जवाब आपकी नियत और तरीका तैय करता है
02:24याद रखें इमाम हुसेन ने तोहीद के लिए शहादत दी थी
02:26किसी प्रतीक की पूजा के लिए नहीं
02:28फिलाल इस वीडियो में इतना ही अगर आपको ये जानकारी पसंद आई हो तो इसे लाइक करें शेयर करें और चैनल को सब्सक्राइब करना बिलकुल न पूले

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