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  • 6/26/2025
The hand poetry, murge ki najam, the poetry of the hen,

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Animals
Transcript
00:00मुर्गी की खुशी
00:01चूचो करती आई हूँ, खुश खबरी ये लाई हूँ, अंडे दिये मैंने चार, बनेगा मेरा संभालने वाला प्यार
00:10कुकुडो कूँ का नगमा सुनो, मेरी खुशी का रंग चको
00:15चूचो बोली हर शाक, मेरे धराई है नई सांस
00:19चोटे बच्चे आएंगे जल्द, खिल खिलाएंगे दिन भी सर्द
00:23मुर्गी माहे बहुत खुश हाल, रब का शुक्र है दिल में हाल

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