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  • 6/26/2025
तमिलनाडु के नागपट्टिनम जिले में स्थित कोडियाक्कडू का रामर पदम जंगल, जो वर्ष 2018 में आए चक्रवात 'गाजा' से बुरी तरह प्रभावित हुआ था, अब पुनः हरा-भरा हो गया है. यह क्षेत्र वेदारण्यम वन्यजीव अभयारण्य का हिस्सा है और लगभग 257 हेक्टेयर में फैला हुआ है. यह जंगल अब सौ से अधिक दुर्लभ औषधीय पौधों की प्रजातियों का घर बन चुका है, जो पारंपरिक सिद्ध चिकित्सा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इन जड़ी-बूटियों का उपयोग जोड़ों के दर्द, मधुमेह, हड्डी टूटने और स्ट्रोक जैसी बीमारियों के इलाज में किया जाता है. तमिलनाडु वन विभाग के अधिकारी इस पारिस्थितिक पुनरुत्थान को संरक्षित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं. स्थानीय स्तर पर हर्बल अनुसंधान केंद्र और पौधा वितरण सुविधा की मांग भी तेज हो गई है, ताकि इन जड़ी-बूटियों को आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके और पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा मिल सके.

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Transcript
00:00इस हरे भरे जंगल में दुरलब और बेश कीमती ओशदिये जड़ी बूटियों की भरमार है।
00:09तमिलाण के नाग पट्टिनम जिले में कोड्यक कोडू के रामर पदम का ये जंगल कभी चक्रवाद गाजा से तबाह हो गया था।
00:19लेकिन अब ये फिर से हराभरा हो गया है। इसमें सो से जादा ओशदिये पौध्यों की प्रजातिया फलफूल रही है।
00:39257 हेक्टर में फैला ये जंगल वेदारालेम वन्यचीव अभ्यारन के भीतर है और तमिलाण की परमपरिक सिद्ध चिकित्सा प्रणाली में महत्पूर भूमिका निभाता है।
00:59यहां पाई जाने वाली ओशदिये जड़ीबूटियां जोडों के दर्द से लेकर मधुमें और यहां तक की स्ट्रोक तक की कई बीमारियों के इलाज के लिए जानी जाती हैं।
01:29तर्द सिद्धिली पाले मुलिया इतकिनके इटिंगे आटिंगे नए शक्करन वोईग्या उयक्या उल्ला मुलिगी।
01:41This is the forest of the forest and the forest of the forest.
02:11इन पहल का मकसद दुरलब जड़ी बूटियों को सन्नक्षित करना और आने वाली पीडियों के लिए पारंपरिक चिक्चा को बढ़ावा देना है

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