बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव हैं, जिसे लेकर चुनाव आयोग नया वोटर लिस्ट रिवीजन अभियान चला रहा है। ये अभियान 29 जुलाई तक चलेगा। इसके तहत मतदाताओं से नए फॉर्म भरवाए जा रहे हैं और पुराने रिकॉर्ड्स की पुष्टि की जा रही है। चुनाव आयोग की इसी प्रक्रिया को लेकर विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है। तेजस्वी यादव इसे गरीबों और पिछड़ों का नाम वोटर लिस्ट से हटाने की साजिश बता रहे हैं तो कांग्रेस लिस्ट में धांधली का आरोप लगा रही है। जबकि एनडीए नेताओं ने इसे विपक्ष का हार का डर बताया है।
00:00बिहार में इस साल विधान सभा चुनाओ है जिसे लेकर चुनाव आयोग नया वोटर लिस्ट रिवीजन अभियान चला रहा है जो की 29 जुलाई तक चलेगा इसके तहट मद्दाताओं से नय फर्म भरवाय जा रहे हैं और पुराने रिकॉर्ड्स की पुष्टी की जा रही है
00:30लिया गया और अचानक से ठीक जब चुनाओं को दो महिना बचा है तब इन लिया गया है क्या जरुवत आन पड़ी यही वोटर्स लोग समामें भी था और अभी तो फेब्रेटरी में नया फ्रेश लिस्ट जारी ही हुआ था तो इसकी क्या जरुवत थी यह बड़ी साजि
01:00चाह रहे हैं आप देखिएगा बिहार जो है बार का इलाका है और 73 परसंट चुछेत रहे हैं बार से पीडित रहता है लोग अभी जानम अपना बचाएगा कि यह इलेक्शन कमिशन को डॉक्यमेंट देगा और ऐसा डॉक्यमेंट जो आप अपने माता का पिता का आप जो ह
01:30अधार काट को मानता नहीं दे रहे हैं मंडरेगा काट को मानता नहीं दे रहे हैं तो यह बड़ी साजिश है जिसका हम लोग भंडा फोर करेंगे और इलेक्शन कमिशन से लेकि कहीं भी हम लोगों को जाना पड़े कि हम लोग जाने का काम करेंगे इस तरह का काम आकर क्या �
02:00ॐटर लिस्टों के अंदर बड़े पैमानेकों पर दांदली और गड़बडी की आशंका है उस जंकाओं को दूर करना काम एलेक्शन कमिशन कर सकता है और अगर यह काम एलेक्शन कमिशन नहीं करता तो सुप्रीम कोर्ट को देखना चाहिए कि संविधान का संरक्षक सुप्
02:30को हार का डर है रिप्रेजेंटेशन और पीपल्स एक्ट के तहट 1950 इसके तहट ये प्रोसेस समय समय पर अपनाया जाता है और इसको अपनाना भी जरूरी है ताकि इसकी आड में जो फर्जी वारा होता है कई बार हम लोग देखते हैं कि अगर किसी का निधन हो गया उसके �
03:00से जो सही मत दाता है जो वोटर है वो अपना वोट नहीं डाल पाता है ऐसे में इस प्रक्रिया को और ट्रांस्पेरंट करने की सोच के साथ समय समय पर इस प्रोसेस को अपनाया जाता है और जिनको इस प्रोसेस से चिंता हो रही है उनको डर पहले से ही है अपनी हार का और �