Skip to playerSkip to main contentSkip to footer
  • 6/27/2025
राजा प्रताप सिंह की ओर से मंदिर को सौंपे गए इंद्र विमान में सवार होकर निकलते हैं भगवान. 263 साल पुराना है मंदिर का इतिहास.

Category

🗞
News
Transcript
00:00ॐखवान जगनात की रथियात्रा इस साल 4 जुलाई को शुरू होगी।
00:13इस रथियात्रा को ओडिशा के पूरी के बाद दूसरी सबसे बड़ी रथियात्रा भी माना जाता है।
00:20भगवान जगनात राजा महराजाओं की ओर से दिये गए इंद्र विवान में सवार होकर माता जानकी को व्याहने के लिए निकलते हैं।
00:29चार तारिकों भगवान जगनात जी महराज चानको छह बजे शहर मंदी सरु बाद जाएं।
00:37इसमें अपकी बार विशेष प्रत्यात्रा में जो है ना आजए अखाडे और अन जो हर साल की तरह जो सेवाई होती।
00:46जहांकी प्राव अगरा और विशेष जो मदी माता भी बुलाई गई है हर्यान सेवी।
00:54जो जम मगरा के धोल जम और सांस्कृति कारिकर मगरा के जहांकियां।
01:00अनने सारी चीज़े भूगी और जैसे लवाज में हठाल चलता है हाथी, धोड़े और उठ ये पुरा का पुरा भोई उसी रूप में है और विशेष भी किया गये है।
01:16इस बार वर्माला महुत्सों के दोरान भगवान जगनात को दुबई से आए कपड़ों से तैयार पोशाग धारण कराई जाएगी।
01:24साथी दुबई से आए इत्र से दूला जगनात महकेंगी।
01:29अलवर में भगवान जगनात विश्णु स्वरूप व माता जान की लक्षमी स्वरूप में विराजमान है।
01:35इसलिए रत्यात्रा के दोरान इनका विवाह कराया जाता है।
01:40इंदुस्तार में पुरी के बाद सबसब अड़ी रत्यात्रा अलवर की है।
01:44माराज थे वो उस समय आते थे खुछ आरूप अलवर रखाते थे।
01:49अब तो खैरूप जलाज इस मोदे आकर के भारंब कराते हैं।
01:53यह हमेशा कर दिए में पूजन वगरा करके।
01:56भगवान तरी जगनात जी बोलत में रत्रों का भी पूजन होता है।
02:00और फिर पहले चार आती रखते थे। उसके बाद तक तक पताव सिंदी रही।
02:06उन्होंने आती थे। सदेवे आती थे।
02:09इस वजिसे दो आतियों के साथ हमारी निकल की थी।
02:12तो क्योंकि इसके पहिये वगरा इन्वेडी की बनाओ है।
02:15और प्राचीन गत है।
02:17महंत देवेंद्र शर्मा बताते हैं कि रत यात्रा पहले लकडी से बने हुए रत में निकलती थी।
02:41जो कि मंदिर का ही था।
02:43इसके बाद ततकालीन महराजात तेज सिंग की ओर से प्रियोग में लिये जाने वाले रत को रत यात्रा के दौरान प्रियोग किया जाने लगा।
02:53ETV भारत के लिए अलवर से पियूश पाठक की रिपोर्ट।
02:57

Recommended