00:00मेरा नाम कामदेव है और मेरा काम प्रेम की भावना जगाना है
00:05सच पूछो तो हम तीन लोगों को प्रेम का पाठ पढ़ाते हैं
00:09क्या आप ये कहना जाते हैं कि मैं प्रेम का अर्थी नहीं जानती
00:14अवश्य जानती है परंतु प्रेम का केवल आधा आर्थी आप जानती है आधा आर्थ? हादेवी प्रेम केवल अपने प्रेमी को पाने का नाम नहीं है अपने आपको भेट चड़ाने की भावना भी प्रेम है किसी के लिए मिठ जाने का नाम भी प्रेम है इस सत्य को मैं कहा �
00:44तबस्या को छेडने के नाम से ही मैं भैबित हो जाती हूं मेरी आत्मा तक काम पुड़ती है सोचती हूं कहीं आपको कुछ हो गया तो
00:55आज अचानक आप सभी हिमाले पर हमारे समस्यागा समाधान
01:25क्यों आप ही कर सकती है माता वो कैसे महादेश शिवजी को उनकी तपस्या से आप ही जागरित कर सकती है माँ मैं इस बारे में असमर्थ हूं
01:38शिव जी जब तपस्या में लीन होते हैं
01:43तक तपस्या पूरी होने से पहले उनका जागरत होना असंभव है
01:47माता यदि आपकी आग्या हो तो हम शिव जी की तपस्या भंग करने का प्रयास करें
01:54भोलेनात की तपस्या भंग करते ही, उनके क्रोध का ज्वाला मुखी फट पड़ेगा, और न जाने कौन-कौन शिवजी के क्रोध के लावे में भस्म हो जाएगा।
02:04सब देवताओं के उधार के लिए काम देव ये खत्रा मोल लेने के लिए तयार है।
02:12ये बेचारा तो केवल प्रेम वानी जानता है, प्रेम करता है और प्रेम करना सिखाता है।
02:21इसे क्या मालूं कि क्रोध क्या होता है? और फिर महादेव का क्रोध।
02:27हम पर दया कीजिया।
02:28मैं आप दोनों को शिवजी के प्रकॉप से बचाने का प्रयास करूँगी।
02:33आप शिवजी के तपस्या भंग करने के तैयारी करें।
02:37रणाम माता।
02:39दसो दिशा में घूजता ब्रह्मनाद ओंकार।
03:00यहां सदा शिव राज ते मौन महावरत धार।
03:15अंकार की परिधी को कोई धेद के जाए कैसे।
03:28ध्यारा वस्चित समाजिस्थ शंकर को जगाए कैसे।
03:40काम देव की पत्नी रति सब रूपस्यों की नायका।
03:54शिव शंकर के ध्यान भंग को पत्ती की बनी सहाए का।
04:08नहीं शंब के क्रोध से काम देव अनजान।
04:20नहीं शंब के क्रोध से काम देव अनजान।
04:34चला जगत कल्यान को ले मुर्धी मी प्रान।
04:46गभ्रान का ए फ्टिश मुर्धी उनजान।
04:52है प्रान के काम देव जनजान।
04:56बना काम पत्ती को रखाए काम एप भाकापए
05:07जैनक काम पत्ती काम इब काम पत्ती काम पत्ती काम नहीं जेए्टों
05:13आप आप आप आप आप
05:43दाप सादं और दाप
05:50थेश्व शंकर योगीश्वारा
05:55मधूरे तु आई राव नरे तु आई
06:00करतु राज की
06:11कैसी मानो राम छटाच विछाई
06:19है शिव शंकर योगिश्वारा मधूरे तु आई रामन रे तु आई
06:41पल के उगार करो अव लोकन हिम अंगन हुआ नंदन कानल
06:56फलके उगार करो अव लोकन हिम अंगन हूआ नंदन कानन
07:06दमरुनिनाद ना समय नर्तन किस कारण जागा नच राजन
07:18ए महादेव जागो है देव ए महादेव जागो है देव काम देव दुन्तु देव जागी है श्वशंकरा