00:00श्राबन मा के दोरान पहाडी मंदिर में भक्तों की सैलाब उमरती है। यह मंदिर एतिहासिक और पौरानिक कथाओं से ओध प्रोथ है। आईए इस मंदिर की जलकियां हम आपको दिखाते हैं।
00:15राची की पहाडी चोटी परिस्थित शिब मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं। बलकि इतिहास भक्ती और बलिदान का जीता जागता प्रतीक है। यहां नाग बाबा की पुजा 1737 इस्वी से होती रही है।
00:45चोटी सी जगह थी जहां बोड़िया, रातू, डुरंडा, नक इस तरह की बस्तियां यहां थी।
00:54और उस समय नाग बाबा यहां सजीव दर्सन देते थे। मूल रूप से यह सीम जी के गन का स्थान है।
01:01पहाडी बाबा के इस नाग गूफा का रोचक कथाएं प्रचलित है।
01:21जनजातिय वद्वा पाहन समुदा इस पहाडी को नाग देबता का धाम मानता था।
01:26मन्यता है कि नाग बाबा ने इस श्वप्ण में शिव की स्थापना का संदेज दिया।
01:30जिसके बाद इहां भोले नाग देबता का नाग देबता का मादूर्गा सब भजरंग बोली सब मिल के चला रहे हैं।
01:39हाँ यह बात है कि जो यहाँ पर पहाडी मंदिर में आता है दुखी होके।
01:45सत्तर असीना एकदम साव परसंट सुखी होके जाता है।
01:49यहाँ पर जो चाहता है लोग बहुत सा मामला में आता है लोग नेकिल।
01:53हंड्रेट परसंट सफल हो जाता है।
01:55हाँ यह हैं पहले प्राचिन में नोग नाग देवता का पुझा करता था।
02:15यह भुमी कभी पालकोट राजा की थी।
02:19जो 1908 में नगरपालिका को पालकोट पार्क के रुपे दी गई थी।
02:23English government has become a hanging area, where the 17th century had been formed.
02:29After the first time, the first time was passed, which is now the 15th August and 26th January will be passed.
02:38पूर्वाज की लोग थे उन लोग अजादी के लिए यहां पर जान दिया। उन्हों अंग्रेजों ने गोरे लोग इतना अतिया चारी करके उन्हों को फंसाय गया, मारा गया। इसलिए उनके नाम से मेरे साथा नाम से यहां 15 अगास 6 जनुवरी को जहनदा फाराए जाता है
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05:54बाबा बैदनात धाम के तर्जपर प्रतिक बर्स राजधानी राचि के इस पहाडी मंदीर में भी स्राबन महा के दौराल सधालों की भीड़ मरती है।
06:10पहाडी बाबा पर लोगों का आस्था देखने लायक बनता है।